नाटक:सांवले रंग की युवती का लौटा टूटा हुआ आत्मविश्वास
Lucknow News - लखनऊ, संवाददाता। गोमती नगर के उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में मंचकृति की ओर

लखनऊ, संवाददाता। गोमती नगर के उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में मंचकृति की ओर से गुरुवार को तीन कहानियों का मंचन हुआ। धुएं के घेरे, हां मैं सुंदर हूं और इस ब्याही से तो कुंआरी भली थी कोठी नहीं कोठा तीनों ही कहानियां महिलाओं ने लिखी थी। पहली कहानी धुएं के घेरे में मध्यम वर्गीय परिवार के पति-पत्नी के संघर्षों के बाद व्यक्तिगत कुंठा को दिखाया गया। जहां पहले दोनों आर्थिक संकट से उबरने का प्रयास करते हैं, बाद में आपस में ही आरोप-प्रत्यारोप करने लगते हैं। लेखिका उमा (चौबे) त्रिगुणायत की इस कहानी में फरहाना फातिमा, अम्बरीश बॉबी का अभिनय लोगों को खूब भाया।
डॉ. निशा गहलोत की लिखी हां मैं सुन्दर हूं, महाविद्यालय में नौकरी करने वाली एक सांवली युवती सुमी की कहानी दिखाई गई। जहां सांवले रंग के कारण सुमी कई दफा अस्वीकार की जाती है। सद्गुणी और शिक्षित होने के बावजूद सांवलापन सुमी का आत्मविश्वास तोड़ देता है। इसके बाद सुमी की मुलाकात महाविद्यालय में एक युवक से होती है और इनका आत्मविश्वास लौट आता है। इस कहानी में निशु सिंह, दीपक मेहरा, ज्योति सिंह, शीलू मलिक, अशोक सिन्हा, संगम बहुगुणा ने उम्दा अदाकारी की। तीसरी कहानी डॉ. मधु चतुर्वेदी की लिखी इस ब्याही से तो कुंआरी भली थी कोठी नहीं कोठा का मंचन हुआ। इसमें धुमिता गांगुली, डॉ. राकेश कुमार, अनुराग शिवा ने अभिनय किया। तीनों नाटकों का निर्देशन संगम बहुगुणा और विकास श्रीवास्तव ने किया।
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