Farmers in Kannauj Struggle with Low Prices for Watermelon and Cucumber Amid Rising Costs बोले कन्नौज:मंडी बनवाएं..बिचौलियों से भी बचाएं, Kannauj Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsKannauj NewsFarmers in Kannauj Struggle with Low Prices for Watermelon and Cucumber Amid Rising Costs

बोले कन्नौज:मंडी बनवाएं..बिचौलियों से भी बचाएं

Kannauj News - कन्नौज के किसान तरबूज और ककड़ी की खेती में उचित मूल्य न मिलने के कारण घाटे में हैं। मौसम की मार, बिचौलियों की मनमानी और महंगे बीज-खाद से परेशान ये किसान अब तरबूज की खेती से दूरी बनाने पर मजबूर हो रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजSat, 10 May 2025 12:47 AM
share Share
Follow Us on
बोले कन्नौज:मंडी बनवाएं..बिचौलियों से भी बचाएं

कन्नौज। कन्नौज में करीब पांच हजार बीघा में खीरा,ककड़ी और तरबूज की खेती होती है, लेकिन किसान उचित मूल्य नहीं मिल पाने के कारण घाटे में हैं। किसानों को कभी मौसम खराब होने से खराब की मार झेलनी पड़ती है तो कभी बाढ़ की विभीषिका। इस बार तरबूज भी धोखा कर रहा है। अच्छे मुनाफे की आस में तरबूज उगाने वाले किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाता है। तीन से चार रुपये प्रति किलो भाव मिल पाता है। ऐसे में वो तरबूज को खेतों से भी नहीं उठा रहे। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' से तरबूज किसानों ने कहा कि मंडी न होने से बिचौलिये मुनाफा कमा रहे हैं।

