आशिकी में मीर जैसे ख्वाब मत देखा करो..
Kanpur News - कानपुर में आईआईटी ने वसंत ऋतु के स्वागत में साहित्यिक संध्या वसंत काव्योत्सव का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कवियों और गजलकारों ने हास्य, व्यंग्य, प्रेम, प्रकृति और भारतीय संस्कृति पर आधारित रचनाएँ...

कानपुर। वसंत ऋतु सदैव कवियों की प्रिय रही है, एक ऐसा मौसम जब मन नये भावों से भर उठता है। प्रकृति के इस उत्सव में मनुष्य भी स्वाभाविक रूप से शायरी, कविता और गजलों की ओर आकर्षित होता है। आईआईटी, कानपुर में मंगलवार को वसंत ऋतु के स्वागत में साहित्यिक संध्या वसंत काव्योत्सव का आयोजन हुआ। हिन्दी साहित्य सभा, राजभाषा प्रकोष्ठ और शिवानी सेंटर फॉर नर्चर एंड रिइंटीग्रेशन ऑफ हिन्दी एंड अदर लैंग्वेजेस ने कवियों और गजलकारों को मंच प्रदान किया। हास्य, व्यंग्य, प्रेम, प्रकृति और भारतीय संस्कृति आदि को काव्य में श्रोताओं को परोसा। आशिकी में मीर जैसे ख्वाब मत देखा करो, बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो... आदि पंक्तियों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। प्रो. भारत लोहानी, प्रो. संतोष कुमार मिश्रा, अनिल कुमार पांडेय, रामजीत यादव, शिप्रा ज्ञानेंद्र सिंह, प्रतीक रंजन डाफ्टुआर, बुरहानुद्दीन मर्चेंट, सौम्या मिश्रा और वंशिका आदि ने काव्यपाठ किया। सभी ने अपनी स्वरचित रचनाओं के माध्यम से वसंत की मिठास और प्रकृति की रंगीन छटा को अभिव्यक्त किया।
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