हम खुशी-खुशी आए थे और अब रोते हुए जा रहे, वापस लौटते ही छलक पड़ा पाकिस्तानी महिलाओं का दर्द
हम पाकिस्तान से 12 साल बाद खुशी-खुशी आए थे कि यहां खूब एंजॉय करेंगे। हमें नहीं पता पहलगाम में कौन आतंकवादी है, किसने किया क्या किया? जिसने भी किया बहुत बुरा किया। अल्लाह ताला सब देख रहा है।

हम पाकिस्तान से 12 साल बाद खुशी-खुशी आए थे कि यहां खूब एंजॉय करेंगे। हमें नहीं पता पहलगाम में कौन आतंकवादी है, किसने किया क्या किया? जिसने भी किया बहुत बुरा किया। अल्लाह ताला सब देख रहा है। अल्ला बहुत बड़ा है, वो देख रहा है ये जो भी हैं, मुसलमान हों या हिन्दू। हमें दिली तकलीफ हो रही है। हम खुशी-खुशी आए थे और अब रोते हुए जा रहे हैं। हम यहां नुमाइश देखने आते थे। बहुत ही दुख की बात है, कोई भी इस घटना से खुश नहीं है। ऊपरवाला बेहतर करे दोनों मुल्कों के रिश्ते कायम रहें।
यह अल्फाज पाकिस्तानी महिलाओं के हैं। बुलंदशहर में यह महिलाएं अपने रिश्तेदार के घर आई थीं। अभी कुछ दिन ही बीते थे कि आतंकवादियों के नापाक हरकतों से उन्हें वापस पाकिस्तान लौटना पड़ रहा है। गुरुवार को बुलंदशहर से बाघा-अटारी बॉर्डर के लिए रवाना होते समय रुदाबा, नौशाबा, खालिदा और सबाहत का दर्द सामने आ गया। उन्होंने आतंकवादियों को जमकर कोसा। उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले स्याना में अपने मायके स्याना आई थीं। अब वापस जा रहे हैं।
रामपुर रिश्तेदारी में आए पाकिस्तानी दंपति को छोड़ना होगा भारत(ऑल)
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को लेकर कई सख्त फैसले लिए हैं, जिनका असर अब रामपुर में भी दिखने लगा है। यहां एक पाकिस्तानी दंपति,जो विशेष उद्देश्य प्रवेश वीजा (एसपीईएस) पर रामपुर आए थे। लेकिन, अब भारत सरकार के आदेशों के चलते उन्हें देश छोड़ना होगा। रामपुर के तमाम लोगों की पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में रिश्तेदारियां हैं। कई ने अपनी बेटियां पाकिस्तान में बिहा दीं हैं तो कई पाकिस्तान की बेटी से निकाह कर भारत ले आए। कुछ के मामले ऐसे भी हैं जिनमें बच्चे भी पाकिस्तानी नागरिक हैं। लेकिन, यहां अब उन्हें सालों हो गए हैं। ऐसा ही एक मामला यहां सामने आया है।
पाकिस्तान के कराची शहर के अजीजाबाद निवासी इंशा उल्लाह की शादी रामपुर निवासी सलीम बेगम खान से हुई थी। शादी के बाद से वह बच्चे और पत्नी के साथ पाकिस्तान में रह रहे हैं। दस अप्रैल को दंपति 45 दिन के वीजा पर रामपुर आए थे। तब से सलीम बेगम शहर कोतवाली क्षेत्र में अपने भतीजे के यहां रह रही हैं। लेकिन,हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई जवानों की जान चली गई। इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान से संबंध अब नरमी के नहीं, बल्कि सख्ती के दौर में होंगे। सुरक्षा एजेंसियों को कड़ा निर्देश दिया कि देश में रह रहे उन पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान की जाए जो किसी भी रूप में अनाधिकृत रूप से भारत में मौजूद हैं। एसपीईएस वीजा पर आए लोगों को 48 घंटे के अंदर देश छोड़ने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद दंपति को भी देश छोड़ना होगा।
36 पाकिस्तानी मांग रहे भारतीय नागरिकता
रामपुर में रह रहे 36 पाकिस्तानियों ने भारतीय नागरिता मांगी थी। वह लांग टर्म वीजा पर यहां आए तो अब यहीं के होकर रह गए। जिसके लिए उन्होंने कानूनी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। वहीं इस संबंध में भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान एंबेसी से पत्राचार भी शुरू हो चुका है।
अलीगढ़ में 12 दिन पहले जिले में आए तीन नए पाकिस्तानी नागरिक
पहलगाम हमले के बाद सरकार के आदेश को लेकर पाकिस्तानी नागरिकों की निगरानी बढ़ा दी गई है। जिले में 66 पाक नागरिक रह रहे हैं। इनमें कुछ 30-40 वर्षों से मौजूद हैं। वहीं, 12 दिन पहले ही तीन नए पाकिस्तानी नागरिक शॉर्ट टर्म वीजा पर आए हैं। इन्हें डिपोर्ट किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। देश में विदेशियों के आसान प्रवेश, उनके प्रवास को लेकर यह वीजा व्यवस्था तैयार की गई थी। इसके तहत 1985 से लेकर अब तक अलग-अलग तिथियों में पाकिस्तान मूल के कुल 66 लोग यहां आए हैं। शासन स्तर से अनुमति मिलने के बाद 57 लोग लॉंग टर्म वीजा पर यहां रह रहे हैं। जबकि नौ नागरिकों की प्रक्रिया लंबित है। अधिकतर वो लोग हैं, जो शादी करके यहां आ गए हैं। एलआईयू के पास इन सभी का रिकॉर्ड है। वहीं, तीन नागरिक 12 अप्रैल को किसी काम के सिलसिले से आए हैं। ये सभी शहर में ही रह रहे हैं। अब सरकार के आदेश के बाद इनको सूचित कर दिया गया है कि ये लोग वापस लौट जाएं। साथ ही इनको एलआईयू कार्यालय भी बुलाया गया है। इसके अलावा अन्य नागरिकों को लेकर अभी कोई आदेश नहीं आया है।
22 रोहिंग्या की भी हो रही निगरानी
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार जिले में 22 रोहिंग्या अपने परिवार के साथ यहां रह रहे हैं। ये सभी कोतवाली नगर क्षेत्र के मकदूम नगर इलाके में रहते हैं। इनके पास शरणार्थी कार्ड हैं। समय-समय पर एलआईयू की ओर से इनका सत्यापन किया जाता है।