मंडल में सबसे हरा-भरा है महराजगंज, तापमान में ढाई से तीन डिग्री का अंतर
Maharajganj News - महराजगंज में आज विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। जिले में 428 वर्ग किमी का वन क्षेत्र है, जो गोरखपुर-बस्ती मंडल के मुकाबले अधिक हरियाली प्रदान करता...

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए आज विश्व भर में पृथ्वी दिवस मनाया जाएगा। यह संदेश दिया जाएगा कि पृथ्वी केवल मनुष्यों की ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं व वनस्पतियों का भी घर है। देश के अंतिम छोर पर बसा अपना जिला महराजगंज गोरखपुर-बस्ती मंडल की तुलना में हरियाली में समृद्ध हैं। 428 वर्ग किमी का प्राकृतिक वन क्षेत्र विरासत में मिला है। इसका पर्यावरण पर सीधा प्रभाव दिखता है। गोरखपुर से महराजगंज आने के बाद वनावरण के चलते तापमान ढाई से तीन डिग्री लुढक जाता है। आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ पर्यावरण देने के लिए जिले के हर बाशिंदों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह पेड़ लगाकर पर्यावरण का संरक्षण करे। प्रदूषण को कम करे। उर्जा सहित संसाधनों के खपत को कम करे। सभी को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि यह पृथ्वी केवल मनुष्यों की नहीं है बल्कि जीव-जंतुओं व वनस्पतियों का भी है। इनका सम्मान व रक्षा सभी का दायित्व है।
इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट की आंकड़ों पर गौर करें तो महराजगंज जिले में 428.201 वर्ग किमी वन क्षेत्र है। जनपद की कुल भूमि का 14.44 फीसदी भूमि वनावरण है। जबकि बस्ती में 1.09 फीसदी, देवरिया में 0.60 फीसदी, कुशीनगर में 1.20 फीसदी, संतकबीरनगर जिले में 0.85 फीसदी व सिद्धार्थनगर जिले में 1.18 फीसदी भूभाग पर वनावरण है। आंकड़ों में वनावरण के मामले में अपना जिला गोरखपुर-बस्ती मंडल के जनपदों की तुलना में शीर्ष पर है। पर, इस आंकड़ों पर इतराने की जरूरत नहीं है बल्कि इसे और समृद्ध करने की जरूरत है। जिले सड़क व हाइवे निर्माण में हजारों पेड़ों की कटान से वनावरण को गुजरे चार-पांच सालों में थोड़ा नुकसान भी पहुंचा है। आने वाले दिनों के मानसून सत्र में जिले के सभी नागरिकों का दायित्व है कि वह कम से कम एक पौधा जरूर लगाए। उसकी हिफाजत भी करें।
सेटेलाइट से दिखते हैं जिले के 180 जल स्रोत
जिले में छोटे-बड़े तालाब, ताल व अन्य जलाशयों की संख्या करीब तीन हजार के करीब है। पर, इसमें से 180 जल स्रोत ऐसे हैं जिनमें वर्ष भर पानी रहता है। अंतरिक्ष में स्थापित सेटेलाइट से यह जलस्रोत दिखते हैं। पृथ्वी की देखभाल के लिए जलस्रोत की भूमिका भी अहम है। इससे भूमिगत जल स्तर रिचार्ज होते रहते हैं। इस वजह से नौतनवा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो जिले में भूमिगत जल की स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों से बेहतर है। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन अमृत सरोवर योजना के तहत बड़े जलाशयों का सुन्दरीकरण करा रहा है। पोखरों पर अतिक्रमण को हटाने के लिए भी अभियान चलता रहता है।
पौधों से प्रेम ने दिनेश गिरी को बना दिया पेड़ बाबा
घुघली क्षेत्र पिपरिया करजहा गांव में जन्मे दिनेश कुमार गिरी का पौधों के प्रति लगन देख समाज ने उन्हें पेड़ बाबा नाम दे दिया है। वह अपने हाथ से पिछले ढाई दशक में करीब एक लाख पौधे लगा चुके हैं। इन पौधों को वह अपने निजी स्रोत से खरीद कर लगाए हैं। दिनेश गिरी बताते हैं कि 1989 की बाढ़ से हजारों पौधे सूख गए। तभी से उनके मन में पौधा लगाने की प्रेरणा जगी। नाट्य मंडली से जुड़े दिनेश गिरी पूर्वांचल के कई जिलों के अलावा बिहार व नेपाल में कार्यक्रम के दौरान वहां यादगार स्वरूप पौधे लगाते हैं। उनके लगाए नीम, पीपल, बरगद, आम, अमरूद, कटहल, आंवला, लीची व अन्य छाएदार पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। इन पेड़ों से लोगों को छांव व फल भी मिलता है, पक्षियों की चहचहाहट भी गूंजती रहती है। दिनेश गिरी के पौधरोपण के प्रति प्रेम देख वन विभाग ने उनको ब्रांड अंबेसडर भी बना चुका है। दिनेश गिरी का कहना है कि पौधों से प्रेम सभी को करना चाहिए। इनसे प्राण वायु मिलता है। पर्यावरण स्वच्छ रहता है।
सोहगीबरवा वन्यजीव अभ्यारण्य प्रकृति की धरोहर है। इसके चलते जिले का वनावरण अन्य सीमावर्ती जनपदों की तुलना में बेहतर है। वनावरण बढ़ाने के लिए पौधरोपण अभियान जरूरी है। गर्मी में पौधों की अहमियत महसूस होती है। सभी का यह दायित्व है कि वह पौधरोपण कर उसकी देखभाल करें। जितने पौधे जीवित होंगे, पर्यावरण उतना ही समृद्ध होगा।
निरंजन सुर्वे-डीएफओ
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