टाटा को पछाड़ा, हुंडई को चौथे नंबर पर धकेला; इस कंपनी ने फिर मारी बाजी, क्या अब मारुति की बारी?
महिंद्रा ने टाटा को पछाड़ते हुए एक बार फिर बाजी मार ली है। कंपनी ने इस रेस में हुंडई को चौथे नंबर पर धकेल दिया है। अब महिंद्रा की सीधी टक्कर मारुति से है।

भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट में एक बार फिर जबरदस्त उलटफेर देखने को मिला है। अप्रैल 2025 के बिक्री आंकड़ों में महिंद्रा ने न सिर्फ टाटा मोटर्स को पछाड़ा, बल्कि कभी टॉप-3 में बनी रहने वाली हुंडई को भी चौथे नंबर पर धकेल दिया है। अप्रैल महीने में महिंद्रा ने 52,330 कारें डीलरशिप्स को भेजी। टाटा मोटर्स ने 45,199 यूनिट्स की डिलीवरी की। वहीं, हुंडई की डिलीवरी 44,374 यूनिट्स पर सिमट गई। आइए जरा विस्तार से इसकी डिटेल्स जानते हैं।
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यहां महिंद्रा और हुंडई के बीच करीब 8,000 यूनिट्स का अंतर है, जो फरवरी के मुकाबले काफी बढ़ गया है। ये बदलाव ग्राहकों की बदलती पसंद और कंपनियों की स्ट्रेटजी का साफ संकेत है।
डिमांड में महिंद्रा की SUV
महिंद्रा (Mahindra) की यह कामयाबी कोई संयोग नहीं है। कंपनी ने पिछले कुछ सालों से SUV सेगमेंट में पूरी ताकत झोंक दी है। थार, XUV700 और स्कॉर्पियो-N जैसे दमदार मॉडल्स ने ग्राहकों का दिल जीत लिया है।
हाल ही में लॉन्च हुई कॉम्पैक्ट SUV XUV3XO में पैनोरमिक सनरूफ और एडवांस सेफ्टी फीचर्स दिए गए हैं, जिससे युवाओं और परिवारों दोनों में इसकी डिमांड तेजी से बढ़ी है। महिंद्रा के पावरफुल डीजल इंजन और समय-समय पर मिलने वाले अपडेट्स ने उसे SUV पसंद करने वाले ग्राहकों का भरोसेमंद ब्रांड बना दिया है।
टाटा मोटर्स: इलेक्ट्रिक और रेगुलर दोनों में संतुलन
टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों में अपना दबदबा बना रखा है। नेक्सन EV और टियागो EV जैसी कारें EV सेगमेंट में टाटा को 70% से ज्यादा मार्केट शेयर दिला चुकी हैं। साथ ही नेक्सन और पंच जैसी सब-4 मीटर SUVs भी मध्यम वर्गीय ग्राहकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। हालांकि, पेट्रोल वैरिएंट्स पर छूट देकर बिक्री बढ़ाने की कोशिशों को कुछ लोग टाटा की "प्रीमियम छवि" को नुकसान पहुंचाने वाली रणनीति मान रहे हैं।
हुंडई की गिरावट: स्टॉक और स्ट्रैटेजी की चूक
एक समय भारत की टॉप-2 कंपनियों में शामिल हुंडई अब चौथे नंबर पर खिसक गई है। हालांकि, क्रेटा अभी भी देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली SUV है, लेकिन होंडा एलिवेट और मारुति ग्रैंड विटारा जैसे नई एसयूवी इसके लिए चुनौती बनते जा रहे हैं।
हुंडई की टक्सन और आयनिक 5 जैसी प्रीमियम गाड़ियां एक सीमित वर्ग को ही पसंद आती हैं, जिससे आम ग्राहकों के लिए ब्रांड की अपील थोड़ी कम हो गई है। इस बार अप्रैल में हुंडई को अपने पिछले महीनों की वजह से नुकसान हुआ है। साथ ही कई मॉडलों में छोटे-मोटे अपडेट के बजाय बोल्ड रीडिजाइन की कमी ने ग्राहकों की रुचि कम की है।
बाजार में अब कोई भी स्थायी विजेता नहीं
भारत का SUV-प्रेम और बदलती ग्राहक प्राथमिकताएं साफ इशारा कर रही हैं, जो कंपनी नई सोच, दमदार फीचर्स और संतुलित रणनीति लाएगी, वही दौड़ में आगे निकलेगी। महिंद्रा की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और हुंडई की गिरती रैंकिंग ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनियों के लिए एक बड़ा सबक है।
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