बोले मुजफ्फरनगर : सुविधाएं और छूट से बढ़ेगा लकड़ी कारोबार
Muzaffar-nagar News - बोले मुजफ्फरनगर : सुविधाएं और छूट से बढ़ेगा लकड़ी कारोबार
जनपद में विश्वकर्मा (बढ़ई) समाज के लोगों की कुल आबादी 84 हजार से अधिक है, जिनमें से करीब 12 हजार लोग बढ़ई के पुश्तैनी धंधे से जुड़े हुए हैं, जिनके समक्ष पारंपरिक काम को बचाए रखने की कड़ी चुनौतियां हैं। केंद्र सरकार द्वारा समाज के उत्थान के लिए सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना चलाई जा रही है, लेकिन इसमें अन्य जातिगत कार्यों को भी जोड़ दिए जाने से विश्वकर्मा समाज को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार द्वारा आरा मशीन संचालन के लिए बनाए गए कड़े नियमों के चलते जहां एक ओर लकड़ी की उपलब्धता कम होती जा रही है, वहीं लकड़ी चिरान भी महंगा हो गया है। उपकरण व रॉ मैटीरियल के दाम बढ़ने से भी बढ़ई के काम पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इन्हीं सब मुश्किलों के चलते युवा वर्ग अपने पुश्तैनी काम से दूरी बना रही है।
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विश्वकर्मा समाज
मुजफ्फरनगर। जनपद में विश्वकर्मा समाज की कुल आबादी 84 हजार से अधिक है, जबकि शहर क्षेत्र में करीब 24 हजार लोग रहते हैं। इनमें 12 हजार से अधिक लोग लंबे समय से अपने पुश्तैनी बढ़ई के काम से जुड़े रहकर आजीविका कमा रहे हैं, जिनके समक्ष पुश्तैनी काम को बचाए रखने के साथ ही इसे सुचारू रूप से संचालित करना चुनौती बनता जा रहा है। भारतीय विश्वकर्मा समाज के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजवीर सिंह का कहना है कि वर्तमान में बढ़ई समाज के लिए अपने पुश्तैनी काम को बचाए रखना बड़ी चुनौती है। दरअसल, एक ओर जहां कोरोना काल के बाद से लकड़ी की उपलब्धता लगातार कम होती जा रही है, वहीं आरामशीन संचालन को लेकर भी सरकार ने नियमों को कड़ा कर दिया है। इसके चलते बढ़ई के काम में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की कीमतों में करीब 70 प्रतिशत तक की भारी-भरकम बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं आरामशीन संचालन को लेकर सरकार द्वारा नियमों को काफी कड़ा कर दिया गया है। इससे किसी तरह लकड़ी हासिल करने के बाद उसे फर्नीचर आदि के काम में लेने के लिए अपने हिसाब से उसकी चिराई कराना भी काफी महंगा हो गया है।
इसके साथ ही बढ़ई के काम में इस्तेमाल होने वाले उपकरण व रॉ मैटीरियल भी काफी महंगे हो चुके हैं, जिससे विश्वकर्मा समाज को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले चार वर्षों में ही लकड़ी के साथ ही लोहे की कीलें, फेविकॉल, प्लाई वुड व माइका शीट्स के दामों में भी करीब 40 से 50 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन इस अवधि में तैयार फर्नीचर की कीमतों में मात्र 20 प्रतिशत तक की ही बढोत्तरी हुई है। इसके चलते परंपरागत फर्नीचर बनाने के साथ ही अन्य काम करने वाले बढ़ई समाज के कारीगरों की आमदनी में गिरावट हुई है, जिससे इस काम को करने वाले लोगों के समक्ष परिवार का पालन-पोषण करना कड़ी चुनौती बन गया है। इसके चलते विश्वकर्मा समाज की युवा पीढ़ी भी इस पुश्तैनी काम से दूरी बनाने लगी है। सरकार यदि लकड़ी की जरूरत के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करे और आरामशीन संचालन पर नियमों में ढील दे, तभी विश्वकर्मा समाज के पुश्तैनी काम से जुड़े परिवारों का उत्थान हो सकता है।
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प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का नहीं मिल रहा लाभ
