गोमती को स्वच्छ और निर्मल बनाने के प्रयास शुरू
Lucknow News - गोमती नदी को स्वच्छ और जीवंत स्वरूप में लौटाने के लिए प्रशासन ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत नई कार्ययोजना बनाई है। इसमें सिस-गोमती और ट्रांस-गोमती क्षेत्रों के सीवर नेटवर्क को अलग करने की योजना है।...

सिस व ट्रांस गोमती की एसटीपी होगी अलग भरवारा एसटीपी पर निर्भरता कम करने की तैयारी लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। गोमती नदी को एक बार फिर उसके स्वच्छ और जीवन्त स्वरूप में लौटाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। वर्षों की उपेक्षा और योजनाओं की विफलता के बाद अब शासन ने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत समेकित प्रयास शुरू किए हैं। 7 अप्रैल को हुई स्टेट मिशन फॉर क्लीन गंगा की बैठक के बाद अब एक बार फिर सभी संबंधित विभागों को जिम्मेदारियों के साथ सक्रिय किया गया है। जल निगम के माध्यम से एलडीए, नगर निगम, सिंचाई विभाग और अन्य एजेंसियों की कमेटी बना दी गई है।
इनसे रिपोर्ट मांगी गई है। प्रशासन की नई कार्ययोजना का सबसे अहम बिंदु सिस-गोमती और ट्रांस-गोमती क्षेत्रों के सीवर नेटवर्क को अलग-अलग करना है। अब तक लखनऊ के बड़े क्षेत्र का सीवर भरवारा एसटीपी पर भेजा जाता था, जिससे न केवल अधिक भार पड़ता था बल्कि प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की अनदेखी भी होती थी। नई योजना के तहत दोनों क्षेत्रों के सीवर का स्थानीय स्तर पर उपचार कर उसे अलग-अलग एसटीपी में निस्तारित किया जाएगा। छह सदस्यीय समिति गठित जल निगम (ग्रामीण) ने गोमती पुनरुद्धार को लेकर छह सदस्यीय समिति गठित की है, जिसकी अध्यक्षता मुख्य अभियंता (गंगा) करेंगे। समिति में एलडीए, नगर निगम, जल निगम (नगरीय) और सिंचाई विभाग के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। यह समिति स्थलीय निरीक्षण के आधार पर एक समेकित रिपोर्ट देगी। तकनीकी सुझावों के साथ कार्ययोजना मांगी गई समिति से स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वह अपनी रिपोर्ट में केवल समस्याएं नहीं, बल्कि समाधान आधारित व्यवहारिक कार्ययोजनाएं प्रस्तुत करें। इसमें तकनीकी स्तर पर एसटीपी की क्षमता, नए सीवरेज नेटवर्क की आवश्यकता, डी-सेंट्रलाइज्ड ट्रीटमेंट यूनिट्स की संभावना और फाइनेंशियल एफिजियेंसी जैसे पहलुओं का गहराई से विश्लेषण किया जाना है।
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