बोले लखनऊ: निर्यात के साथ रोजगार के अवसर भी कम होंगे
Lucknow News - अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ में 26 प्रतिशत की वृद्धि का भारतीय कंपनियों और छात्रों पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है। इससे निर्यात, रोजगार और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकते हैं।...
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ में बढ़ोतरी के फैसले से भारतीय कंपनियों के साथ ही भावी प्रबंधकों, इंजीनियर्स और रिसर्च स्कॉलर्स में बेचैनी है। जबकि प्रबंधन विशेषज्ञों का कहना है कि आईटी, ऑटोमोबाइल, रत्न एवं आभूषण, धातु, विनिर्माण व सामान्य निर्यात जैसे क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ने के कारण एआई, कंप्यूटर साइंस, अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय और विपणन जैसे क्षेत्रों की पढ़ाई करने वाले छात्रों में भी कमी आएगी। इससे देश में पेशेवरों की संख्या घटने की संभावना है। सरकार के मेक इन इंडिया और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने जैसी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। देश की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ सकता है। छात्रों का कहना है कि भारत सरकार को भी इसके जवाब में कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे भारतीय कंपनियों के मनोबल में वृद्धि हो। साथ ही कंपनियों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और वैल्यू चेन को मजबूत करना चाहिए ताकि वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सके।
1. भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित नए 26 फीसदी टैरिफ से भारतीय कंपनियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है। यह टैरिफ यूरोपीय संघ (20%), जापान (24%), और दक्षिण कोरिया (25%) पर लगाए गए टैरिफ से अधिक है। जबकि चीन को 54 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। भारत को इस भारी टैरिफ ब्रैकेट में शामिल करना अमेरिका के साथ उसके व्यापार संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जिसमें आईटी, ऑटोमोबाइल, रत्न एवं आभूषण, धातु, विनिर्माण व सामान्य निर्यात और फार्मास्युटिकल क्षेत्र शामिल हैं। इससे निर्यात, रोजगार और आर्थिक विकास पर असर पड़ने की पूरी संभावना है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने दो अप्रैल को 180 से अधिक देशों को प्रभावित करने वाले इन पारस्परिक टैरिफ की घोषणा की। साथ ही 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ भी पेश किया।
- प्रो. अवधेश त्रिपाठी, निदेशक, एमबीए (फाइनेंस एंड अकाउंटिंग),
वाणिज्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय
2. ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं
दुनिया का प्रत्येक देश अपने देश में बिकने वाले विदेशी सामानों पर टैरिफ लगाने का अधिकार रखता है। भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि अनेकों देशों की तुलना में भारत पर लगाया गया टैरिफ न्यूनतम है। इससे भारत को व्यापारिक प्रतिद्वंदिता में बढ़त हसिल करने का मौका मिलेगा। अमेरिकी बाजार में भारत के उत्पाद अन्य की तुलना में सस्ते होंगे। उनकी बाजार में मांग बढ़ सकती है। जबकि फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर किसी भी तरह का टैरिफ नहीं लगा है। इसलिए इस क्षेत्र मे बाजार बढ़ने की संभावना है। अमेरिकी टैरिफ के कारण पिछले दो दिनों में शेष विश्व में शेयर बाजारों में आए गिरावट की तुलना में भारतीय शेयर बाजार की गिरावट बहुत ही न्यूनतम रही। अतः कहीं न कहीं यह दर्शा रहा है कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बहुत बड़ा प्रभाव अमेरिकी टैरिफ के कारण नहीं पढ़ने जा रहा है। यदि ऐसा हुआ भी तो भारत के पास यूरोपीय व दक्षिण एशियाई देशों में वैकल्पिक बाजार उपलब्ध हैं। जहां निर्यात करके भारत अमेरिका से होने वाले घाटे की भरपाई कर सकता है।
