बोले गोण्डा : महिला वकीलों को शौचालय और कैंटीन की सुविधा नहीं
Gonda News - गोंडा में महिला अधिवक्ताएं विधि व्यवसाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, लेकिन उन्हें कचहरी और कलेक्ट्रेट में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शौचालयों की कमी, सफाई की समस्या और सुरक्षा की...

बदलते दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं, विधि व्यवसाय भी इससे अछूता नहीं है। देवीपाटन मंडल मुख्यालय पर करीब डेढ़ सौ से अधिक महिला अधिवक्ता भी प्रैक्टिस कर रही हैं। आमजन को न्याय दिलाने की मजबूत कड़ी के रूप में काम कर रही महिला अधिवक्ता कचहरी और कलेक्ट्रेट में विभिन्न समस्याओं से जूझ रही हैं। गोण्डा। जिला मुख्यालय पर पुरुष वकीलों के साथ महिला अधिवक्ता भी विधि व्यवसाय के पेशे में बखूबी काम कर रही हैं। घर-परिवार की जिम्मेदारियां निभाने के साथ कानूनी पेंचीदगियों में उलझना इनकी रोजाना की दिनचर्या में शामिल हो गया है। कानूनी-दांवपेच से लोगों को न्याय दिलाने वाली महिला अधिवक्ता खुद को कलेक्ट्रेट और कचहरी परिसर में परेशानियों के भंवरजाल में जूझती पाती हैं।
वजह साफ है, बुनियादी सुविधाओं का अभाव। सिविल कोर्ट और कलेक्ट्रेट परिसर में महिलाओं के लिए एक अदद पिंक टॉयलेट नहीं है। इससे महिला अधिवक्ताओं को काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। हिन्दुस्तान की ओर से बोले गोंडा मुहिम के तहत आयोजित चौपाल में महिला अधिवक्ताओं ने अपनी समस्याओं पर सिलसिलेवार बात रखी। महिला अधिवक्ताओं का कहना है कि कचहरी परिसर के कोर्ट रूम में वादकारियों की भीड़ के साथ उन्हें भी जाना पड़ता है। कई बार धक्का-मुक्की होने पर उन्हें असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। हिन्दुस्तान चौपाल में शामिल महिला अधिवक्ताओं ने कहा कि उनके लिए जिला बार एसोसिएशन के कार्यालय में कॉमन रूम की व्यवस्था की जाए। जूनियर वकीलों को मिले प्रोत्साहन भत्ता महिला वकीलों ने कहा कि कचहरी में कुल 52 अदालतें स्थापित हैं। इनमें से 22 अदालतें रिक्त चल रही हैं। 28 अदालतों पर प्रतिदिन हजारों मुकदमों की सुनवाई की जाती है। यहां पुरुषों के साथ महिला अधिवक्ता भी प्रैक्टिस करती हैं। अधिवक्ता रुचि मोदी ने कहा कि विधि व्यवसाय में शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ता है। बार कौंसिल से पंजीकृत होकर आने वाली नई अधिवक्ताओं को जीविकोपार्जन के लिए काफी पापड़ बेलने पेड़ते हैं। शुरुआती दिनों में उन्हें दिनभर कचहरी में बिताने के बाद खाली हाथ वापस जाना पड़ता है। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ न होने के कारण वह न चैंबर बना पाती हैं और न ही जरूरी किताबों की व्यवस्था कर पाती हैं। इसलिए बार कौंसिल को जूनियर अधिवक्ताओं को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन भत्ता अवश्य देना चाहिए। महिला वकीलों ने बताया कि कचहरी में शौचालय बने तो जरूर हैं लेकिन उसमें से एक तो वर्षों से बंद पड़ा है। बाकी दो शौचालयों में गंदगी की वजह से हम लोग जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। इससे सबसे ज्यादा समस्या महिला अधिवक्ताओं व वादकारियों को होती है। यही नहीं कचहरी परिसर हो अथवा कलेक्ट्रेट चारों तरफ गंदगी फैली रहती है। सफाई कर्मचारियों को अफसरों के बंगलों पर ही साफ-सफाई से फुर्सत नहीं मिलती। नगर पालिका के जिम्मेदार भी इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। महिला वकीलों को मिले सुरक्षा कचहरी में अपराधियों के विरुद्ध मुकदमा लड़कर उन्हें सजा दिलवाने में वकील प्रमुख भूमिका निभाती हैं। चाहे वह अभियोजन की ओर से हो अथवा बचाव पक्ष से, खतरा दोनों को रहता है। लेकिन सरकार ने वकीलों की सुरक्षा के लिए कोई महत्वपूर्ण फैसला नहीं लिया। जबकि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने के लिए वकीलों की तरफ से बरसों से मांग की जा रही है। रेवन्यू कोर्ट के अधिकांश अदालतों पर पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति न होने से खाली रहती है। जिससे वादकारियों को न्याय के लिए वर्षों तहसील का चक्कर लगाना पड़ता है। साफ-सफाई न होने से वकीलों का बैठना मुश्किल कचहरी परिसर में पेड़ों से गिरी पत्तियां साफ-सफाई न होने के कारण