बोले मेरठ : नौकरी की गारंटी न मुश्किलों का कोई हल
Meerut News - मेरठ। बिजली विभाग ने आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की भर्ती शुरू की, लेकिन इन कर्मचारियों को समय पर वेतन और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। छंटनी के कारण कामकाजी सुरक्षा का संकट है, जिससे कई कर्मचारी बेरोजगार...
मेरठ। बिजली विभाग ने आउट सोर्सिंग से लाइनमैन से लेकर कंप्यूटर, कंट्रोल रूम, उपभोक्ता सेवा केंद्र तक में कर्मचारियों को लेकर काम शुरू कर दिया। इन कर्मियों से लाइनमैन, विद्युत चोरी रोकने, बकाया बिलों की राशि वसूलने, मीटर रीडिंग लेने, बंद एवं खराब मीटर बदलने, विद्युत लाइनों के सुधार कार्य से लेकर, बिलों की वसूली, कार्यालयों में कामकाज आदि महत्वपूर्ण काम लिए जा रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी इन आउटसोर्स के बिजली कर्मियों के जीवन में खुशियों का उजाला नहीं बिखर सका है। बिजली विभाग में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को दिक्कतें ही दिक्कते हैं। काम के मुताबिक उन्हें मानदेय नहीं मिलता। प्रबंधन की मनमानी का शिकार होते हैं और ठेकेदारों की मनमानी के चलते मानदेय के लिए मान मनौव्वल करना पड़ता है। कंप्यूटर ऑपरेटरों की नौकरी पर संकट है। पदों में कटौती कर उन्हें हटाया जा रहा है। उन्हें सरकार और पावर कारपोरेशन का संरक्षण मिले। सुविधाओं की सीढ़ी मिले। छटनी रोककर कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
शहर से लेकर गांव तक बिजली हर किसी की बड़ी जरूरत बन चुकी है। समय के साथ बिजली विभाग में नियमित कर्मचारियों की संख्या घटने लगी है, इससे विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है। ऐसे में आउटसोर्सिंग पर रखे जाने वाले कर्मचारियों के भरोसे काम बढ़ा, लेकिन अब छंटनी के जरिए इनकी संख्या में कमी का जा रही है। निर्बाध बिजली आपूर्ति से लेकर बिजली कार्यालयों में सरकारी कामकाज में आउटसोर्स बिजली कर्मचारियों का अहम योगदान है। लेकिन इन कर्मचारियों की समस्याओं पर जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। मांगों को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को ज्ञापन दिए और धरना-प्रदर्शन किया लेकिन इनकी आवाज नहीं सुनी गई।
इन कर्मियों को न तो समय पर वेतन का भुगतान होता है और न ही अन्य सुविधाएं समय रहते मिल पाती हैं। वेतन विसंगतियों से लेकर तमाम ऐसी समस्याएं है, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। वेतन विसंगतियां तो हैं हीं। सैनिक कल्याण से उपकेंद्र परिचालकों की तैनाती के लिए अनुबंध में वेतन भी उनके मुकाबले अधिक होता है, जबकि दोनों ही आउटसोर्स हैं। तमाम ठेका बिजली कर्मी लंबे समय से सैनिक कल्याण कर्मचारियों की तरह वेतन एवं सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। लेकिन इनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है।
नियमित कर्मचारी के मुकाबले आधे से कम वेतन में आउटसोर्स कर्मचारी विभाग के तमाम काम करते हैं। इन कर्मियों का कहना है अनुरक्षण के अलावा डिस्कनेक्शन और वसूली जैसे काम करा शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है। अब पश्चिमांचल में आउटसोर्स पर काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर भी परेशान हैं। लगातार दूसरे साल ऐसा मौका है जब उनकी छंटनी का कार्य हो रहा है। पश्चिमांचल के 14 जिलों में करीब 1267 कंप्यूटर आपरेटर में से 242 को हटाया जा रहा है।
आउटसोर्स नियमावली को निगम का गठन हो, वेतन 20 हजार तक हो
