संघर्ष समिति व प्रबंधन के वार्ता पर टिकी निगाहें
Mirzapur News - मिर्जापुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन के बीच निजीकरण के विरोध में वार्ता होने वाली है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि पिछले पांच महीनों से शांतिपूर्वक...

मिर्जापुर,संवाददाता। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन के मध्य सोमवार को होने वाली बहुप्रतीक्षित वार्ता पर सभी निगाहें टिकीं हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि वार्ता के पहले समुचित वातावरण बनाने के लिए पॉवर कारपोरशन प्रबंधन को निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के चलते की गई समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस लेनी चाहिए। संघर्ष समिति के संयोजक इंजीनियर दीपक सिंह,सह संयोजक राजेश गौतम का आरोप है कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों के निजीकरण के एकतरफा फैसले के विरोध में बिजली कर्मचारी, संविदाकर्मी और अभियंता विगत पांच माह से अधिक समय से लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्वक आंदोलन करने वाले बिजली कर्मियों पर पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन ने कई उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां की हैं।
बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों को नौकरी से हटाया गया है। आरोप है कि निजीकरण के बाद निजी घरानों की मदद करने करने के लिए लगभग 45 प्रतिशत संविदा कर्मियों की छंटनी कर दी गई है। इसी प्रकार 55 वर्ष की आयु के संविदा कर्मी हटा दिए गए हैं । जबकि इनमें से अधिकांश अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मी लाइन पर काम करते हुए अपंग हो चुके हैं। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर लगभग 2000 बिजली कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया है। आरोप है कि संघर्ष समिति की मीटिंग में आने वाले बिजली कर्मचारियों की फोटोग्राफी कर उन्हें चिन्हित करके स्थानांतरण आदि कार्यवाहियां की जा रही है। संघर्ष समिति ने बताया कि 19 मार्च 2023 को ऊर्जा मंत्री की घोषणा केआन्दोलन के दौरान की गई सभी उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस न लिए जाने से अविश्वास का वातावरण बना हुआ है।
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