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बोले मुजफ्फरनगर : कामकाजी महिलाओं को मिले सम्मान-सुरक्षा

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Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फर नगरSun, 13 April 2025 11:34 PM
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बोले मुजफ्फरनगर : कामकाजी महिलाओं को मिले सम्मान-सुरक्षा

जनपद में मध्यम वर्गीय परिवारों की ऐसी हजारों महिलाएं हैं, जो परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाते हुए बिना पेंशन-भत्तों के मामूली वेतन पर कारखानों में काम करने को मजबूर हैं। मामूली वेतन के बावजूद कार्यस्थल पर आने-जाने के लिए इन्हें जेब से ऑटो व रिक्शा का किराया अलग से खर्च करना पड़ता है। सुरक्षित भविष्य के साथ ही आने-जाने के दौरान सुरक्षा को लेकर भी हजार आशंकाएं रहती हैं। मजबूरी में दुधमुहें बच्चे को लेकर जाने वाली महिलाओं को कार्यस्थल पर चाइल्ड केयर यूनिट का भी कोई लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में कामकाजी महिलाएं सम्मानजनक वेतन के साथ ही पेंशन-भत्ते व आने-जाने में सुरक्षित माहौल की उम्मीदें रखती हैं।

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चाहिए सम्मान व सुरक्षित भविष्य

जनपद में ऐसी महिलाओं की तादाद हजारों में हैं, जो परिवार के भरण-पोषण के लिए घर की दहलीज पार कर निजी कारखानों के साथ ही होजरी फैक्ट्री या बुटीक में मामूली वेतन पर नौकरी करने को मजबूर हैं। मध्यमवर्गीय परिवारों की इन महिलाओं को मामूली वेतन से इतर न तो किसी तरह के भत्ते मिलते हैं और न ही पेंशन का लाभ, जिससे नौकरी जाने की स्थिति में भविष्य की अनिश्चितताएं अलग से रहती हैं। इसके साथ ही कार्यस्थल पर आने-जाने के लिए ऑटो या रिक्शा का किराया अलग से जेब से ही देना पड़ता है। दैनिक हिन्दुस्तान की बोले मुजफ्फरनगर टीम ने ऐसी महिलाओं से वार्ता कर उनकी पीड़ा को जानने का प्रयास किया, जिससे इनका दर्द छलककर सामने आ गया। शहर के शामली रोड पर खांजापुर स्थित कारखाने में काम करने वाली महिलाओं सीमा देवी व पूजा ने बताया कि उन्हें महज आठ हजार रुपये मासिक वेतन मिलता है, जिसमें से आकस्मिक अवकाश लेने की स्थिति में छुट्टी भी काट ली जाती है। कारखाने तक आने-जाने में ऑटो व रिक्शा का किराया उन्हें जेब से ही देना पड़ता है। काम छूट जाने की स्थिति में उन्हें अलग से किसी तरह के भत्ते या पेंशन की सुविधा भी नहीं मिलती है। कई बार कारखाने आने-जाने के दौरान देरी हो जाने पर कार्यस्थल से घर लौटने में सुरक्षा संबंधी परेशानियां अलग से उठानी पड़ती हैं। वहीं, अधिकांश कार्यस्थलों पर चाइल्ड केयर यूनिट भी नहीं होती, जिससे जिन महिलाओं को अपने छोटे बच्चों के साथ काम पर जाना पड़ता है, उन्हें बच्चों को संभालते हुए काम करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान महिलाओं ने जिम्मेदार अफसरों से उनकी समस्याओं का सुनियोजित समाधान कराते हुए सम्मानजनक वेतन व भत्ते-पेंशन आदि दिलाए जाने की मांग की।

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सुरक्षित भविष्य की खातिर मिले अनिवार्य बीमा लाभ

मुजफ्फरनगर। शहर के रामलीला टिल्ला स्थित होजरी फैक्ट्री में काम करने वाली कामकाजी महिलाओं रेखा रानी व सुंदरी ने हिन्दुस्तान टीम से वार्ता में कहा कि अधिकांश कामकाजी महिलाएं मध्यम या निम्न आय वर्ग से संबंधित होती है। इनके समक्ष अपने परिवार के भरण-पोषण के साथ ही भविष्य को लेकर गंभीर अनिश्चितताएं रहती हैं कि काम छूटने की स्थिति में कैसे गुजर-बसर हो पाएगी। सबसे बड़ी समस्या भविष्य को लेकर होती है, क्योंकि इन महिलाओं का कामकाज शारीरिक स्वस्थता पर निर्भर करता है और सरकार से हमें स्वास्थ्य संबंधी जरूरी सेवाओं का लाभ नियमित रूप से नहीं मिल पाता। ऐसे में शारीरिक अक्षमता होने या बीमार होने की स्थिति में कामकाजी महिलाओं को संबंधी कारखाना मालिक अथवा प्रशासन से किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिल पाती। इसके लिए कारखाना मालिक के साथ ही शासन-प्रशासन को भी कामकाजी महिलाओं का अनिवार्य रूप से बीमा कराया जाना चाहिए, ताकि शारीरिक अक्षमता या गंभीर बीमार होने पर काम न कर पाने की स्थिति में कामकाजी महिलाओं को बीमा लाभ मिल सके, ताकि उनकी भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं पर विराम लग सके।

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--- शिकायतें और सुझाव ---

शिकायतें ---

- कामकाजी महिलाओं को मामूली वेतन के अतिरिक्त भत्ते व पेंशन आदि का लाभ नहीं मिल पाता, जिससे आर्थिक समस्याएं रहती हैं।