- विजय राज श्रीवास्तव, प्रभारी बीबीए इंटरनेशनल बिजनेस विभाग,
केकेसी, लखनऊ
3. विकासशील देशों को नुकसान पहुंचने की संभावना
अमेरिका विकसित देश है। वहां के निवासियों पर टैरिफ वॉर का कोई असर नहीं पड़ेगा। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव विकासशील देशों पर होगा। अभी तक विश्व व्यापार संगठन (डबल्यूटीओ) ने विकासशील देशों को टैरिफ में विशेष लाभ दिया हुआ था। मगर, अब टैरिफ बढ़ाने से भारत समेत कई देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचेगा। ग्रोथ रेट कम होगी। महंगाई दर बढ़ने की संभावना है। विदेशी मुद्रा के संचय में भी कमी आएगी। जो विकासशील देशों के हित में बिल्कुल नहीं है। इसका ताजा उदाहरण बीते चार से पांच दिनों में दिखने लगा है। लोगों ने सोने पर निवेश बढ़ा दिया है। शेयर से ज्यादा सोने में रुपए लगाने लगे। यह देश हित में नहीं है। क्योंकि मार्केट में पैसा लगाने से उसका लाभ श्रमिकों को भी मिलता था।
- प्रोफेसर विनोद चंद्रा, समाजशास्त्री
छात्रों का पक्ष
1. अमेरिका के अतिरिक्त टैरिफ से भारतीय निर्यात व भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। जिससे बचने के लिए भारत को विशेष प्रयास करने होंगे। नए निर्यात डेस्टिनेशन की तलाश भी करनी होगी। इसमें समय और संसाधन दोनों ही व्यय होंगे। उद्योग एवं व्यापार जगत में पहले से ही चल रही मंदी का असर दिख रहा है। अमेरिकी टैरिफ से इसके और बढ़ने की संभावना है।
- लक्ष्मी निवास सिन्हा, बीबीए-अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय
2. 26 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ का सीधा असर भारत के वस्त्र, रत्न-आभूषण और कृषि क्षेत्रों पर पड़ेगा। जिससे इन उद्योगों को भारी नुकसान हो सकता है। जेम्स एंड ज्वेलरी, रेडीमेड गारमेंट्स, मेडिकल उपकरण और समुद्री उत्पाद जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों की अमेरिकी बाजार में मांग घट सकती है, जिससे निर्यातकों के साथ-साथ किसानों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- तनिष्का श्रीवास्तव, बीबीए-अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय
3. मेरा मानना है कि इससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर दबाव बढ़ेगा और सरकार को निर्यातकों को सब्सिडी या अन्य राहत देनी चाहिए। भारत को अपने उत्पादों की गुणवत्ता और वैल्यू चेन को मजबूत करना चाहिए ताकि वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सके। अमेरिका की इस प्रोटेक्शनिज्म नीति पर भारत को भी जवाबी कदम उठाना चाहिए।
- नंदिनी गौरी शुक्ला, बीबीए-अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय
4. भारत समेत कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने से अमेरिका में विदेशों से आयात महंगा हो जाएगा। क्योंकि कई देशों की अपेक्षा भारत पर कम टैरिफ लगाया गया है। जिससे भारत के पास यह सुनहरा अवसर है कि वह अमेरिकी बाजार पर कब्जा कर सके। हालांकि व्यापक स्तर पर बढ़ा हुआ टैरिफ महंगाई को बढ़ा सकता है।
- राजा राम कुशवाहा, शोधार्थी
5. भारत को इस प्रकार के भारी भरकम टैरिफ घेरे में रखने से छोटी-बड़ी सभी कंपनियों पर एक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट के साथ भारत में रोजगार के स्तर में भी गिरावट आ सकती है। वहीं इससे मेक इन इंडिया और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने जैसी योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
