kyampur village of ghazipur in up is in the news people collected funds and built a bridge over the magai river चर्चा में है यूपी के गाजीपुर का ये गांव, लोगों ने चंदा जुटाकर मगई नदी पर बना दिया पुल, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़kyampur village of ghazipur in up is in the news people collected funds and built a bridge over the magai river

चर्चा में है यूपी के गाजीपुर का ये गांव, लोगों ने चंदा जुटाकर मगई नदी पर बना दिया पुल

  • मगई नदी यूपी के आजमगढ़ जिले के दुबावन गांव से निकलकर मऊ और गाजीपुर जिलों से होकर बलिया जिले में तमसा नदी से मिलती है। तमसा नदी अंततः बलिया जिले के पास गंगा नदी में मिलती है। पुल न होने से ग्रामीणों को मुश्किल झेलनी पड़ती है। क्‍यामपुर के लोग चंदा जुटाकर और श्रमदान करके मगई नदी पर पुल बना रहे हैं।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानMon, 21 April 2025 10:22 AM
share Share
Follow Us on
चर्चा में है यूपी के गाजीपुर का ये गांव, लोगों ने चंदा जुटाकर मगई नदी पर बना दिया पुल

यूपी के गाजीपुर के नोनहरा क्षेत्र के क्‍यामपुर छावनी गांव आजकल चर्चा में है। यहां लोग आपस में चंदा जुटाकर और श्रमदान करके मगई नदी पर पुल बना रहे हैं। गांववालों का कहना है कि दशकों तक इंतजार के बाद पुल के लिए उन्‍होंने खुद से पहल की। पुल बन जाने से क्‍यामपुर के अलावा कादीपुर, उसरी, भोपतपुर, वासुदेवपुर, पठनपुरा, डिहवा, परसुपुर, बलुआ, मोलनापुर, अरार, सवना, अरजानीपुर, बहादीपुर सहित कम से कम तीन दर्जन गांव के लोगों के लिए बड़ी सहूलियत होगी।

मगई नदी यूपी के आजमगढ़ जिले के दुबावन गांव से निकलकर मऊ और गाजीपुर जिलों से होकर बलिया जिले में तमसा नदी से मिलती है। तमसा नदी अंततः बलिया जिले के पास गंगा नदी में मिलती है। पुल न होने से ग्रामीणों को मुश्किल झेलनी पड़ती है। टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक नदी के ठीक बगल में बसा 3,500 की आबादी वाला क्यामपुर गांव सबसे बुरी स्थिति में है, जबकि नदी के दोनों किनारों पर 70,000 से अधिक आबादी वाले लगभग 50 गांवों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 10 किमी से भी कम की वास्तविक दूरी तय करने के लिए 40 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है।

ये भी पढ़ें:खेत में बैग देख अवाक रह गए किसान, पुलिस ने खोला तो निकली लाश; देवरिया में हड़कंप

नदी के दूसरी ओर बच्चों को स्कूल ले जाने वाली नावों के पलटने की घटनाएं भी पूर्व में हो चुकी हैं। क्यामपुर और 20 से अधिक गांवों के निवासी नोनहारा बाजार तक पहुंचने के लिए ऊबड़-खाबड़ सड़क पर लगभग 15 किमी की यात्रा करने से बचने के लिए हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर जर्जर नावों में नदी पार करते हैं, जो जिला मुख्यालय और जिला अस्पताल से तीन किलोमीटर दूर है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि वे नोनहारा या मोहम्मदाबाद के रास्ते जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए अन्य मार्गों का विकल्प चुनते हैं तो 30-45 किलोमीटर तक की यात्रा करना मजबूरी बन जाती है।

क्‍यामपुर में जून 2022 में बदलाव की हवा चलनी शुरू हुई। इस गांव की तत्कालीन ग्राम प्रधान शशि कला उपाध्याय ने कासिमाबाद के ब्लॉक प्रमुख मनोज गुप्ता की मदद से भविष्य में वाहनों के लिए पुल बनाने के प्रावधानों के साथ नदी के किनारे तटबंध पर काम शुरू कराया। हालांकि, मनरेगा के तहत शुरू की गई इस परियोजना में प्रशासनिक बाधाएं आईं और इसे बीच में ही रोक दिया गया। फिर ऐसा हुआ कि जनवरी 2024 में भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स की 55 इंजीनियर रेजिमेंट के सिविल इंजीनियर कैप्टन (सेवानिवृत्त) रवींद्र यादव अपनी सेवानिवृत्ति के बाद क्यामपुर में अपने पैतृक घर में रहने आ गए।

ये भी पढ़ें:नीले ड्रम और सांप के बाद सूटकेस, यूपी में एक और पति का बेरहमी से कत्‍ल

रवीन्‍द्र यादव बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद गांव आने पर उन्‍हें यह देखकर निराशा हुई कि उनके पैतृक गांव का अभी भी जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क नहीं है। इसलिए, उन्‍होंने इस बारे में कुछ करने का फैसला किया और सौभाग्य से उन्‍हें ग्रामीणों और प्रभावशाली व्यक्तियों से जबरदस्त समर्थन मिला। इनमें आर्किटेक्ट और ब्रिज इंजीनियर शामिल थे, जिनसे वह अपनी सेवा के दौरान मिले थे। लोगों ने अपनी तरफ से जो भी संभव था, वह दिया। 100 रुपए जितना छोटा-मोटा दान भी मिला। जिनके पास पैसे नहीं थे, उन्होंने सीमेंट, रेत, स्टील की छड़ें आदि जैसी चीजें दान में दीं। कुछ लोगों ने अपना काम खत्म करने के बाद पुल पर काम करने की पेशकश की। रविंद्र ने नदी पर 105 फीट लंबे पुल का डिजाइन तैयार किया और परियोजना फिर से शुरू करने के लिए तैयार हो गई।

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार गांववालों के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने 25 फरवरी, 2024 को पुल के भूमि-पूजन समारोह के लिए गांव का दौरा किया। अपने संक्षिप्त भाषण में, न्यायमूर्ति यादव ने इस अकल्पनीय काम को करने के लिए स्थानीय निवासियों के प्रयासों और भावना की भरपूर प्रशंसा की। अब तक दोनों किनारों पर रिटेनिंग वॉल बनाने के अलावा, चार खंभे खड़े किए गए हैं। वर्तमान में, ब्रह्म बाबा मंदिर बैंक और खंभों की पहली जोड़ी के बीच स्लैबिंग का काम चल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार पुल के लिए मिले योगदान और व्‍यय का लेखाजोखा रखने वाले कालिका ने बताया कि अब तक लगभग 65 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं और शेष गर्डर और स्लैब कार्यों के साथ-साथ एप्रोच रोड तक ढलान को पूरा करने के लिए 30 लाख रुपये की और आवश्यकता है।