बोले प्रयागराज : कैसे हो महिलाओं का उपचार, खुद दम तोड़ चुका अंग्रेजी शासन का महिला अस्पताल
Gangapar News - शंकरगढ़ के महिला अस्पताल की हालत बेहद खराब है। यह अस्पताल, जो कभी महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का प्रतीक था, अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। डॉक्टरों की कमी और प्रशासन की उदासीनता ने इस ऐतिहासिक...
शंकरगढ़ बारा तहसील के नगर पंचायत शंकरगढ़ सहित आस पास के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। शंकरगढ़ अपने ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। इसी नगर के सदर बाजार में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान स्थापित किया गया महिला अस्पताल आज मात्र एक वीरान खंडहर बनकर रह गया है। कभी सेवा का प्रतीक रहे इस चिकित्सालय की वर्तमान दशा देखकर न सिर्फ स्थानीय नागरिकों को पीड़ा होती है, बल्कि यह प्रशासनिक उदासीनता की एक जीवित मिसाल भी बन चुका है। इसके ही साथ क्षेत्र के इमिलिया में बना महिला चिकित्सालय में डाक्टर की तैनाती नहीं हो सकी है।
समाज में महिला स्वास्थ्य को लेकर अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, मगर शंकरगढ़ की इस ऐतिहासिक धरोहर की अनदेखी नीतिगत खामियों को उजागर करती हैं। न तो स्वास्थ्य विभाग ने इसे संजोने का प्रयास किया, न ही पुरातत्व विभाग ने इसे ऐतिहासिक विरासत मानकर संरक्षण देने की पहल की। शंकरगढ़ का महिला अस्पताल सिर्फ एक स्वास्थ्य केंद्र नहीं था, वह एक युग की पहचान था। सन 1920 में अंग्रेजी शासन के दौरान कसौटा रियासत के तत्कालीन राज घराने के प्रयास से शंकरगढ़ में महिला अस्पताल की नींव रखी गई थी। उस समय प्रयागराज जिसे तब इलाहाबाद कहा जाता था, की सीमाएं वर्तमान रीवा (मध्य प्रदेश) तक फैली हुई थीं। ब्रिटिश अधिकारियों की यह सोच थी कि इस सीमावर्ती क्षेत्र में एक सुचारु और सुसज्जित महिला चिकित्सालय हो, जो स्थानीय महिलाओं के साथ-साथ अधिकारियों के परिवारों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार उस दौर में यह अस्पताल अत्यंत व्यवस्थित ढंग से संचालित होता था। नगर पंचायत शंकरगढ़ के वरिष्ठ नागरिक एवं प्रतिष्ठित समाजसेवी गोपाल दास गुप्ता जिनकी आयु 85 वर्ष से अधिक है बताते हैं कि हमारे जन्म से पहले ही यह अस्पताल पूरी तरह क्रियाशील था। यहां अंग्रेज अधिकारियों की पत्नियों के प्रसव होते थे और कई यूरोपीय बच्चों की किलकारियां इसी इमारत की दीवारों में गूंजी थीं। खंडहर बनती यादें और प्रशासन की चुप्पी आज जब कोई इस अस्पताल के प्रांगण में प्रवेश करता है, तो वहां पसरा सन्नाटा और टूटे-फूटे दरवाजे व खिड़कियां एक दुखद कहानी बयां करते हैं। न छत का भरोसा है, न दीवारों की मजबूती। कब कौन-सी ईंट गिर जाए, कोई नहीं जानता। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई दशकों से यह भवन खंडहर का रूप ले चुका है और धीरे-धीरे यह उपयोग से बाहर होता चला गया है। स्थिति यह है कि यह अस्पताल अब शैचालय, आवारा पशुओं, जुआरियों, शराबियों का आश्रय स्थल बन चुका है। गंदगी से घिरे इस परिसर में कभी जिन नर्सों और डॉक्टरों की आवाजें गूंजती थीं, आज वहां सन्न्टा पसरा है। जिस भवन ने शताब्दी पूर्व मातृत्व व सेवा का दीप जलाया, वह आज बेनामी खंडहर क्यों बन चुका है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों व नागरिकों ने प्रदेश व केन्द्र सरकार से मांग की है कि या तो इस अस्पताल का पुनर्निर्माण कर इसे पुनः स्वास्थ्य सेवाओं के लिए शुरू किया जाए या फिर इसे सांस्कृतिक धरोहर घोषित कर इसके संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। यह सिर्फ ईंट और गारे की इमारत नहीं, हमारी स्मृतियों और विरासत का हिस्सा है। प्रशासन की उपेक्षा और जनजागरूकता की कमी ने उसे आज इस स्थिति में पहुंचा दिया है। अश्वासन मिला पर नहीं हुई कोई कवायद शंकरगढ़ के महिला अस्पताल की उत्थान एवं इसको बनवाने के लिए कई बार स्थानिय लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री से लेकर कई राजनैतिक व उच्च नेताओं से भी गुहार लगा चुके है बल्कि कई बार इसके लिए मौखिक व लिखित शिकायत भी की जा चुकी है परन्तु उसका भी नतीजा विफल