अब मन की वंशी पर कोई मधुरिम राग नहीं सजता है
Pilibhit News - राष्ट्रीय कवि संगम के तत्वावधान में डॉ. दीनदयाल शर्मा के आवास पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में अनेक कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं, जिसमें सरोज सरगम ने विशेष रूप से संवेदनापूर्ण...

राष्ट्रीय कवि संगम के तत्वावधान में शहर के सिविल लाइन उत्तरी निवासी डॉ.दीनदयाल शर्मा के आवास पर काव्य गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत किया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ.दीनदयाल शर्मा ने की। काव्य गोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। कवि संगम की जिलाध्यक्ष व कवियत्री सरोज सरगम ने विद्या दायिनी मातु शारदे की वंदना प्रस्तुत की। कवियत्री सरोज सरगम ने अपने काव्यपाठ में अत्यंत संवेदनापूर्ण गीत प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर सभी के नेत्र सजल हो उठे। कहा-अलसाई सी लगती वीणा और सुप्त हो गए मंजीरे। शहनाई मन मारे बैठी और रागिनी रूठ चली रे। अब मन की वंशी पर कोई मधुरिम राग नहीं सजता है। अब इस सूने मन मंदिर में कोई साज नहीं बजता है। इसके अलावा वरिष्ठ कवि जीतेश राज नक्श, ओज एवं गीत के सशक्त हस्ताक्षर अविनाश चंद्र मिश्र, युवा कवि विकास आर्य स्वप्न, डॉ.अमित सक्सेना, सत्यपाल सजक, योगेंद्र गोस्वामी, अनिल गंगवर, रजनी सिंह, यशकीर्ति गंगवार, आदर्श गंगवार आदि ने रचनाएं प्रस्तुत की। डॉ.दीनदयाल शर्मा और तीर्थदेव शर्मा ने काव्यपाठ प्रस्तुत किया। संचालन कुलदीप कल्प ने किया। अंत में सरोज सरगम ने आभार जताया।
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