बिजली विभाग में एलएंडटी के कार्यों में गड़बड़झाला, जांच शुरू
Muzaffar-nagar News - बिजली विभाग में एलएंडटी के कार्यों में गड़बड़झाला, जांच शुरू

आरडीएसएस योजना के अंतर्गत मैसर्स एलएंडटी द्वारा जिलेभर में विद्युत लाइन को दुरुस्त करने के लिए जर्जर तार व खम्भे बदले गए हैं, लेकिन इन कार्यों की गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि कार्यदायी संस्था ने मानक एवं गुणवत्ता की अनदेखी की है। इस मामले को डीएम ने गंभीरता से लेते हुए एमडी पावर कारपोरशन से पत्राचार कर जांच कराने को कहा। उधर एमडी ने गड़बड़झाला की शिकायत मिलने पर तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है। जांच टीम में बिजली विभाग के एक एसई, ईई व एसडीओ को शामिल किया गया है। बता दें कि जनपद के शहरी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बदले गए जर्जर तार और खम्भों में बड़ा घोटाला किया गया है।
कंपनी के साथ विभागीय अफसरों ने मिलीभगत कर अरबों रुपये की बंदरबांट का आरोप है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जनपद में बिजली आपूर्ति सुधार योजना के अन्तर्गत बड़ा काम कराया गया है, इसके लिए एल एंड टी कंपनी को कार्यदायी संस्था बनाया गया। सूत्रों का कहना है कि कार्यदायी संस्था ने विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत करते हुए बिजली तार और खंभे आदि बदलने के नाम पर बड़ा घोटाला किया है। पिछले दिनों किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठा. पूरण सिंह ने भी पावर कारपोरेशन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। उधर डीएम उमेश मिश्रा ने भी इस तरह की शिकायत मिलने पर एमडी पावर कारपोरशन मेरठ ईशा दुहन को पत्राचार कर मामले से अवगत कराया था। उसी के आधार पर तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। ------------------- तीन सदस्यीय जांच टीम में शामिल अधिकारीगण एमडी पावर कारपोशन मेरठ ईशा दुहन ने एलएंडटी के कार्यों में गड़बड़झाला एवं मानक एवं गुणवत्ता के विपरीत कार्य करने के मामले में जांच टीम गठित की गई। जांच टीम में इं. हरिकेश अधीक्षण अभियंता , इं. योगेश कुमार अधिशासी अभियंता एवं इं. मोहित कुमार सहायक अभियंता को शामिल किया गया है। -------- इस तरह अनियमितताएं और फर्जीवाड़ा शाहपुर बिजलीधर के गढ़ी टाउन फीडर पर कोई कार्य नहीं हुआ, फिर भी 16.8 किलोमीटर का बिल दर्शाया गया। अटाली बिजली घर के नगवा फीडर पर कार्य शून्य रहा, लेकिन 39.34 किलोमीटर का भुगतान कर लिया गया। खरड़ बिजलीघर पर देवी फीडर का न तो सर्वे हुआ और न ही 12 किलोमीटर से अधिक कार्य, लेकिन 31 किलोमीटर का बिल बनाकर भुगतान लिया गया। इसी प्रकार न्यू रुड़की रोड पर मल्हूपुरा फीडर पर मात्र 10 किलोमीटर कार्य, लेकिन 28 किलोमीटर का बिल, साकेत फीडर पर भी केवल 10 किलोमीटर कार्य, जबकि सर्वे सिर्फ 18 किलोमीटर का हुआ था। परंतु बिल 44 किलोमीटर का पास हुआ है। इतना ही नहीं योजनाबद्ध तरीके से अनियमितता, धोखाधड़ी और फर्जी बिलिंग की गई। सैकड़ों फीडरों पर या तो कार्य ही नहीं हुआ, या नाममात्र कार्य हुआ और बिलिंग कई गुना अधिक दर्शाई गई।
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