रहा। पूर्व में मुख्य चिकित्साधिकारी प्रयागराज द्वारा इस अस्पताल का निरीक्षण भी किया गया था परन्तु उनका भी निरीक्षण भी किसी काम का नही रहा। तत्कालीन सांसद ने निर्माण करवाया एक किला अस्पताल महिला अस्पताल की जर्जर हालत को देखते हुए महिला अस्पताल परिसर में ही एक महिला चिकित्सालय का निर्माण तत्कालीन सांसद कुंवर रेवती रमण सिंह ने करवाया था। इस अस्पताल का उद्घाटन 12 सितंबर 2005 को सांसद के साथ पूर्व मुख्य चिकिस्या अधिकारी प्रयागराज निसार अहमद व राजा महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा किया गया था। उसको भी बने लगभग 25 वर्ष हो चुके हैं परंतु उसे अस्पताल में भी कोई सुचारू रूप से व्यवस्था नहीं की गई है। कहने को तो वहां पर कोई डाक्टर भी रहने को तैयार नहीं होता है। फार्मासिस्ट और आयुष डॉक्टर के भरोसे चल रहा महिला चिकित्सालय नगर पंचायत शंकरगढ़ के सदर बाजार स्थित राजकीय महिला चिकित्सालय की हालत दिनों-दिन बदतर होती जा रही है। स्थिति यह है कि पूरा अस्पताल सिर्फ एक फार्मासिस्ट वा एक आयुष महिला चिकित्सक के भरोसे संचालित हो रहा है।जानकारी के अनुसार अस्पताल में तैनात फार्मासिस्ट हरिश्चन्द्र सिंह प्रतिदिन नियमित रूप से समयानुसार तक अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। साथ ही अस्पताल में तैनात आयुष डॉक्टर डॉ.श्वेता पांडे की उपस्थिति हप्ते मे पाॅच दिन सेवा दे रही है । स्थानीय महिलाओं और गर्भवती मरीजों के लिए यह अस्पताल कभी एकमात्र सहारा हुआ करता था, लेकिन अब डॉक्टरों की नियमित अनुपस्थिति, बुनियादी सुविधाओं की कमी, और प्रशासन की उदासीनता के कारण यह अस्पताल मात्र एक औपचारिक ढांचे तक सीमित रह गया है बल्कि अब क्षेत्र की महिलाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शंकरगढ़ में ही जाकर अपना इलाज करवाती हैं क्योंकि वहां पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रीता सिंह पहले से ही सेवा दे रही है। इमिलिया में अस्पताल है किन्तु डॉक्टर नहीं कई वर्ष पहले विकास खंड के ऐतिहासिक एवं धार्मिक गांव इमिलिया में प्रदेश सरकार द्वारा एक महिला अस्पताल की स्वीकृति दी गई और लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल भी बन गया है। स्वास्थ्य विभाग भवन बनवा कर महिला चिकित्सालय को भूल गया है। वहां आज तक डाक्टर की तैनाती नहीं की गई है। इसके कारण क्षेत्र की प्रसूताओं को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। जिम्मेदार बोले शंकरगढ़ महिला अस्पताल से संबंधित लेटर को स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया है जल्दी इसका निस्तारण होना संभव है बल्कि आगामी 11/12 जून को होने वाली लोक लेखा समिति की बैठक में इसको प्रमुखता से उठाया जाएगा। मौजूद प्रमुख सचिव को भी अवगत कराऊंगा। उन्होंने बताया कि बारा विधानसभा के अस्पतालों का जीर्णोद्धार एवं सही तरीके से रख रखाव को लेकर पूर्व में अधिकारियों को सचेत किया जा चुका है एवं इसके बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रयागराज से भी अवगत कराया गया है। -डॉ. वाचस्पति, विधायक, बारा शंकरगढ़ में महिला अस्पताल की हालत बिल्कुल दयनीय है लेकिन उसके ठीक बगल में सरकार द्वारा महिला अस्पताल 2005 में खोला गया है। जहां पर समय समय पर टीकाकरण भी होता है ।रही बात गंदगी की तो कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि महिला अस्पताल प्रांगण में गंदगी है उसको साफ करें और दोबारा उस पर कोई भी कूड़ा करकट न फेके। पार्वती कोटार्य, अध्यक्ष, नगर पंचायत शंकरगढ़ राजकीय महिला चिकित्सालय शंकरगढ़ क्षेत्र का सबसे पुराना सरकारी हॉस्पिटल है जो कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार सन 1920 के आसपास से संचालित है। वर्तमान में उक्त चिकित्सालय पर एक महिला चिकित्सक, एक फार्मासिस्ट तथा एक स्वास्थ सहायिका कार्यरत हैं, जिनके माध्यम से स्थानीय जनता को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। चिकित्सालय परिसर नव निर्मित भवन में क्रियाशील है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चिकित्सालय परिसर कि भूमि जिला पंचायत प्रयागराज के अधिकार क्षेत्र में आती है। इस परिसर की भूमि