पश्चिमांचल में पीवीवीएनएल में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंप्यूटर ऑपरेटर चाहते हैं कि पिछले साल हटाए गए कर्मचारियों का समायोजन हो। इस साल छंटनी को रोका जाए और जिन्हें हटा दिया है उन्हें बहाल किया जाए। आगामी वित्तीय वर्ष में किसी आउटसोर्सिंग कर्मचारी को न हटाया जाए। कर्मचारियों की ए, बी और सी श्रेणी को बरकार रखा जाए। कर्मचारियों के लिए अनुबंधित बाह्य एजेंसी से ईएसआई कार्ड बनवाने के लिए अनुबंध में शर्त रखी जाए। यदि कंपनी ईएसआई कार्ड नहीं बनवाती है तो उनके बीजकों का भुगतान रोका जाए। बाह्य एजेंसी का श्रम विभाग में पंजीयन नहीं होने से श्रमिकों को श्रम विभाग से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। उत्तर प्रदेश आउटसोर्स नियमावली के लिए निगम का गठन करते हुए सभी कर्मचारियों का 16 हजार से 20 हजार का मानदेय तय किया जाए।
आउटसोर्स कर्मचारियों की मुश्किल
आउटसोर्स कर्मचारियों की एक मुश्किल यह भी है कि ड्यूटी के समय कोई दुर्घटना हो जाती है तो मामूली मानदेय पर काम करने वाले ऐसे कर्मचारी के सामने उपचार कराने का संकट आ जाता है। आउटसोर्स कर्मचारियों का कहना है कि नियमानुसार आउटसोर्स लाइनमैन को महीने में 26 दिन और एक दिन में आठ घंटे की ड्यूटी करने का प्रावधान है। लेकिन इन आउटसोर्स कर्मचारियों के ड्यूटी पर आने का समय तो है, लेकिन ड्यूटी ऑफ होने का समय नहीं है।
कंपनियों में एकरूपता नहीं, वेतन विसंगतियां
बिजली विभाग में हर स्तर पर आउटसोर्सिंग पर कर्मी तैनात हैं। मीटर रीडर की अलग कंपनी, तार जोड़ने वालों की अलग कंपनी, लाइनमैन की अलग कंपनी, सब स्टेशन और विभिन्न काउंटर पर काम करने वालों की अलग अलग कंपनियां हैं। सभी में एकरूपता नहीं है। कर्मचारी नेताओं का कहना है बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों के कल्याण के लिए नीति तैयार कर अधिकांश समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया जाता है। मगर कोई मांग पूरी नहीं होती है।
इनका कहना है--
आउटसोर्स कर्मियों के साथ भेदभाव होता है। जब काम एक तो वेतन में विसंगतियां क्यों। समान काम समान वेतन लागू हो। संगठन लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। आउटसोर्स कर्मियों को अन्य कर्मियों के समान सुविधाएं नहीं मिलती। कंप्यूटर आपरेटर परेशान हैं।
- भूपेंद्र सिंह, अध्यक्ष, निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति
कुल कर्मचारियों में से 40 प्रतिशत आउटसोर्स कर्मियों की छंटनी की जा रही है। इनमें 10-15 साल से काम कर रहे कर्मचारी भी शामिल हैं। 55 वर्ष की उम्र का हवाला देकर कर्मियों की छुट्टी की जा रही है।
- अमित खारी, महामंत्री, निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति
आउटसोर्स कर्मचारियों से लाइनमैन, उपकेंद्र परिचालन और कंप्यूटर ऑपरेटिंग जैसे जोखिम भरे काम कराए जा रहे हैं। इस दौरान कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। वेतन में भी भेदभाव होता है। कंप्यूटर ऑपेरटर भी परेशान हो रहे हैं। इन पर ध्यान दिया जाए।
- दिलमणि थपलियाल, प्रांतीय उपाध्यक्ष, विद्युत मजदूर पंचायत
आउटसोर्स कर्मचारी अपने स्थायीकरण की मांग करते आ रहे हैं, क्योंकि लंबे समय से वह विभाग में काम कर रहे हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों को समान काम और समान वेतन की मांग के साथ, अन्य समस्याएं हैं, जिन्हें उठाया जा रहा है।
- बहादुर सिंह, जिला अध्यक्ष, कंप्यूटर आउटसोर्सिंग कर्मचारी विंग
आउटसोर्स कर्मचारियो की छटनी पॉवर कारपोरेशन के आदेश का खुला उलंघन है। इस छटनी से विभाग में वर्षों से काम करने वाले तमाम आउटसोर्स कंप्यूटर ऑपरेटर बेरोजगार हो जाएंगे।
- दीपक ठाकुर, महामंत्री, कंप्यूटर आउटसोर्सिंग कर्मचारी विंग
जब काम समान है तो सुविधाएं भी समान होनी चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों को काम के दौरान जरूरी सुरक्षा समान तक नहीं मिलता। छंटनी के चलते कंप्यूटर आपरेटर परेशान हैं।
