डीएम साहब, मैं बूढ़ा मरा नहीं, इसकी सजा दे रहा बेटा
Lucknow News - कलक्ट्रेट जनता दर्शन में छलका 90 वर्षीय वृद्ध का दर्द सदर निवासी वृद्ध वाकर के

डीएम साहब...मैं और मेरी पत्नी जिंदा हैं, मरे नहीं, इसकी सजा मेरी औलाद हमें दे रही है। कलेक्ट्रेट में वॉकर के सहारे आए वृद्ध महेश (बदला हुआ नाम) फफक पड़े। उनको देखकर डीएम ने अन्य कार्य छोड़ कुर्सी पर बैठवाया। पानी मंगवाया और शिकायत सुनी। सदर निवासी वृद्ध की उम्र 90 साल है। कुछ समय पहले दुर्घटना में कूल्हे की हड्डी टूट जाने की वजह से वॉकर के सहारे चलना मजबूरी बन गई है। अपनी फाइलें और अर्जियां एक बैग में रखकर उसे गमछे से गले में लटकाया हुआ था। उन्होंने डीएम विशाख जी को बताया कि दुर्घटना हुई तो उनके बेटे ने नेहरू रोड स्थित मकान और दुकान पर कब्जा कर लिया। अब जहां मौजूदा समय पत्नी के साथ रह रहे हैं, वहां आसपास के मकान में पैठ बना ली है। बेटा लगातार परेशान कर रहा है। जिसे पाल पोसकर बड़ा किया, वही बेटा आज जान का दुश्मन बन चुका है। कहता है कि प्रॉपर्टी की वसीयत उसके नाम कर दूं। बुजुर्ग ने कहा कि...साहब कुछ ऐसा करिए कि मेरे बेटे को मेरी सम्पत्ति से कुछ न मिले। उसने हम बूढ़े माता पिता को बहुत सताया है। अब तक हम जिंदा हैं, इस पर भी अफसोस हो रहा है।
पुलिस को दिए निर्देश, फोन भी किया
बुजुर्ग की दिक्कत सुनने के बाद डीएम ने कैंट के एसीपी को कॉल कर पूरी बात बताई। साथ ही बुजुर्ग की संवेदनशीलता के साथ मदद करने को कहा। उनकी अर्जी पर लिखित निर्देश भी संबंधित थाने को जारी किए गए।
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