मुजफ्फरनगर। केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2023 में विश्वकर्मा समाज के उत्थान को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू की थी। योजना के तहत विश्वकर्मा समाज को निम्न ब्याज दर पर तीन लाख रुपये का बिना गारंटी का ऋण और उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। भारतीय विश्वकर्मा समाज के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजवीर सिंह विश्वकर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ पहले केवल बढ़ई समाज को ही दिया जाना था, लेकिन बाद में सरकार ने इस योजना में नाई, लोहार, सुनार, कुम्हार, दर्जी, मूर्तिकार व खिलौना निर्माता समेत अन्य समाज के लोगों को भी लाभान्वितों की सूची में शामिल कर लिया गया। इसके चलते विश्वकर्मा समाज को इस योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार को विश्वकर्मा योजना का लाभ केवल बढई समाज को ही दिए जाने की योजना बनानी चाहिए, तभी समाज आगे बढ़कर काम कर सकता है।
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प्लास्टिक के फर्नीचर ने भी बिगाड़ा खेल
मुजफ्फरनगर। पूर्व समय में कुर्सी-मेज, सोफा सेट, बेड समेत सभी प्रकार के फर्नीचर से लेकर अलमीरा तक लकड़ी से बनाई जाती थी। इस काम में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी भी अधिकांश लोग अपने खेतों में खड़े पेड़ कटवाकर बढ़ई कारीगर को देते थे, जो अपने हुनर का इस्तेमाल कर उस लकड़ी से मजबूत फर्नीचर बनाता था। लकड़ी की उपलब्धता कम होने के साथ ही महंगाई की मार पड़ने के कारण फर्नीचर बनाने का यह पूरा प्रोसेस वर्तमान में काफी महंगा हो गया है, जिसके चलते फर्नीचर व अलमीरा के वर्ग में प्लास्टिक, लोहा व स्टील ने भी अपनी जगह बना ली। लकड़ी के फर्नीचर के जगह अब विभिन्न कंपनियों द्वारा बनाए जा रहे सस्ते प्लास्टिक, लोहा व स्टील से बने फर्नीचर ने ले ली है। वहीं, पूर्व में लकड़ी का फर्नीचर बनाने में लगने वाले समय के चलते अब लोग प्लास्टिक व लोहे-स्टील के रेडीमेड फर्नीचर खरीदने लगे हैं, जिससे समय की बचत के साथ ही रुपयों की भी बचत होती है। यही कारण है कि बढ़ई समाज के युवा अब पुश्तैनी काम से दूरियां बनाने लगे हैं।
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जिला अस्पताल में लगे स्वामी कल्याणदेव की प्रतिमा
मुजफ्फरनगर। देशभर में शिक्षा की अलख जगाने वाले और अपने जीवन काल में 250 से अधिक शैक्षिक प्रतिष्ठानों की स्थापना करने वाले स्वामी कल्याणदेव महाराज विश्वकर्मा समाज से ही संबंध रखते थे। भारतीय विश्वकर्मा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ब्रजवीर सिंह ने बताया कि देश के महान शिक्षाविद स्वामी कल्याणदेवजी महाराज जनपद के ही निवासी थे। जिला प्रशासन ने महान संत के नाम पर ही स्वामी कल्याणदेव राजकीय चिकित्सालय का नामकरण किया हुआ है, लेकिन अस्पताल में स्वामी जी की प्रतिमा नहीं लगाई गई है। जिनके नाम पर जिला अस्पताल का नामकरण किया गया है, वहीं पर स्वामीजी की प्रतिमा न होना काफी सालता है। जिला प्रशासन को अविलंब जिला अस्पताल में स्वामीजी की प्रतिमा स्थापित करानी चाहिए। वहीं, जनपद में 84 हजार से अधिक विश्वकर्मा समाज की आबादी होने के बावजूद किसी भी राजनैतिक पार्टी द्वारा समाज को उचित प्रतिनिधत्व नहीं दिया गया है, जिससे समाज पिछड़ा हुआ है। सभी राजनैतिक दलों को विश्वकर्मा समाज को उचित राजनीतिक भागीदारी प्रदान करनी चाहिए।
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--- शिकायतें और सुझाव ---
शिकायतें ---
- कोरोना काल से लकड़ी की उपलब्धता लगातार कम होती जा रही है, जिससे लकड़ी के दाम लगातार बढ़ने से काम प्रभावित हो रहा है।
- सरकार द्वारा आरामशीनों पर प्रतिबंध के साथ संचालन पर कड़े नियम लगाने से लकड़ी चिरान भी लगातार महंगा होता जा रहा है।
- रॉ मैटीरियल महंगा होने से भी जहां फर्नीचर की लागत बढ़ रही है, वहीं तैयार माल की कीमतों में उस हिसाब से बढोत्तरी नहीं हुई है।
- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत अन्य कामकाज करने वाले लोगों को भी शामिल करने से बढई समाज को इसका लाभ नहीं मिलता।
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सुझाव ---
- सरकार को फर्नीचर में काम आने वाली लकड़ी की उपलब्धता बढ़ई समाज के लिए आसान कर लकड़ी के दामों को नियंत्रित करना चाहिए।