भीषण गर्मी में तरबूज की खेती करने वाले किसानों को हर साल घाटा होता है। बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी पर भारी खर्च करने के बावजूद बाजार में बिचौलियों का दबदबा बना हुआ है। व्यापारी सस्ते में फसल खरीदकर ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि किसान घाटे में रह जाते हैं। बढ़ती लागत और घटते मुनाफे से हताश किसान अब तरबूज की खेती से दूरी बनाने पर मजबूर हो रहे हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से परेशानी साझा करते हुए तरबूज किसान मोहनलाल ने कहा कि दिनों-दिन खनन और गंगा कटान से जमीनें कम हो रही है। हम लोग कैसे फसल उगाएं। जिले में तरबूज की मंडी बनाई जाए। गंगा की तलहटी में तरबूज, ककड़ी, खीरा की खेती करने वाले कटरी क्षेत्र के 40 गांवों के लोगों की जीविका प्रमुखता इसी व्यवसाय पर निर्भर करती है। हालांकि यह लोग गेहूं व धान की फसल भी उगाते हैं। बावजूद इसके तरबूज और ककड़ी की सीजन में इन लोगों को गुजर बसर के लिए ठीक-ठाक आमदनी हो जाती है। पिछले कई वर्षों से बालू खनन और अन्य कारणों से गंगा में कटान के चलते कटरी के कई किसानों की जमीनें गंगा में मिल चुकी हैं। लिहाजा अब इनके लिए खेती करने के लिए जमीन भी कम पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर मवेशियों की तादाद भी कटरी में बढ़ती जा रही है। नजर चूकते ही एक ही रात में मवेशी उनकी फसल को बर्बाद कर देते हैं । ऐसे में इन लोगों को इस कदर घाटा उठाना पड़ता है कि यह मुनाफे की बजाय कर्जे में डूब जाते हैं। कटरी में खेती करने वाले किसानों ने बताया कि जागरुकता के अभाव में इन लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता। अधिकारियों को कैंप लगाकर जागरूक करना चाहिए। धीरज ने बताया कि खेती के लिए अच्छे बीज और अच्छी खाद भी उपलब्ध नहीं होती। महंगाई के दौर में ट्रांसपोर्ट के बढ़ते खर्च के चलते इन लोगों के लिए अपनी फसल को बिक्री के लिए बड़ी बाजार में पहुंचाना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा कन्नौज में बनी अस्थाई मंडी में फसल स्टोरेज का भी अभाव रहता है। लिहाजा बाजार में अधिक फसल आने पर मिट्टी के भाव बेचनी पड़ती है और इनके हाथ कुछ नहीं लगता। उल्टा नुकसान झेलना पड़ता है। यह लोग जैसे तैसे शहर में फेरी लगाकर थोड़ी बहुत रोजमर्रा की कमाई कर लेते हैं। मेहनत के मुताबिक तरबूज किसानों को मुनाफा नहीं मिल पाता। 3 से 4 रुपये प्रति किलो भाव मिल पाता है। ऐसे में वो तरबूज को खेतों से भी नहीं उठा रहे। कहीं न कहीं जिले के अधिकारी भी इनके लिए उदासीन हैं। कीटनाशक और उर्वरकों की बढ़ती लागत: तरबूज की अच्छी पैदावार के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों की जरूरत होती है, लेकिन इनकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। कई किसान महंगे रसायनों का खर्च वहन नहीं कर पाते, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों की इन समस्याओं को हल करने के लिए सरकार को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है। सीधे बाजार से जोड़ने की व्यवस्था करनी जरूरी है। किसानों को बड़े शहरों के थोक बाजारों से जोड़ने के लिए सरकार को एक व्यवस्थित तंत्र बनाना चाहिए। कृषि चक्र और फसल की चुनौतियां खरीफ मौसम में जून-जुलाई, जबकि गर्मी के मौसम में जनवरी-फरवरी में बुआई की जाती है। फसल मार्च-अप्रैल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। किसान दिन-रात मेहनत कर उम्दा गुणवत्ता वाले तरबूज उगाते हैं, लेकिन बाजार में औने-पौने दाम मिलने से वे परेशान रहते हैं। अगर सरकार उचित मूल्य निर्धारण और परिवहन लागत कम करने की दिशा में कदम उठाए, तो जिले के किसान अपनी मेहनत का सही फल पा सकते हैं। मंडी के अभाव में नहीं मिलते अच्छे दाम जिले में फल बिक्री के लिए कोई भी विकसित मंडी नहीं है। अस्थाई रूप से नवीन मंडी सरायमीरा में फलों की खरीद फरोख्त की जाती है। मस्तराम ने बताया कि यहां के आढ़तियों के लिए कोई भी रेफ्रिजरेशन व्यवस्था नहीं है न ही कोई गोदाम है। जहां पर फलों का स्टोरेज किया जा सके। ऐसे में मंडी में पहुंचने वाले तरबूज व ककड़ी खीरा को उसी दिन बेचना पड़ता है। लिहाजा व्यापारी अपने मनमाने ढंग से दाम निर्धारित करते हैं। जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो जाता है। अन्ना पशु बने तरबूज किसान के लिए मुसीबत शहरी इलाकों में घूम रहे आवारा पशुओं को लोग पकड़कर कटरी क्षेत्र में छोड़ देते हैं। वहीं ग्रामीण अंचलों के लोग भी आए दिन अन्ना मवेशियों के उत्पात से खासे परेशान हैं। प्रियांशू ने बताया कि इन दिनों कटरी में अन्ना मवेशियों का झुंड दिन-रात घूमता रहता है। मौका पाते ही पूरी फसल चट कर जाते हैं। इन मवेशियों के खतरे के चलते तरबूज किसानों को रात दिन खेत की रखवाली करनी पड़ती है। अन्ना मवेशी तरबूज व ककड़ी खीरा किसानों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। शिकायत 1. तरबूज, ककड़ी खीरा आदि की खेती करने वाले किसानों के सामने गुणवत्ता वाले बीज का संकट रहता है। स्थानीय बाजार में कई बार नकली और दोयम दर्जे का बीज किसानों को धोके से रखकर दे दिया जाता है। 2. गंगा किनारे के इलाके में रेती का दायरा लगातार कम होता जा रहा है। खनन के पट्टे के नाम पर रेती की जमीन खनन करने वालों को दे दी जाती है। 3. शहरी इलाकों में मवेशियों को पकड़कर कटरी के इलाके में छोड़ दिया जाता है। 4. मंडी समिति में इनकी उपज को स्टोरेज करने का कोई इंतजाम नहीं है। यही वजह है कि किसानों को मजबूरी में कम दामों में अपनी उपज बेचनी पड़ती है। इससे किसानों का नुकसान हो रहा है। सुझाव 1. ककड़ी, खीरा और तरबूज की खेती करने वाले किसानों के सामने बीज की गुणवत्ता की समस्या है। इस पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए ताकि किसानों को बेहतर बीज और खाद आदि मुहैया हो सके। 2. मंडी समिति के परिसर में किसानों की खराब होने वाली फसल के स्टोरेज को लेकर व्यवस्था होनी चाहिए। 3. अन्ना मवेशियों को गोशालाओं में संरक्षित किया जाए। ताकि खुले में घूम रहे अन्ना मवेशियों की चहलकदमी न हो और किसानों की फसलें सुरक्षित रहें। 4. ककड़ी, खीर और तरबूज जैसी मौसमी फसलों की खेती करने वाले किसानों को जमीन के पट्टे मुहैया कराने में आसानी हो, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। ताकि भूमिहीन किसानों को इसका लाभ मिले । बोले किसान मवेशियों की तादाद भी कटरी में बढ़ती जा रही है। नजर चूकते ही एक ही रात में मवेशी उनकी फसल को बर्बाद कर देते हैं । इससे घाटा उठाना पड़ता है। - प्रियांशू मंडी में फसल स्टोरेज का भी अभाव रहता है लिहाजा बाजार में अधिक फसल आने पर मिट्टी के भाव बेचनी पड़ती है। इससे नुकसान झेलना पड़ता है। -संदीप खेती के लिए अच्छे बीज और खाद भी उपलब्ध नहीं होती। इसके चलते किसानों की उपज बेहतर नहीं हो पाती। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। मोहनलाल महंगाई के दौर में ट्रांसपोर्ट का बढ़ता खर्च किसानों के लिए परेशानी का सबब है। फसल को बिक्री के लिए बाजार में पहुंचाना मुश्किल होता। -धीरज बोले जिम्मेदार नकली बीजों और अन्य किसी तरह की शिकायत है तो किसानों को भी जागरूक होना चाहिए। जिस दुकान से बीज खरीदें उनका पक्का बिल लें और अपने पास सुरक्षित रखें। किसी तरह की गड़बड़ी पर बिल का आधार बनाकर दुकानदार के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा कृषि विभाग समय समय पर किसानों को योजनाओं की जानकारी देता रहता है। - आवेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।