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आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती में अब नहीं चलेगा जुगाड़, योगी सरकार की यह तैयारी, इन लोगों को प्राथमिकता

उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स से होने वाली भर्तियों के लिए नया नियम आने वाला है। भर्तियों के लिए नया निगम बनने जा रहा है। इसके लिए प्राथमिकताएं भी तय हो रही है। इससे अब भर्ती के लिए जुगाड़ नहीं चलेगा।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानWed, 26 March 2025 11:05 PM
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आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती में अब नहीं चलेगा जुगाड़, योगी सरकार की यह तैयारी, इन लोगों को प्राथमिकता

यूपी में आउटसोर्स कर्मियों को रखने के नाम पर अब जुगाड़ नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आउटर्सोसिंग के माध्यम से होने वाली भर्तियों में गड़बड़ी और शोषण को रोकने के लिए निगम बनाने जा रहे हैं। इसे उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम नाम दिया जा रहा है। भर्तियों का मानक भी तय किया गया है। अभ्यर्थियों के चयन की प्रक्रिया उसके पारिवारिक आय, उसकी आयु, निर्धारित योग्यता, पद के लिए मानक और कहां का निवासी है, अब इसके आधार पर किया जाएगा। भर्ती के लिए कोई भी साक्षात्कार नहीं होगा। निम्न पारिवारिक आय, ग्रामीण क्षेत्र वाले अभ्यर्थियों की सूची सबसे ऊपर रखी जाएगी।

उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम द्वारा होने वाली भर्तियों में योग्यता के साथ आयु सीमा को पहली प्राथमिकता दी जाएगी। विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता महिलाओं को भी वरियता दी जाएगी। भर्ती के लिए तैयार किए गए मानक में इसका प्रावधान किया गया है। मौजूदा समय आउटसोर्स पर होने वाली भर्तियों में मनमानी चालती है। विभागीय अधिकारी अपने चहेतों को मनमाने तरीके से रखवा लेते हुए हैं। कुछ संस्थानों पर तो सिर्फ कागजों पर ही कर्मियों को रखकर उन्हें हर माह मानदेय दिया जाता है।

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चयनित आउटसोर्स कर्मियों की सूची संबंधित विभाग द्वारा निगम को भेजी जाएगी। निगम द्वारा प्लसमेंट, इंफारमेशन लेटर, आईडी कार्ड जारी करते हुए विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा। पूर्व से जो भी कार्यरत हैं, उन्हें निगम के माध्यम से हस्तातंरित कराया जाएगा, जिससे एजेंसियों के स्थान पर उनका चयन वहां से माना जा सके।

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आउटसोर्स कर्मियों को पद और योग्यता के अनुरूप मानदेय दिया जाएगा। श्रेणी एक के कार्मिकों को 25000, श्रेणी दो 21500, श्रेणी तीन 18500 और श्रेणी चार के कार्मिकों को 15000 रुपये न्यूनतम मानदेय दिया जाएगा। ऐसी व्यवस्था होगी कि इन कार्मिकों को हर माह की एक तारीख को उनके खाते में सीधे पैसा पहुंच जाएगा। अभी ऐसे कार्मियों को समय से मानदेय नहीं मिलता है। कुछ संस्थानों में तो तीन से चार माह में इन्हें मानदेय दिया जाता है।