- आरा मशीन संचालन पर लगाए गए कड़े नियमों को आसान कर फर्नीचर में काम आने वाली लकड़ी के चिरान को सस्ता कराना चाहिए।
- लोहे की कीलें, फेविकॉल, प्लाईवुड व माइका जैसे रॉ मेटीरियल के दामों को नियंत्रण में रखना चाहिए, जिससे बढ़ई समाज को राहत मिले।
- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत अन्य कामकाज करने वाले लोगों को लाभ नही मिलना चाहिए, बढ़ई समाज को ही इसका लाभ मिलना चाहिए।
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इन्होंने कहा --
विभाग की तरफ से बढ़ई समाज के पात्र परिवारों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के साथ दिया जा रहा है। वहीं पेंशन और छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ भी विभाग की तरफ से समय-समय पर दिया जाता है।
विनीत कुमार मलिक, जिला समाज कल्याण अधिकारी
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लकड़ी कारीगरों ने किया दर्द बयां
कोरोना काल के बाद से ही लकड़ी की उपलब्धता कम होती जा रही है। जिस कारण लगातार लकड़ी के दामों में वृद्धि हो रही है।
मास्टर सुरेशचंद धीमान
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सरकार द्वारा लकड़ी चिरान के काम में कड़े नियम लागू किए गए हैं। जिससे बढ़ई समाज का परंपरागत कारोबार भी प्रभावित होता है।
ब्रजवीर सिंह विश्वकर्मा
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रॉ मैटेरियल महंगा होने के कारण फर्नीचर बनाने में लगात बढ़ती जा रही है। जिस कारण माल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।
पवन पांचाल
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प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत कामकाज करने के लिए अन्य लोगों को भी लाभ दिया जा रहा है। जिस कारण बढ़ई समाज को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
दयानंद धीमान
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सरकार को फर्नीचर में उपयोग होने वाली लकड़ी के दामों में राहत देनी चाहिए। जिससे कम लगात में फर्नीचर तैयार हो सके और कारोबार को गति मिल सके।
अनिल पांचाल
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आरा मशीनों के संचालन में कुछ लकड़ियों के चिरान पर लगे कड़े नियमों को हटाया जाना चाहिए। जिससे लकड़ी की उपलब्धता को बढ़ावा मिल सके।
हरवेश धीमान
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फर्नीचर को तैयार करने में काम आने वाले रॉ मैटेरियल के दामों को नियंत्रण में रखना चाहिए, जिससे बढ़ई समाज को पुस्तैनी काम में राहत मिल सके।
सत्यदेव धीमान
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लकड़ी चिरान के काम में कुछ लड़कियों पर लगे कड़े नियमों को हटाया जाना चाहिए। जिससे फर्नीचर तैयार करने के लिए लकड़ी की उपलब्धता को बढ़ावा मिल सके।
राधेश्याम विश्वकर्मा
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कोरोना काल के बाद से लकड़ी की उपलब्धता में कमी आई है। जिस कारण लकड़ी के साथ ही फर्नीचर के दामों में भी इजाफा हो रहा है।
रमेश पांचाल
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मार्केट में प्लास्टिक के फर्नीचर की डिमांड बढ़ने के कारण लकड़ी से बने फर्नीचर बेचने में समस्या आ रही है। जिससे लगातार कारोबार प्रभावित हो रहा है।
भीष्म धीमान
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लकड़ी चिरान में कड़े नियमों के कारण लकड़ी की उपलब्धता में कमी आ रही है। जिस कारण युवा पीढ़ी पुस्तैनी काम से दूरी बना रही है।
राजीव धीमान
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जिले में बढ़ई समाज की आबादी 84 हजार से अधिक है, बावजूद इसके समाज की राजनीतिक भागीदारी नहीं के बराबर है।
रोशनी पांचाल
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जनपद में समाज को आबादी के अनुसार राजनीतिक भागदारी नहीं दी जा रही है, बढ़ई समाज के युवा वर्ग को शिक्षा के साथ ही रोजगार में विशेष छूट दी जानी चाहिए।
रजत धीमान
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