Kushinagar Delays in RRC Center Construction Hinder Waste Management under Swachh Bharat Mission Phase-1 पांच साल में बाद भी छह गांवों में नहीं खोज पाए आरआरसी की जमीन, Kushinagar Hindi News - Hindustan
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पांच साल में बाद भी छह गांवों में नहीं खोज पाए आरआरसी की जमीन

Kushinagar News - कुशीनगर में स्वच्छ भारत मिशन के फेज-1 के तहत 116 ग्राम पंचायतों को चिह्नित किया गया था। हालांकि, हाटा, पडरौना, नेबुआ नौरंगिया और सेवरही ब्लॉक के कुछ गांवों में 5 वर्षों बाद भी आरआरसी केंद्र के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरTue, 13 May 2025 08:14 AM
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पांच साल में बाद भी छह गांवों में नहीं खोज पाए आरआरसी की जमीन

कुशीनगर। स्वच्छ भारत मिशन के फेज-1 के तहत वर्ष 2021-22 में जिले के 116 ग्राम पंचायतों को चिह्नित किया गया था। इसमें कूड़े का निस्तारण के लिये आरआरसी सेंटर का निर्माण कराने के लिये सभी ग्राम प्रधानों ने खाते में शासन द्वारा धन भी भेजा गया। इसमें से विभिन्न ब्लॉकों के आधा दर्जन ऐसे गांव है, जिन्हें आरआरसी केंद्र बनाने के लिये अभी पांच वर्ष बाद भी जमीन नहीं उपलब्ध करा सके। इससे इन गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन और स्वच्छता से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन अधर में लटका हुआ है। गावों को शहरों की तरह स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिये शासन की ओर से स्वच्छ भारत मिशन फेज-1 के तहत हर गांव में आरआरसी भवन, डस्टबिन और कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था की कई है।

इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रधानों के खातों में धनराशि भी ट्रांसफर कर दी गई है। इसमें लगभग चिह्नित लगभग गांवों में आरआरसी केंद्र बनाकर वहां कूड़ा निस्तारण का कार्य भी हो रहा है, लेकिन हाटा, पडरौना, नेबुआ नौरंगिया व सेवरही ब्लॉक के लगभग आधा दर्जन ऐसे गांव है, जहां के जिम्मेदारो द्वारा पांच वर्ष के बाद भी आरआरसी केंद्र निर्माण कराने के लिये भूमि तक उपलब्ध नहीं करा सकें है। इसके लिये पंचायती राज विभाग और राजस्व विभाग के बीच कई बार पत्राचार हो चुका है, लेकिन जमीन के आवंटन में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। वहीं कई ऐसे गांव के प्रधान है, जिन्होंने आरआसी सेंटर नहीं बनाया और कूड़ा ढोने के लिये ई- रिक्शा की खरीदारी कर लिया है। इससें ई-रिक्शा का भी कोई प्रयोग नहीं हो रहा। इससे ये धन का दुरुपयोग ही कहा जा रहा है। इन गांवों में जमीन नहीं मिलने से दिक्कत आ रही है। इसके लिये राजस्व विभाग से जमीन उपलब्ध कराने के लिये पत्राचार किया जा रहा है। संबंधित गांव में सरकारी जमीन मिलने पर स्वच्छता से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं का निर्माण समय पर हो सके। -आलोक कुमार प्रियदर्शी- डीपीआरओ -------------- कुछ ग्राम प्रधानों ने बताया कि वे लंबे समय से राजस्व विभाग से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन सरकारी जमीन या किसी उपयुक्त स्थल की पहचान नहीं हो पा रही है। कई जगह ग्रामीणों द्वारा भी जमीन देने में अनिच्छा जताई जा रही है। नन्दू मिश्रा- प्रबंधक , स्वच्छ भारत मिशन

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