प्रयागराज का एसआरएन अस्पताल नहीं मुर्दाघर है, अस्पतालों की दुर्दशा पर हाई कोर्ट की कठोर टिप्पणी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा इसे अस्पलाल नहीं, शवगृह कहना ज्यादा उचित होगा। कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज मेडिकल माफिया के चंगुल में फंसा है। माफिया के दलाल आम आदमी को प्राइवेट अस्पतालों तक पहुंचाते हैं।

प्रयागराज स्थित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की दुर्दशा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कठोर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा इसे अस्पलाल नहीं, शवगृह कहना ज्यादा उचित होगा। कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज मेडिकल माफिया के चंगुल में फंसा है। माफिया के दलाल आम आदमी को प्राइवेट अस्पतालों तक पहुंचाते हैं। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि अस्पताल अब ‘अस्पताल नहीं, बल्कि शवगृह’ बन चुका है। अदालत ने सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस, खराब स्वास्थ्य सेवाओं और भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए है। कोर्ट की ओर से नियुक्त न्याय मित्र की रिपोर्ट में अस्पताल की भयावह स्थिति उजागर हुई। जिस पर कोर्ट ने शुक्रवार को अस्पताल के अधिकारियों के साथ ही जिला प्रशासन और नगर निगम के भी आला अधिकारियों को तलब किया था।
कोर्ट ने कहा कि महाकुम्भ 2025 के दौरान 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन के बावजूद चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से विफल रही। सौभाग्यवश कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, वरना हालात बेहद भयावह हो सकते थे। अदालत ने कहा कि निजी मेडिकल माफिया और सरकारी डॉक्टरों की मिलीभगत ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को जर्जर बना दिया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख हुआ कि अस्पताल परिसर में निजी डायग्नोस्टिक सेंटर के दलाल घूमते पाए गए, जो मरीजों को बाहर ले जाकर जांच करवाते हैं।
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और प्रयागराज के जनप्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया, जिससे जनता को निजी अस्पतालों में अत्यधिक खर्च उठाना पड़ रहा है। अगली सुनवाई 29 मई को होगी जिसमें अस्पताल के अधीक्षक, डिप्टी एसआईसी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य की गई है।
प्रशासन को दिए यह निर्देश |
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नगर आयुक्त अस्पताल की साफ-सफाई 48 घंटे में पूरी कराएं, अस्पताल के अधिकारी इसमें सहयोग करें। |
जिलाधिकारी डॉक्टरों की ओपीडी का समय अखबारों में प्रकाशित कराएं। |
अस्पताल के सभी सीसीटीवी कैमरों की मरम्मत की जाए। |
निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की निगरानी के लिए टीम गठित की जाए। |
अस्पताल परिसर के आसपास अवैध मेडिकल दुकानों पर कार्रवाई की जाए। |
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के परिसर के मैदान को शादी या निजी समारोहों के लिए देने पर रोक लगे। |
जन औषधि केंद्र सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुले रहें। |
अस्पताल में ओपीडी के समय मेडिकल कम्पनियों के प्रतिनिधियों के प्रवेश पर रोक लगे। |
पुलिस आयुक्त अस्पताल को पर्याप्त संख्या में पुलिस बल उपलब्ध कराएं। |