Vivek Garg Achieves 114th Rank in UPSC After Three Attempts A Story of Perseverance and Support यूपीएससी परीक्षा पास करने में माता पिता की प्रेरणा रही अहम, Hapur Hindi News - Hindustan
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यूपीएससी परीक्षा पास करने में माता पिता की प्रेरणा रही अहम

Hapur News - इंटरव्यूसाल से सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाए रखी -सहपाठियों का साथ और मार्गदर्शन भी काम आया गढ़मुक्तेश्वर,

Newswrap हिन्दुस्तान, हापुड़Wed, 23 April 2025 02:20 AM
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यूपीएससी परीक्षा पास करने में माता पिता की प्रेरणा रही अहम

यूपीएससी परीक्षा पास कर 114वीं रैंक हासिल करने वाले होनहार बेटे विवेक गर्ग का कहना है कि अथक परिश्रम के बाद भी दो बार सफलता न मिलने से उसे काफी निराशा हुई थी, परंतु इसके बाद भी माता पिता द्वारा हौंसला बढ़ाते हुए तीसरी बार परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रेरित किए जाने पर उसने हिम्मत नहीं हारी। प्रतिदिन बारह से लेकर चौदह घंटे तक नियमित तौर पर पढ़ाई करते हुए तैयारी में जुटा रहा, जिसके चलते तीसरे प्रयास में उसे आखिरकार मनचाही सफलता हासिल हुई है। कोरोना काल के दौरान यूपीएससी परीक्षा पास करने का लक्ष्य तय करते हुए चार साल से सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बनाई हुई थी। --सहपाठियों का साथ और मार्गदर्शन भी खूब काम आया

विवेक गर्ग का कहना है कि उसके सर्किल में छह सहपाठी शामिल थे, जिनसे हर समय आगे बढऩे की प्रेरणा के साथ ही हौंसला बढ़ाने वाला मार्गदर्शन भी मिलता रहा।

--सफलता के लिए स्ट्रांग विल पावर और डिटर्मिनेशन का होना सर्वाधिक जरूरी

विवेक गर्ग का कहना है कि जो स्टूडेंट्स यूपीएससी समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अपनी विल पावर को पूरी तरह स्ट्रांग रखने के साथ ही डिटर्मिनेशन के साथ कठिन परिश्रम ओर सच्ची लगन से तैयारी करनी चाहिए। क्योंकि तैयारी से जुड़ी बेहद लंबी प्रक्रिया होने के कारण इसके बिना सफलता मिल पाना किसी भी सूरत में आसान नहीं है।

--माता पिता फूले नहीं समा रहे, बहन भी हो रहीं गदगद

होनहार बेटे विवेक द्वारा यूपीएससी परीक्षा पास करते हुए 114 वीं रैंक हासिल करने की खुशी में पिता अजय गर्ग और मां दीपा गर्ग फूले नहीं समा रहे हैं। जिनका कहना है कि दो बार सफलता न मिलने पर बेटे को काफी निराशा हुई थी, परंतु उन्होंने हौंसला नहीं टूटने दिया और लगातार हिम्मत बढ़ाते हुए तीसरी बार परीक्षा में शामिल होने की प्रेरणा देते रहे। बहन लवी और शीतल भी भाई का कामयाबी से गदगद हो रही हैं, जिनका कहना है कि वे भी अपने भैया विवेक गर्ग की हिम्मत बढ़ाते हुए उसे तीसरे प्रयास में अवश्य ही सफलता मिलने को लेकर प्रेरित करती रहती थीं।

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