मनरेगा :: श्रमिकों के बजाय मशीनों से काम करने पर जांच के आदेश
नैनीताल हाईकोर्ट ने चकराता में मनरेगा कार्यों को मशीनों से कराने और ग्राम प्रधान की मिलीभगत के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को दो हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए...

नैनीताल, संवाददाता। हाईकोर्ट ने देहरादून के चकराता में ग्राम प्रधान व अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा के कार्यों को श्रमिकों से न कराकर जेसीबी और अन्य मशीनों से करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर व न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को मामले की जांच कर रिपोर्ट दो हफ्ते में पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने एसएचओ चकराता से कहा है कि यदि याचिकाकर्ता को जानमाल का खतरा उत्पन्न होता है, तो उसकी सुरक्षा का ख्याल भी रखा जाए। कोर्ट ने ग्राम प्रधान को भी नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है।
मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होगी। मामले के अनुसार, चकराता निवासी राजेंद्र सिंह चौहान ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार देने के लिए योजना बनाई है। जिसके तहत ग्राम सभाओं में मनरेगा के कार्य मशीनों से कराने का प्रावधान नहीं है। इसके तहत गांव की सड़क में मिट्टी डालने का कार्य स्वीकृत हुआ था। पर ग्राम प्रधान और अधिकारियों की मिलीभगत से सड़क में मिट्टी डालने का कार्य जेसीबी और अन्य मशीनों से कराया गया। यही नहीं, ग्राम प्रधान ने श्रमिकों के बैंक खातों में हेराफेरी कर अपने चेहतों को भुगतान करना दिखा दिया। जबकि कार्य मशीनों से कराया गया। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए।
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