Gorakhpur Industries 902 Units Lack Production Certification Amid Regulatory Scrutiny गीडा ने 902 औद्योगिक इकाइयों से उत्पादनरत होने का मांगा प्रमाण, Gorakhpur Hindi News - Hindustan
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गीडा ने 902 औद्योगिक इकाइयों से उत्पादनरत होने का मांगा प्रमाण

Gorakhpur News - गीडा में आवंटित 1034 भूखंडों में से केवल 127 पर उत्पादन का साक्ष्य गोरखपुर, वरिष्ठ

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरWed, 9 April 2025 07:01 AM
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गीडा ने 902 औद्योगिक इकाइयों से उत्पादनरत होने का मांगा प्रमाण

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 902 औद्योगिक इकाइयों से उत्पादनरत होने का प्रमाण मांगा है। तमाम उद्यमियों के पास इसे लेकर जरूरी दस्तावेज नहीं है। जिससे उद्यमियों में हड़कंप की स्थिति है। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज ने गीडा प्रशासन ने उत्पादनरत यूनिट के मानकों को सरल करने की मांग की है।

प्रदेश में संचालित उद्योगों की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए शासन स्तर काफी सक्रियता बढ़ा दी गई है। गीडा प्रशासन से भी इस संबंध में रिपोर्ट तलब की गई है। इसके बाद गीडा प्रशासन ने गीडा औद्योगिक क्षेत्र की उद्योगों की रिपोर्ट तैयार की है। इसमें 90 प्रतिशत से ज्यादा ऐसे उद्योगों को उत्पादनरत नहीं होने की सूची में रखा गया है। दरअसल गीडा प्रशासन ने गीडा उद्योगों की स्थापना के लिए अब तक 1034 भूखंडों का आवंटन किया है। लेकिन, गीडा प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार अभी केवल 127 ही ऐसे उद्योग हैं, जिनमें उत्पादन होता है। 902 औद्योगिक इकाइयां ऐसी हैं, जिन्हें उत्पादनरत नहीं होने वाले उद्योगों की श्रेणी में रखा गया है। क्योंकि इन उद्योगों के पास उत्पादनरत इकाई होने का सर्टिफिकेट नहीं है। इनमें तो कई औद्योगिक इकाइयां ऐसी हैं, जिनकी स्थापना करीब तीन दशक से भी ज्यादा पहले किया गया है। इन सभी औद्योगिक इकाइयों से उत्पादनरत होने का प्रमाणपत्र मांगा गया है।

उद्योग स्थापना के लिए भूखंड आवंटन के दो साल के अंदर उत्पादन शुरू कर देने का प्रावधान है। इसके बाद उद्यमियों को समय विस्तारण शुल्क देना पड़ता है। वहीं, पांच साल तक उद्योगों की स्थापना नहीं करने पर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के द्वारा भूखंडों का आवंटन निरस्त करने का भी खतरा बना रहता है। इस वजह से जिन उद्यमियों के पास अपनी फैक्ट्री के उत्पादनरत संबंधी जरूरी दस्तावेज नहीं है, उनके सामने काफी परेशानी पैदा हो गई है। उद्यमी इसके लिए काफी मशक्कत कर रहे हैं। चेंबर आफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह ने कहा कि पहले प्रावधान था कि उद्यमियों के द्वारा फैक्ट्री में बिजली कनेक्शन संबंधी लाल पर्ची उपलब्ध करा देने पर उत्पादनरत उद्योग मान लिया जाता था। ऐसे में गीडा प्रशासन से मांग है कि उत्पादनरत फैक्ट्री संबंधी प्रमाणपत्र के प्रावधान का सरलीकरण कर दिया जाए।

शासन स्तर पर औद्योगिक स्थिति के संबंध मॉनिटरिंग की जा रही है। गीडा के 902 उद्योग उत्पादनरत श्रेणी में नहीं हैं। इनकी लिस्ट जारी की गई है। इन सभी औद्योगिक इकाइयों को उत्पादनरत संबंधी प्रमाणपत्र जमा करना है। इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

अनुज मलिक, सीईओ, गीडा

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