- सचिन सिंह, जिलाध्यक्ष, निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति
नियमानुसार महीने में संविदा-निविदा कर्मचारियों को 26 दिन और प्रतिदिन आठ घंटे की ड्यूटी का प्रावधान है, जबकि अधिकांश कर्मचारियों को प्रतिदिन 12 घंटे और पूरे माह काम करना पड़ता है। कर्मचारियों को भी ड्यूटी में नियमानुसार छूट मिलनी चाहिए।
- नवीन कुमार, उपाध्यक्ष, कंप्यूटर आउटसोर्सिंग कर्मचारी विंग
पश्चिमांचल में पूर्व वित्तीय वर्ष 2023-24 में निविदा पर कार्यरत करीब 1334 कंप्यूटर ऑपरेटरों के सापेक्ष 1267 कंप्यूटर आपरेटर के अनुमोदन दिए गए। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1267 के सापेक्ष 950 कंप्यूटर आपरेट दिए। इन्हें 2025-26 में न हटाया जाए।
शत्रुघन ठाकुर, सचिव कंप्यूटर आउटसोर्सिंग कर्मचारी विंग
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सुनी नहीं जाती है। कई बार धरना प्रदर्शन किया लेकिन असर नहीं होता है। आउटसोर्स कंप्यूटर आपरेटर की डिस्कॉम मुख्यालय तक समस्याएं पहुंचा चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं।
- अर्जुन सिंह, सचिव, कंप्यूटर आउटसोर्सिंग कर्मचारी विंग
हर वर्ष कोई न कोई दुर्घटना शहर और देहात में होती है। खासतौर से गर्मियों में स्थिति बिगड़ती है। लगातार कर्मचारियों की संख्या कम हो रही है और काम का दबाव बढ़ता जा रहा है।
- अरुण कुमार, कोषाध्यक्ष, कंप्यूटर आउटसोर्सिंग कर्मचारी विंग
समस्याओं को नजरअंदाज करने से कर्मचारियों में निराशा की भावना पैदा होती है। निराशा की वजह से कर्मचारियों के काम पर असर पड़ता है। दूसरी बात उनकी सामाजिक सुरक्षा को लेकर है। दुर्घटना होने पर उनकी कोई सुनने वाला नहीं होता।
सुनील कुमार
प्रमुख मांगों में संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करना है। इस नीति के तहत लंबे समय से काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। इससे उन्हें नौकरी की सुरक्षा और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
विनेश शर्मा
आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ विसंगतियां उनकी नौकरी शुरू होने के साथ शुरू हो जाती है। आउटसोर्स कर्मचारियों और प्रबंधन कार्य संस्था के बीच इस कर्मचारियों का लेबर के लिए अनुबन्ध किया जाता है। उसी काम के अनुसार वेतन का निर्धारण होता है।
अंकित गोयल
काफी संख्याा में कर्मचारी आउटसोर्स के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। कर्मचारियों की तमाम मांगें जायज हैं, लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही। जनप्रतिनिध भी इस ओर से मुंह मोड़े हैं। अफसर और जनप्रतिनिधि समस्याएं का समाधान करें।
नवीन शर्मा
शिकायतें
- आउटसोर्स कर्मियों की कई मांगें कई वर्षों से लंबित
- कर्मचारियों की समस्या निस्तारण नहीं किया जा रहा
- कर्मचारियों को मेडिकल और कैजुअल अवकाश नहीं मिल पाता
- कर्मचारियों के वेतन में वर्षों तक बढ़ोत्तरी नहीं होती
- कर्मचारी बिना किसी सूचना के हटा दिए जाते हैं
- आउटसोर्स कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है
सुझाव
- कंप्यूटर आपेरटरों की छंटनी न की जाए, उनका समायोजन, नियमितिकरण हो
- प्रशिक्षित कर्मचारियों का वेतन उनकी स्किल के आधार पर तय किया जाए
- नियत समय और तिथि पर ही वेतन मिले, ऐसा नहीं होने पर अतिरिक्त दिया जाए
- मृतक कर्मचारियों के परिजनों को 10 लाख रुपये दुर्घटना लाभ दें
- 60 वर्ष तक कार्य करने की अनुमति मिले, महिलाओं को मातृत्व अवकाश मिले
- कार्यस्थल पर पूरी तरह सुरक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए
- काम के घंटे तय हों उसी आधार पर कर्मचारियों से काम लिया जाए
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