मां-बाप का छिन गया साया, इंसानियत ने थामा अनाथों का हाथ
Kushinagar News - कुशीनगर के जंगल बकुलहा गांव में छह अनाथ बच्चों की जिंदगी में इंसानियत की एक नई किरण आई है। उनके माता-पिता की मृत्यु के बाद, समाजसेवी पप्पू पांडेय ने इन बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी उठाई है। उन्होंने...

कुशीनगर। जिंदगी जब सबसे कठिन मोड़ पर खड़ी हो, ऐसे ही एक दर्दनाक हालात से गुजर रहे छह मासूमों की जिंदगी को इंसानियत ने एक बार फिर उम्मीद दी है। पडरौना ब्लॉक के जंगल बकुलहा गांव निवासी सावर मद्धेशिया और उसकी पत्नी पूनम की मौत के बाद उसके छह नन्हे बच्चों पर से दुनिया का हर सहारा उठ गया। टीबी से पीड़ित पिता की मौत और फिर प्रसव के 10 दिन बाद मां का देहांत इन हादसों से बच्चों को जिंदगी को उस मोड़ पर ले आया, जहां न छत थी, न रोटी, न दुलार। ऐसे परिस्थिति में इन अनाथ बच्चों को गोद लेकर समाजसेवी और भाजपा नेता पप्पू पांडेय ने जो सहारा दिया है उससे इंसानियत की मिसाल पेश की है।
जंगल बकुलहा ब्राह्म स्थान टोल में इंसानियत की मिसाल उस वक्त देखने को मिली, जब भाजपा के वरिष्ठ नेता पप्पू पाण्डेय ने छह अनाथ बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। यह हृदयविदारक घटना सावर मद्धेशिया और उनकी पत्नी पूनम की मृत्यु के बाद सामने आई, जिनके छह नन्हे बच्चों पर से माता-पिता का साया उठ चुका है। सावर टीबी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और पांच महीने पूर्व उनका निधन हो गया। पत्नी पूनम का निधन प्रसव के दस दिन बाद हो गया, जिससे परिवार पूरी तरह उजड़ गया। उनके निधन के बाद सबसे बड़ा बेटा 12 वर्षीय सचिन मजदूरी करने निकल पड़ा, ताकि छोटे भाई-बहनों का पेट भर सके। आठ माह की लक्ष्मी और आठ साल की काजल को कुछ लोग देखभाल के लिए अपने घर ले गए, लेकिन बाकी तीन बच्चे रोशनी (6), टीयन (5) और सुशीला (4) बिना सहारे और सुरक्षा के अकेले रह गये। इसकी जानकारी मिलते ही पप्पू पाण्डेय उनके घर पर पहुंचे और बच्चों की दयनीय हालत देखकर भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि ये तीनों बच्चे जब तक आत्मनिर्भर नहीं हो जाते, तब तक उनकी पूरी जिम्मेदारी वह और उनकी टीम उठायेगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन और निवास सहित हर तरह की व्यवस्था करेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा धर्म अनाथों की सेवा है। समाज के सभी सक्षम लोगों को आगे आकर इस तरह के बच्चों के जीवन को संवारने की दिशा में काम करना चाहिए। यह सिर्फ एक घोषणा नहीं बल्कि उस मानवता की पुकार है, जो आज भी जिंदा है। इस दौरान वहां पर मौजूद रहे हिमांशु गुप्ता, गोविंद कुशवाहा और रूना मद्धेशिया सहित अन्य लोगों ने भी इस पहल की सराहना की और सहयोग का आश्वासन दिया।
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