- राज शुक्ला, शोधार्थी
6. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 26% टैरिफ बढ़ाए जाने के फैसले से भारत पर इसके फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। फायदे में स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा, राजस्व वृद्धि और व्यापार घाटे को कम करने में मदद शामिल है, जबकि नुकसान में उपभोक्ताओं पर बोझ, निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव और आर्थिक विकास पर प्रभाव शामिल है।
- रवि कांत द्विवेदी, शोधार्थी
7. डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का उद्देश्य अमेरिका के व्यापारिक हितों की रक्षा करना है। उन्होंने कई देशों विशेषकर चीन, कनाडा और मेक्सिको पर उच्च टैरिफ लगाए हैं, जिससे आयात महंगा हो जाएगा। इस नीति के चलते वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है, जिससे अन्य देशों ने भी अपने टैरिफ में वृद्धि की है। भारत ने इस स्थिति में संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौतों को प्राथमिकता दी है।
- खुशबु झा, शोधार्थी
8. टैरिफ बढ़ने से सरकार को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। मगर, भारतीय कंपनियां सीधे इसके चपेट में आएंगी। इससे यह भी होने की आशंका है कि वह अमेरिका में बढ़े टैक्स को भारत में बेचे जाने वाले उत्पादों को महंगा कर कवर करें। इससे भारतीय बाजार में भी अनिश्चितता उत्पन्न होगी। उत्पाद महंगे होंगे। देश के लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
- संदीप शुक्ला, शोधार्थी
9. टैरिफ युद्ध से भारतीय कंपनियों पर गहरा असर पड़ेगा। मोदी सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। हम भारतीयों को भी अमेरिकी कंपनियों और उसके सामानों का बहिष्कार करना चाहिए। इससे अमेरिका को अपना निर्णय बदलने पर मजबूर होना पड़ेगा। साथ ही हमारे स्वदेशी सामानों और कंपनियों की बिक्री में इजाफा होगा। रोजगार में भी वृद्धि होगी।
-ऋषि श्रीवास्तव, एमबीए
10. अमेरिका के टैरिफ में वृद्धि के निर्णय से वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी छा सकती है। जिसका सबसे ज्यादा असर विकासशील देशों पर पड़ेगा। भारत एक उभरती हुई अर्थव्यस्था के रूप में आगे बढ़ रहा है। देश की जीडीपी में भी लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे दौर में टैरिफ बढ़ने से भारतीय कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। 1991 और 2008 जैसे हालात होने की संभावना है।
- अंशुमान मिश्रा, एमबीए
टैरिफ क्या है?
टैरिफ एक तरह का टैक्स है जो किसी देश से आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकार के लिए राजस्व रेवेन्यू बढ़ाना और घरेलू कंपनियों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना होता है।
टैरिफ बढ़ने से किन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर-
1. कृषि- कृषि के भीतर डेयरी प्रोडक्ट भी आते हैं। जिस पर अभी 16.8 प्रतिशत का टैरिफ लगता है। नौ अप्रैल से इसमें 26 प्रतिशत और जुड़ जाएगा और कुल टैरिफ बढ़कर 42.8 प्रतिशत हो जाएगा। इसी तरह फल और सब्जी पर अभी 5.3 प्रतिशत का टैरिफ लगता है जो बढ़कर 31.3 प्रतिशत हो जाएगा।
2. कपड़ा- अभी अमेरिका औसतन 11.7 प्रतिशत का टैरिफ लगाता है, जो नौ अप्रैल के बाद बढ़कर 37.7 प्रतिशत हो जाएगा। हालांकि भारत के लिए राहत की बात है कि पड़ोसी राज्य खासतौर पर बांग्लादेश को ज्यादा झटका लगा है।
3. इलेक्ट्रॉनिक्स- इस सेक्टर में अभी 1.2 प्रतिशत का काफी कम टैरिफ लगता है, लेकिन नौ अप्रैल से बढ़कर यह 27.2 प्रतिशत हो जाएगा।