सड़ जाती हैं। इससे ढेरों मच्छर व अन्य संक्रामक बीमारियों को फैलाने वाले कीड़े-मकोड़े के कारण वकीलों का अपनी तख्त पर बैठना मुश्किल हो जाता है। मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए न तो दवा का छिड़काव होता है न ही साफ-सफाई। कचहरी परिसर के कैमरे खराब महिला वकीलों ने बताया कि कहने को कचहरी के सभी गेटों पर कैमरे लगे हैं लेकिन चालू हालत में नहीं है। जिससे आये दिन वकीलों व वादकारियों की साइकिल व मोटरसाइकिल गायब हो जाती है। यदि कैमरे चालू हालत में रहें तो चोर उचक्कों का पता भी आसानी से लगाया जा सके। यही नहीं, कचहरी परिसर में स्थापित पुलिस चौकी सिर्फ नाम की है, जो कमजोर लोगों को भले रोक-टोक करके परेशान करती है लेकिन नेता व प्रभावशाली व्यक्तियों के वाहन को न रोकती है न टोकती है जो धड़ल्ले के साथ कचहरी परिसर में घूमते रहते हैं। पार्किंग व्यवस्था न होने से परेशानी कलेक्ट्रेट में पार्किंग की व्यवस्था न होने के कारण बाहरी वाहनों का जमावड़ा रहता है जिससे अक्सर जाम की स्थिति रहती है। बाहरी लोग अपना वाहन कलेक्ट्रेट में खड़ा करके दिनभर काम निपटाते हैं और शाम को अपना वाहन लेकर चले जाते हैं। यही नहीं कचहरी से गेट नंबर दो के आसपास वाहन खड़े होने से अक्सर जाम लगा रहता है। मुकदमे के निस्तारण को होती है फर्जी आंकड़ेबाजी महिला वकीलों का कहना है कि राजस्व अदालतों में तमाम मुकदमे वर्षों से लंबित हैं। लेकिन शासन के चाबुक से बचने के लिए अधिकारियों ने उसकी तरकीब निकाल ली। लंबित पड़े सैकड़ों मुकदमों को खारिज कर निस्तारित दिखाया जाता है। इसके बाद इन्हीं मुकदमों में वाद दायर स्वीकार कर नया मुकदमा शुरू कर दिया जाता है। इस खेल में जनता भले फेल हो लेकिन अधिकारी शासन की नजर में पास हो जाते हैं। इससे वादकारी हताश हो जाते हैं। प्रस्तुति: सीपी तिवारी बोलीं महिला अधिवक्ता -------------------------------- अदालतों पर महिला वकीलों को बैठने की समुचित व्यवस्था न होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार भीड़ की वजह से काफी दिक्कत होती है। हाईकोर्ट की तरह यहां भी वकीलों को अपनी बात रखने के लिए पोडियम बनाया जाए। -रजनी त्रिपाठी कचहरी में एक अदद कैंटीन की व्यवस्था नहीं है। कामकाज से फुरसत मिलने पर अगर एक कप चाय पीना हो तो परिसर से बाहर जाना पड़ता है। इसके लिए अरसे से मांग की जा रही है लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। -आशा मिश्रा कचहरी में चारों तरफ गंदगी फैली रहती है। सफाईकर्मी यहां नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं करते हैं। जिम्मेदार भी इस संबंध में कोई कठोर कदम नहीं उठाते हैं। कचहरी परिसर भी लकदक रहना चाहिए। -फरनाज खातून अदालतों पर मुकदमे की पैरवी अथवा बहस सुनने के लिए काफी भीड़ होती है। महिलाओं के लिये अलग डायस की व्यवस्था न होने से काफी समस्या होती है। इस दिशा में न्याय प्रशासन को विचार करना चाहिए। -अन्नू खान कलेक्ट्रेट और कचहरी परिसर में महिला अधिवक्ताओं के लिए पर्याप्त चेंबर न होने के कारण आंधी, पानी, बरसात में काफी परेशानी होती है। वहीं बंदरों के आतंक की वजह से काम करना दुश्वार है। कई बार जरूरी कागजात बंदर फाड़ देते हैं। -सुधा मिश्रा कचहरी परिसर में शौचालय गंदगी से पटे पड़े हैं। सिविल कोर्ट के अलावा कलेक्ट्रेट में भी महिला वकीलों के लिए पिंक टॉयलेट की व्यवस्था कराई जाए। हमारी मूलभूत सुविधाओं की तरफ जिम्मेदार अफसरों को ध्यान देना चाहिए। -नीरू एडवोकेट बोले जिम्मेदार --------------------------- सिविल कोर्ट परिसर में नौ और कलेक्ट्रेट में एक शौचालय बना है। इनमें साफ-सफाई न होने से लोग उसमें जाने से कतराते हैं। चाहें महिला अधिवक्ता हों या पुरुष, शौचालय की समस्या दोनों ही परेशान हैं। महिला अधिवक्ताओं के लिए कॉमन रूम बनवाने की मांग की जाएगी। -राम बुझारथ द्विवेदी, अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन कचहरी परिसर में साफ-सफाई न होने से गंदगी का साम्राज्य है। सफाई कर्मचारी अधिकारियों के बंगलों व कार्यालयों के अलावा और कहीं साफ-सफाई नहीं करते। इसके लिए जिम्मेदारों से मिलकर कार्रवाई की मांग की जाएगी। -सुरेंद्र कुमार मिश्रा, अध्यक्ष, सिविल बार एसोसिएशन
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