never tasted milk sugar or oil after examination whole body was found to be healthy shilpa shetty is also among admirer 129 साल की उम्र में कभी नहीं चखा दूध-चीनी-तेल का स्वाद, पूरी काया थी निरोगी; मुरीदों में शिल्‍पा शेट्टी भी, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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129 साल की उम्र में कभी नहीं चखा दूध-चीनी-तेल का स्वाद, पूरी काया थी निरोगी; मुरीदों में शिल्‍पा शेट्टी भी

उबला हुआ भोजन और सब्जियां ही उनका मुख्य आहार रहे। वर्ष 2020 में अपोलो अस्पताल में अपने कोलकाता और चेन्नई सेंटर में बाबा का संपूर्ण मेडिकल परीक्षण किया था। उसकी रिपोर्ट से विशेषज्ञ डॉक्‍टरों का दल हैरानी में थे कि इतनी अधिक उम्र होने के बाद भी उनकी काया में किसी प्रकार का कोई रोग मिला ही नहीं।

Ajay Singh संवाददाता, वाराणसीSun, 4 May 2025 09:33 AM
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129 साल की उम्र में कभी नहीं चखा दूध-चीनी-तेल का स्वाद, पूरी काया थी निरोगी; मुरीदों में शिल्‍पा शेट्टी भी

129 साल की उम्र में बाबा शिवानंद का देहावसान हो गया। वह पद्मश्री से सम्‍मानित थे। ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले बाबा शिवानंद की दिनचर्या हमेशा शिष्यकाल जैसी रही। कभी दूध, चीनी और तेल से बना कोई भी पदार्थ ग्रहण नहीं किया। उबला हुआ भोजन और सब्जियां ही उनका मुख्य आहार रहे। वर्ष 2020 में अपोलो अस्पताल में अपने कोलकाता और चेन्नई सेंटर में बाबा का संपूर्ण मेडिकल परीक्षण किया था। उसकी रिपोर्ट से विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल हैरानी में थे कि इतनी अधिक उम्र होने के बाद भी उनकी काया में किसी प्रकार का कोई रोग मिला ही नहीं। चिकित्सकों ने वैज्ञानिक आधार पर भी उनकी उम्र का परीक्षण किया था। बाबा शिवानंद कभी लाइम लाइट में नहीं रहे। बावजूद इसके देश की कई बड़ी हस्तियां उनकी प्रशंसक रही हैं। राजनीतिक हस्तियों में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, ममता बनर्जी के नाम प्रमुख हैं तो फिल्म तारिका शिल्पा शेट्ठी भी बाबा की मुरीद हैं।

बाबा शिवानंद भोर में तीन बजे उठते थे। नित्यकर्म के बाद शिवमंत्र ध्यान फिर पांच से छह बजे तक योगासन करके सुबह साढ़े छह बजे एक गिलास जल ग्रहण करते थे। इसके बाद श्रीकृष्ण मंत्र साधना, गीता पाठ और अन्य साधना में संध्या हो जाती। इस बीच थोड़ी-थोड़ी देर पर वह गायों, बंदरों और कुत्तों का पेट भरना नहीं भूलते थे। रात्रि आठ बजे पुन: उबला आहार लेकर रात नौ बजे सो जाते थे।

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यह था उनके जीवन का मंत्र

बाबा कहते थे-अनासक्तिपूर्ण आनंद जीवन की प्रधान ऊर्जा है। अपनी जिह्वा पर नियंत्रण, गीता के उपदेश का आचरण, किसी पर भी अधिकार नहीं करना, किसी से अपेक्षा नहीं रखना, सुख-दुख, मान-अपमान हर अवस्था का समान रूप से सम्मान करना। इन्हीं बातों को उतार कर मैं आनंद चित्त रहता हूं।

बिना स्कूल गए लिखते-पढ़ते थे अंग्रेजी

बाबा की संपूर्ण शिक्षा गुरु आश्रम में ही हुई है। उन्होंने कभी स्कूल का मुंह भी नहीं देखा लेकिन मातृभाषा बांग्ला के साथ ही अंग्रेजी भाषा पर भी उनका समान अधिकार था। वह कहते थे बहुत सारी चीजें हम तब सीखते हैं जब उसकी हमें आवश्यकता होती है।

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बेहतर जिंदगी के लिए आदर्श

2020 में 14 जुलाई को शिल्पा शेट्टी ने अपने एक्स हैंडल पर बाबा का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा था-कितने प्रसन्न और सकारात्मक विभूति हैं शिवानंद बाबा। अपनी बेहतर जिंदगी के लिए वह हमारे लिए आदर्श हैं। इस वीडियो में भी बाबा की दिनचर्या की झलक थी। उस ट्वीट के बाद ही बाबा शिवानंद देशभर के लोगों के बीच चर्चा के केंद्र में आए थे।

बाबा कहते थे-अनासक्तिपूर्ण आनंद जीवन की प्रधान ऊर्जा है। अपनी जिह्वा पर नियंत्रण, गीता के उपदेश का आचरण, किसी पर भी अधिकार नहीं करना, किसी से अपेक्षा नहीं रखना, सुख-दुख, मान-अपमान हर अवस्था का समान रूप से सम्मान करना। इन्हीं बातों को उतार कर मैं आनंद चित्त रहता हूं।