पर स्थानीय नागरिकों के द्वारा अपशिष्ट पदार्थ फेंके जाने तथा अतिक्रमण करने से कार्यरत स्टाफ तथा आने जाने वाले रोगियों व तीमारदारो को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके संबंध में अधिशाषी अधिकारी नगर पंचायत शंकरगढ़ को उचित निराकरण हेतु अवगत कराया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रयागराज द्वारा परिसर के रखरखाव के लिए आवश्यक क्रियाकलाप कराए गए है तथा पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध होने पर अतिरिक्त स्टाफ को नियुक्त करते हुए इसे एक प्रसव इकाई के रूप में उच्चीकृत किया जाना प्रस्तावित है। -डॉ अभिषेक सिंह, अधीक्षक, सीएचसी शंकरगढ ----------------------- हमारी भी सुनें वर्षों पूर्व बना महिला अस्पताल आज खंडहर का रूप ले रखा है। कई सरकारे आई और चली गई परंतु आज तक किसी भी प्रतिनिधि का ध्यान इस महिला अस्पताल पर नहीं पड़ा है। जो एक सोचने का विषय है। मौजूदा सरकार स्वास्थ्य विभाग पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है परंतु नगर पंचायत शंकरगढ़ के महिला अस्पताल की हालत बद से बदतर है। -दीपक केसरवानी, सभासद प्रतिनिधि, सदर बाजार शंकरगढ़ नगर के बीचो-बीच स्थित महिला अस्पताल बरसों पहले बना हुआ था। आज उसकी हालत दयनीय है। जर्जर हालत में पड़ा हुआ है। कितनी सरकारें आई गई लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। प्रदेश में भाजपा सरकार से नगरवासी ध्यान आकर्षित करते हुए बताना चाहते हैं की महिलाओं के इलाज में हो रही परेशानी को दूर करें और महिला अस्पताल शंकरगढ का नव निर्माण कराए। -पंकज गुप्ता, महामंत्री, व्यापार मंडल शंकरगढ़ शंकरगढ़ महिला अस्पताल आज उपेक्षा का शिकार है। केंद्र में भाजपा की सरकार है एवं प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। उसके बावजूद भी महिला अस्पताल की हालत दयनीय है ।नगर पंचायत शंकरगढ़ के समस्त व्यापारी डबल इंजन की सरकार से मांग करते हैं कि इस महिला अस्पताल का नवनिर्माण कराया जाए जिससे इस क्षेत्र की माताएं बहने एवं शंकरगढ़ क्षेत्र से जुड़ा अपना सही तरीके से इलाज इस अस्पताल में करा सके ।साथ ही इस श्रेत्र से मध्य प्रदेश की तमाम ग्रामीण इलाकों इस से जुड़े है। -अरविंद केसरवानी, अध्यक्ष, व्यापार मंडल शंकरगढ़ इस महिला अस्पताल का नाम अब बदल देना चाहिए क्योंकि जब महिलाओं को किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिल रही है तो महिला अस्पताल का नाम रखना उचित नहीं है ।एक समय था जब यहां पर सुविधा का ध्यान दिया जाता था। साथ ही अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार है । यहां से निकलना भी लोगों को दूभर होता है। -उमा वर्मा, महिला मोर्चा अध्यक्ष, शंकरगढ़ भाजपा महिला अस्पताल शंकरगढ़ नगर के घनी आबादी में मौजूद है। एक समय था कि उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के लोग अपना इलाज करवाते थे क्योंकि यह दोनों प्रदेशों की सीमा पर स्थापित है। अस्पताल का जीर्णोद्धार होना चाहिए और एक अनुभवी डाक्टर को होना अति आवश्यक है। साथ ही डिलीवरी जैसी संबंधित समस्या को इसी अस्पताल से निराकरण हो तो क्षेत्र के लिए बहुत खुशी की बात होगी। विभाग की जिम्मेदार लोगों से अपील है इस अस्पताल का जीर्णोद्धार करवाया जाय जिससे इस क्षेत्र का भी विकास हो सके। -रतन केसरवानी, महामंत्री, व्यापार मंडल, शंकरगढ़ पूर्व में इसमें डॉक्टर व पूरे स्टाफ बैठते थे। जब नगर के समस्त माताओं का इलाज यही से होता था। आज के समय यह जर्जर भवन पड़ा हुआ है। हमें याद है की 2004 के पहले जब बसपा व भाजपा की उत्तर प्रदेश में सरकार थी और तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष केसरी देवी पटेल ने ध्यान देते हुए इस पर चारों तरफ इसकी बाउंड्रीवाल कराया था। साथ ही पूरे मैदान में समतलीकरण कराया गया था। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पंडित केसरी नाथ त्रिपाठी ने उस समय उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर से वार्ता कर नई बिल्डिंग बगल में निर्माण करवाया गया था। -अनूप केसरवानी, जिला संगठन मंत्री, उद्योग व्यापार कल्याण समिति
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।