भैसोड़ा में हेपेटाइटिस सी से जूझ रही 80% आबादी
Sambhal News - भैसोड़ा गांव, असमोली ब्लॉक में लगभग 3200 की आबादी में से 80 प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस सी जैसी गंभीर बीमारी से प्रभावित हैं। गांव में पानी की गंभीर समस्या है, जिसमें नलों का पानी आधे घंटे में पीला पड़...

असमोली ब्लॉक क्षेत्र का भैसोड़ा गांव इन दिनों एक गंभीर स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। लगभग 3200 की आबादी वाले इस गांव में करीब 80 प्रतिशत लोग हेपेटाइटिस सी जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में हैं। गांव में गंदे और पीले पानी की समस्या वर्षों से बनी हुई है, लेकिन अब यह समस्या जानलेवा बन चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में लगे इंडिया मार्का के दो सरकारी हैंडपंपों के अलावा पानी का कोई सुरक्षित स्रोत नहीं है। नलों से आने वाला पानी आधे घंटे में पीला पड़ जाता है, जिससे पीने के योग्य नहीं रह जाता। लोग मजबूरी में बाहर से पानी खरीदकर ला रहे हैं या फिर वही पीले पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। गांव के अधेड़ रामलाल की हाल ही में हेपेटाइटिस सी के कारण मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि 22 मार्च को जिला अस्पताल में उनका टेस्ट कराया गया था, लेकिन रिपोर्ट समय पर नहीं मिली और इलाज में देरी के चलते उनकी जान चली गई। आरोप है कि शिकायतों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने गांव में समय पर कोई जांच कैंप नहीं लगाया, जिससे कई अन्य लोग भी बिना इलाज के ही मर गए या गंभीर रूप से बीमार हैं।
नल का पानी आधे घंटे में पीला हो जाता है, बच्चों को बुखार और उल्टी-दस्त की शिकायत रहती है। कई लोग अलग-अलग अस्पताल में उपचार करा रहे हैं।
राजकुमार, ग्रामीण
पिता छह माह से बीमार थे। 22 मार्च को जिला अस्पताल में हेपिटाइटिस सी का टेस्ट कराया लेकिन तीन बार अस्पताल जाने के बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली। जिस कारण सही से उनका उपचान नहीं हो सका।
- गोविंदा
गांव में पेयजल की समस्या है। नलों से आने वाला पानी पीला हो जाता है। हर घर जल योजना में पाइपलाइन बिछी है लेकिन अब तक एक बूंद पानी नहीं आया।
- लवकुश सिंह, प्रधान पुत्र।
रामलाल की मौत के बाद भी विभाग का कोई अफसर गांव में नहीं आया था, लोगों को मजबूरी में प्राइवेट इलाज कराना पड़ रहा है। आज जरूर स्वास्थ्य विभाग ने कैंप लगाया है।
- अरुण प्रताप, ग्रामीण
गांव में जागरूकता की बहुत कमी है, लोग एक ही सुई से इंजेक्शन या टैटू बनवाते हैं, यह बहुत खतरनाक है। पीने के पानी की भी बहुत समस्या है। नलों से निकलने वाला पानी पीला हो जाता है।
- रोहित सिंह, शिक्षक
लोग गांव में मर रहे हैं लेकिन प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। सालों से पीला पानी पीने से गांव के 80 प्रतिशत लोग बीमार है। जो जगह-जगह इलाज कराने को मजबूर हैं।
- लालाराम, ग्रामीण
जांच में 50 में से 20 लोग संक्रमित, किया गया जागरूक
भैसोड़ा गांव की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पहली बार पंचायत भवन में जांच कैंप लगाया। असमोली सीएचसी प्रभारी डॉ. संदीप सिंह की निगरानी में टीम ने 50 ग्रामीणों की जांच की, जिनमें से 18 लोग हेपेटाइटिस सी और 2 लोग हेपेटाइटिस बी से संक्रमित पाए गए। डा. संदीप ने बताया कि लगातार थकान रहना, भूख कम लगना, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, उल्टी या पेट दर्द हेपेटाइटिस सी के लक्षण है। इसके बचाव के लिए स्वच्छ पानी का सेवन करें, एक ही सुई या रेज़र का दोबारा प्रयोग न करें, सार्वजनिक जगहों पर टैटू बनवाते समय सावधानी बरतें, संक्रमित व्यक्ति के खून या लार से दूर रहें, समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराएं। हेपेटाइटिस सी गंदे पानी, संक्रमित खून, और एक ही सुई के इस्तेमाल से फैलता है। बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता सबसे जरूरी है। इस दौरान जिला अस्पताल माइक्रोबॉयोलिजिस्ट अमित कुमार भारती, एलटी ललित कुमार व पंकज कुमार और फार्मासिस्ट विजय कुमार ने मरीजों की जांच कर उन्हें जागरूक किया। इस दौरान आधा सुनीता व संगिनी मीना भी मौजूद रही।
कई माह बाद खुला पंचायत भवन, गांव में गंदगी का अंबार
स्वास्थ्य कैंप के ही जरिए पंचायत भवन के ताले तो खुले। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत भवन में हमेशा ताला लग रहा है। भवन में पक्षियों की लीड पड़ी हुई है। कैंप लगने की सूचना के बाद भवन के अंदर सफाई रहती है। ग्रामीणों ने कहा कि पंचायत सचिव भी यहां नहीं बैठते हैं। जिससे ग्रामीणों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। वहीं गांव में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नालियां गंदगी से बजबजाती हुई मिली।
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