- कामकाजी महिलाओं को शारीरिक अक्षमता या बीमारी की स्थिति में नौकरी जाने पर किसी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती।

- किसी कारणवश कार्यस्थल पर देरी होने की स्थिति में घर आने-जाने के लिए सुरक्षा संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

- कार्यस्थल पर दुधमुहें बच्चे को ले जाने की स्थिति में चाइल्ड केयर यूनिट का लाभ नहीं मिलता, जिससे माताओं को परेशानी होती है।

सुझाव ---

- कामकाजी महिलाओं को वेतन के साथ ही यात्रा खर्च आदि के लिए अतिरिक्त भत्ते के साथ ही पेंशन का भी लाभ दिया जाना चाहिए।

- कारखाना मालिक के साथ ही शासन-प्रशासन को कामकाजी महिलाओं के सुरक्षित भविष्य के लिए उनका अनिवार्य बीमा कराना चाहिए।

- कार्यस्थल पर देरी होने की स्थिति में महिलाओं को सुरक्षित उनके घर तक छोड़ने के लिए वाहन इत्यादि की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।

- कार्यस्थलों पर चाइल्ड केयर यूनिट की स्थापना होनी चाहिए, छोटे बच्चों को साथ ले जाने वाली महिलाएं बिना परेशानी काम कर सकें।

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इन्होंने कहा ---

- विभाग के स्तर से महिलाओं को विधवा और वृद्धा पेंशन का लाभ दिया जाता है। सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली किसी भी कल्याणकारी योजना का लाभ विभाग की तरफ से महिलाओं को प्रमुखता के साथ दिया जाता है।

विनीत कुमार मलिक, जिला समाज कल्याण अधिकारी

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- कामकाजी महिलाओं को अनिवार्य रूप से बीमा लाभ मिलने चाहिए, ताकि काम छूटने की स्थिति में महिलाओं को परेशानी न उठानी पड़े।

रेखा रानी

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- कार्यस्थल पर चाइल्ड केयर यूनिट की सुविधा मिलनी चाहिए, ताकि छोटे बच्चों के साथ जाने वाली महिलाओं को परेशान न होना पड़े।

बालेश देवी

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- कार्यस्थल तक आने-जाने के लिए जेब से ऑटो-रिक्शा का किराया देना पड़ता है, इसके लिए अलग से भत्ते मिलने चाहिए।

आशा

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- बीमार या शारीरिक रूप से अक्षम होने की स्थिति में महिलाओं को आर्थिक मदद मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य की चिंताएं खत्म हो सकें।

सुंदरी

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- सरकार की ओर से किसी भी तरह की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाता, जिससे भविष्य में परेशानी उठानी पड़ती है।

प्रियंका रानी

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- कामकाजी महिलाओं को काफी कम मानदेय मिलता है, जो परिवार चलाने के लिए अपर्याप्त होता है। मानदेय में बढोत्तरी होनी चाहिए।

राखी

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- प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ने मिलने के कारण किराए के मकान में रहना पड़ता है। सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ प्रशासन को प्राथमिकता के साथ कामकाजी महिलाओं को देना चाहिए।

गोहर

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- काम के के दौरान कभी-कभी बीमार होने पर खुद से ही इलाज करना पड़ता है। कामकाजी महिलाओं को स्वास्थ्य बीमा लाभ मिलना चाहिए।

रीना

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- घर से कार्यस्थल तक जाने के लिए फ्री ऑटो टैक्सी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कामकाजी महिलाओं को आर्थिक रूप से राहत मिल सके।

ममता

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- कई बार ऑफिस और कर दोनों में सामंजस्य बनाना कठिन हो जाता है। कार्य स्थल का काम हफ्ते में पांच दिन होना चाहिए।

सीमा

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- बच्चों की देखभाल के कारण कार्य में काफी दिक्कतें आती है। कामकाजी महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर चाइल्ड केयर यूनिट की स्थापना होनी चाहिए।

पूजा

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- कार्यस्थल पर काम मिलने के कारण परिवार का भरण-पोषण करने में काफी मुश्किल सामने आती है। सरकार से अन्य भक्तों का लाभ प्रमुखता के साथ मिलना चाहिए।

मंजू

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- कम मानदेय के कारण परिवार का भरण पोषण करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आर्थिक रूप से राहत के लिए सरकार से अन्य भत्तों का लाभ मिलना चाहिए।

विमला देवी

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- घर से कार्यस्थल तक जाने में ऑटो और रिक्शा में आना-जाना काफी महंगा पड़ता है। कामकाजी महिलाओं के लिए फ्री ऑटो और टैक्सी की सुविधा होनी चाहिए।

कुसुम लता

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- सरकार से किसी तरह के भत्ते और पेंशन का लाभ न मिलने के कारण परिवार संचालन में काफी मुश्किलें सामने आती है।

मीनाक्षी

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- कामकाजी महिलाओं के लिए कार्य स्थल पर चाइल्ड केयर यूनिट का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे सरलता के साथ में अपना कार्य कर सके।

सोनिया

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- कामकाजी महिलाओं से संस्थानों में पांच दिन ही कार्य कराया जाना चाहिए, जिससे ऑफिस और घर दोनों में सामंजस्य बना सके।

सोनम

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- ऑफिस से घर तक आने-जाने में ई रिक्शा और ऑटो से अधिक पैसा खर्च होता है। प्रशासन को महिलाओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

सविता

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