4. रत्न और आभूषण- इस सेक्टर को बड़ा झटका लगेगा। अभी इस पर अमेरिका में 5.5 से 13.5 प्रतिशत तक का टैरिफ लगता है। 9 अप्रैल से यह बढ़कर 31.5 से 39.5 प्रतिशत तक हो जाएगा। इसकी वजह से अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर पर बड़ा असर दिख सकता है।
यूपी में इलेक्ट्रानिक्स उद्योग के सामने नई चुनौतियों से जूझने की क्षमता
लखनऊ। विशेष संवाददाता
अमेरिकी टैरिफ संकट के दायरे में यूं तो इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर भी आ गया है लेकिन देश को उम्मीद है कि अपेक्षाकृत ज्यादा टैरिफ की मार से बचने के लिए चीन व वियतनाम की इलेक्ट्रानिक्स कंपनियां यहां अपना उत्पादन बढ़ा सकती हैं। इसमें सबसे ज्यादा लाभ उठाने की स्थिति में यूपी रहेगा जो देश में मोबाइल हैंडसेट निर्माण में सबसे आगे है। पर इसमें मुश्किल यह भी है कि भारत के मुकाबले यूएई, टर्की व ब्राजील पर केवल दस प्रतिशत टैरिफ अमेरिका ने लगाया है। ऐसे में चीन व वियतनाम जैसे देशों से निकल कर मोबाइल कंपनियां सउदी अरब व ब्राजील जैसे देशों का रुख कर सकती हैं।
इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग का सबसे बड़ा केंद्र यूपी
एप्पल व सैमसंग जैसी मोबाइल निर्माण कंपनियां देश में मोबाइल फोन व अन्य सेगमेंट में अपना उत्पादन बढ़ा सकती हैं। एप्पल ने भारत में आईफोन बनाने के लिए असेंबलिंग प्लांट लगा रखा है और अपनी सहयोगी व पार्टनरशिप के जरिए यहां उत्पादन कर रहा है। एप्पल चीन में भी आईफोन निर्माण कर रही है। अमेरिका ने चीन व वियतनाम में अमेरिका ने ज्यादा टैरिफ लगा दिया है। उसके मुकाबले भारत में 26 प्रतिशत ही टैरिफ है। भारत के लिए चुनौती फिलीपीन्स से भी आ सकती है। वहां पर अमेरिका ने 17 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। ऐसे में भारत के लिए चुनौती है कि वह कैसे इन कंपनियों भारत में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करे। माना जा रहा है कि सैमसंग यूपी में यूनिट विस्तार कर उत्पादन बढ़ा सकती है।
इलेक्ट्रानिक्स कारोबार में होगी यूपी की अहम भूमिका
देश का इलेक्ट्रानिक्स बाजार में कारोबार 2030 तक पांच सौ डालर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें यूपी की सबसे अहम भूमिका होगी। उत्तर प्रदेश ने आईटी सेक्टर को आगे बढ़ाने में कई बड़े कदम उठाए हैं। आईटी सेक्टर को पिछले साल औद्योगिक यूनिट का दर्जा दे दिया है। साथ ही आईटी नीति, सेमीकंडक्टर नीति, ग्लोबल कैपिबिलिटी नीति, स्टार्टअप नीति बनाई है। नोएडा के अलावा लखनऊ को एआई हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। यूपी में दो ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर ग्रेटर नोएडा व यमुना अथारिटी में विकसित किए गए हैं।
यहीं पर सैमसंग, ओप्पो, वीवो, जैसी कई बड़ी कपनियां यहां स्मार्ट फोन व अन्य इलेक्ट्रानिक्स सामान का निर्माण कर रही है। हालांकि सेमीकंडक्टर डिवाइस, ट्रांजिस्टर,डायोड व एलईडी के मामले में अभी राहत है क्योंकि यह टैरिफ से बाहर हैं।
खास बातें
-देश के इलेक्ट्रानिक्स सामान निर्यात में यूपी की हिस्सेदारी चालीस प्रतिशत के आसपास है।
-देश के मोबाइल सेट व सहायक पुर्जे निर्माण में यूपी का योगदान 55 प्रतिशत है।
-2025 के आखिरी तक पूरी दुनिया में कुल मोबाइल निर्माण में तीस प्रतिशत हिस्सेदारी यूपी की हो जाएगी।
-नोएडा में इस वक्त स्मार्टफोन निर्माण की 85 फैक्ट्रियां हैं।
यूपी में स्मार्टफोन, टैबलेट समेत विविध इलेक्ट्रानिक्स सामान का निर्यात
निर्यात मूल्य मिलियन डालर
अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 4,685.73
फरवरी 25 391.41
जनवरी 25 518.07
वृद्धि दर पिछले माह के मुकाबले वृद्धि दर -24.45 प्रतिशत
यूपी से कुल निर्यात में हिस्सेदारी 23.68 प्रतिशत
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