दिल्ली में फीस बढ़ोतरी पर पैरेंट्स नाराज, DPS द्वारका के खिलाफ प्रदर्शन; मंत्री ने क्या किया वादा
दिल्ली के स्कूलों में बढ़ी हुई फीस का मामला गरमाता जा रहा है। मंगलवार को, कई पैरेंट्स ने फीस वृद्धि को लेकर द्वारका स्थित डीपीएस के सामने विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया है।

दिल्ली के स्कूलों में बढ़ी हुई फीस का मामला गरमाता जा रहा है। मंगलवार को, कई पैरेंट्स ने फीस वृद्धि को लेकर द्वारका स्थित डीपीएस के सामने विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि हम निजी स्कूलों का ऑडिट कराएंगे। जहां भी मानदंडों का उल्लंघन मिलेगा उसपर ऐक्शन लिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा, "हमें दिल्ली के स्कूलों की फीस बढ़ाने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के मॉडर्न स्कूल मामले में एक आदेश पारित किया था कि दिल्ली के स्कूलों को अपनी फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय से अनुमति लेनी होगी। लेकिन उन्होंने (आप) 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट से इस आदेश को खारिज करवा लिया। रेखा गुप्ता ऐसे मामलों में भ्रष्टाचार की जांच करेंगी जहां अंडर-द-टेबल पैसे लिए गए। सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में एक समिति बनाई जाएगी और सभी स्कूलों का ऑडिट किया जाएगा और अगर कोई स्कूल किसी भी मानदंड पर खरा नहीं उतरता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।"
सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को निजी स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर पत्र लिखा और तत्काल प्रभाव से आदेश जारी करने का आग्रह किया ताकि कोई भी स्कूल किसी भी पैरेंट्स/गार्जियन से बढ़ी हुई फीस तब तक न वसूले, जब तक स्कूलों के खातों का ऑडिट न हो जाए। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि "फीस बढ़ाने की मांग करने वाले स्कूलों के सभी खातों का समयबद्ध तरीके से कैग के पैनल में शामिल ऑडिटरों द्वारा ऑडिट किया जाए। 1-2 प्रतिशत की भी फीस वृद्धि की कोई भी मंजूरी केवल उन्हीं स्कूलों को दी जानी चाहिए, जिनके वैध खर्च बिना ऐसी वृद्धि के पूरे नहीं हो सकते।"
सीएम को लिखे पत्र में आतिशी ने कहा, "शिक्षा कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं है और निजी स्कूलों में मुनाफाखोरी की अनुमति नहीं दी जा सकती। पिछले 10 सालों में अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार और उसके बाद मेरे नेतृत्व वाली सरकार ने इस सिद्धांत का न केवल अक्षरशः बल्कि भावना से भी पालन किया। दुर्भाग्य से, आपकी सरकार के पहले दो महीनों में ही ऐसा अहसास हो रहा है कि निजी स्कूलों को अपनी मर्जी से पैरेंट्स को लूटने का लाइसेंस दिया जा रहा है।"