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महर्षि दयानंद ने दिलाया महिलाओं को वेदमंत्र पढ़ने का अधिकार

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Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरSun, 13 April 2025 07:26 PM
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महर्षि दयानंद ने दिलाया महिलाओं को वेदमंत्र पढ़ने का अधिकार

कानपुर। आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश से आए विद्वान आचार्य आर्य नरेश ने कहा कि महिलाओं को वेद-गायत्री मंत्र पढ़ने का अधिकार नहीं था। यह अधिकार महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने दिलाया। आज भी कई महंत कहते हैं कि महिलाओं को वेदमंत्र नहीं पढ़ना चाहिए। वे सब कुंठित मानसिकता से ग्रसित हैं। लाजपत भवन में रविवार को जिला आर्य प्रतिनिधिसभा के आर्य महासम्मेलन में आर्य वीर दल एवं आर्य वीरांगना दल की बालिकाओं ने दण्ड व तलवारबाजी का साहसिक प्रदर्शन कर तालियां बटोरीं। दण्ड का पिरामिड बनाकर जब एक सेविका ने ऊपर खड़े होकर ओम का ध्वज फहराया तो पूरा हाल भारत माता की जय के उद्घोष से गूंज उठा।

आचार्य आर्य नरेश ने कहा कि देश की आजादी का सबसे पहले उद्घोष स्वामी दयानंद जी ने किया था। उन्होंने कहा, हमें गलत पढ़ाया गया कि आर्य बाहर से आए जबकि आर्यों का सारे विश्व में राज था। दयानंद ने भारत के अंदर गोशालाओं की स्थापना की। गुरुकुल स्थापित करवाए। छूआछूत खत्म कराया। कन्या विद्यालय बनवाए।

उन्होंने सफलता के पांच सूत्र बताते हुए कहा कि ओम का ध्यान, गोभक्त संस्कारी संतान, यज्ञ का अनुष्ठान, वेद का ज्ञान व राष्ट्र हित के लिए बलिदान करने से ही हम सफल होंगे। नारी शिक्षा एवं विधवा विवाह के लिए तथा छुआछूत जातिवाद, अंधविश्वास जैसी कुप्रथाओं को दूर करने के लिए आर्य समाज ने बड़ा संघर्ष किया।

प्रोफेसर डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री ने कहा, सनातन धर्म का मूल वेद है। वेद का प्रसार ही आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य है। वेदों से विमुखता ही सारे अधर्मों का मूल है। आर्य वीर दल के प्रदेश संचालक पंकज शर्मा ने कहा कि आर्य वीर दल आर्य संस्कृति की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है। कैलाश कर्मठ ने भजनों की शानदार प्रस्तुति दी।

सम्मेलन में समाज के प्रतिष्ठित लोगों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इससे पूर्व वेदरत्न डा.श्रुतकीर्ति आर्य ने वेद मंत्रों ने यज्ञ कराया। अध्यक्षता प्रधान चंद्रकांता गेरा ने की। संचालन मंत्री आनंद आर्य ने किया। यहां अशोक आनंद, सुभाष आर्य, प्रकाश वीर आर्य, सुरेन्द्र कुमार गेरा, हरिश चंद्र कनोत्रा, अनिल चोपड़ा, सरला चौधरी, रोमा चौधरी, उदयवीर सिंह और विवेक आर्य आदि रहे।

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