Ambulance is not available for hours you will have to pay rent if you get it घंटों एंबुलेंस नहीं मिल रही, मिली तो देना होगा मुंहमांगा किराया, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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घंटों एंबुलेंस नहीं मिल रही, मिली तो देना होगा मुंहमांगा किराया

Prayagraj News - तेजी से संक्रमित हो रहे लोगों की जिंदगी बचाने को एंबुलेंस बड़ा सहारा है। सरकारी एंबुलेंस लोगों को मिल नहीं रही है। निजी एंबुलेंस संचालक लोगों की...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजSat, 17 April 2021 04:10 PM
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घंटों एंबुलेंस नहीं मिल रही, मिली तो देना होगा मुंहमांगा किराया

प्रयागराज। वरिष्ठ संवाददाता

तेजी से संक्रमित हो रहे लोगों की जिंदगी बचाने को एंबुलेंस बड़ा सहारा है। सरकारी एंबुलेंस लोगों को मिल नहीं रही है। निजी एंबुलेंस संचालक लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। पहले तो एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। एंबुलेंस मिल भी जाए तो मुंहमांगा किराया देना मजबूरी है। एंबुलेंस के इंतजार में बीमार दम तोड़ रहे हैं। अधिक कमाई के लिए निजी एंबुलेंस संचालक अब बीमार लोगों को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली ले जा रहे हैं। फिलहाल महासंकट के समय निजी एंबुलेंस पर सरकार की कोई निगरानी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग सिर्फ 108 एंबुलेंस की जिम्मेदारी ले रहा है।

एंबुलेंस नहीं मिलने पर हालत बिगड़ी और चली गई जान

राजरूपपुर के दशरथ प्रसाद की हालत गुरुवार को गंभीर हो गई। उनके परिजन सरकारी एंबुलेंस के लिए फोन करते रहे। घंटों एंबुलेंस के इंतजार में दशरथ की हालत बिगड़ गई। अंतत: परिवार के लोग उन्हें निजी वाहन में लेकर झलवा स्थित बड़े अस्पताल में ले गए। वहां से उन्हें लौटा दिया गया। झलवा से अन्य किसी अस्पताल ले जाने से पहले दशरथ ने दम तोड़ दिया।

लूकरगंज के शख्स ने दम तोड़ा

दशरथ की तरह लूकरगंज में गत दिवस दिनेश कुमार खरे की हालत बिगड़ गई। परिवार के लोग फोन करते रहे लेकिन घंटों एंबुलेंस नहीं मिली। एंबुलेंस के इंतजार में दिनेश का ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा तो परिवार के लोग निजी वाहन लेकर अस्पताल में भर्ती करने निकले। दिनेश को लेकर एक से दूसरे अस्पताल चक्कर काटते रहे लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया। आखिरकार व्यक्ति ने दम तोड़ दिया।

प्रति किलोमीटर हजार रुपये तक किराया

कोरोना से संक्रमितों का संख्या हजारों में पहुंचने लगा तो एंबुलेंस संचालकों ने इसका फायदा उठाना शुरू किया। अब एंबुलेंस चालक बीमार व्यक्ति की हालत देखकर किराया तय कर रहे हैं। एक बीमार व्यक्ति को बैरहना से सिविल लाइंस के एक निजी अस्पताल तक लाने के लिए एंबुलेंस चालक ने तीन हजार रुपये वसूले।

श्मशान घाट तक लाशें ले जाने के लिए 10 किमी का पांच हजार रुपये तक किराया वसूल रहे हैं। नगर निगम के शव वाहन की मांग भी अधिक है। निजी एंबुलेंस संचालक इसका लाभ उठा रहे हैं। छोटी एंबुलेंस धड़ल्ले से लाशों को घर से श्मशान घाट तक पहुंचा रही हैं। आजकल घाटों पर शव वाहन से अधिक एंबुलेंस से लाशें आ रही हैं।

नई दिल्ली का किराया 75 हजार तक

बेहतर सुविधा वाली एंबुलेंस आजकल प्रयागराज के मरीजों को दिल्ली के अस्पतालों तक पहुंचा रही हैं। दिल्ली या लखनऊ जाने वाली एंबुलेंस चालकों को मोटा किराया मिल रहा है। दिल्ली के लिए 75 हजार और लखनऊ के लिए 50 हजार तक लोग किराया दे रहे हैं।

सेनिटाइजेशन की गारंटी नहीं

एंबुलेंस का काम सिर्फ बीमारों को अस्पताल पहुंचाना है। इस वक्त चालक यह भी नहीं देख रहा है कि बीमार कहीं कोरोना से संक्रमित तो नहीं। चालक तो बीमार व्यक्ति को लेकर चल देता है। कमाई के चक्कर में एंबुलेंस का सेनिटाइजेशन भी नहीं करा रहे।

ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होना बना संकट

पिछले दो दिन से निजी एंबुलेंस को ऑक्सीजन का सिलेंडर नहीं मिल रहा है। ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में कम से कम एक दर्जन एंबुलेंस बीमार लोगों को अस्पताल नहीं ले जा रही हैं। एंबुलेंस संचालकों ने बताया कि बिना ऑक्सीजन के बीमार व्यक्ति को ले जाने का जोखिम नहीं उठा सकते।

एंबुलेंस में तोड़ दे रहे हैं दम

गंभीर रूप से बीमार कई लोग एंबुलेंस में दम तोड़ दे रहे हैं। एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचने के बाद मरीज को बेड नहीं मिल पा रहा। एडमिट होने के लिए मरीज घंटों एंबुलेंस में इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान बीमार व्यक्ति की जान चली जा रही है। कुछ मामलों में तो एंबुलेंस की ऑक्सीजन खत्म होने से जान जा रही है।

ये है व्यवस्था

-शहर में कुल 140 एंबुलेंस

-108 नंबर की 45 एंबुलेंस

-बाकी एंबुलेंस निजी क्षेत्र से

-108 एंबुलेंस का कोई किराया नहीं लगता

-निजी एंबुलेंस का जरूरत के अनुसार किराया

-25 निजी एंबुलेंस मरीजों को दिल्ली, लखनऊ ले जा रहीं

निजी एंबुलेंस का सामान्य रेट

-घर से अस्पताल ले जाने का किराया : 2500 रुपये

-श्मशान घाट ले जाने का किराया 700-1000 रुपये

क्यों ले रहे अधिक किराया

-एंबुलेंस का नियमित करना पड़ रहा सेनिटाइजेशन

-चालक को पहननी पड़ रही पीपीई किट

-मरीज की गंभीरता के आधार पर ऑक्सीजन का होता है उपयोग

इस वजह से समय पर नहीं मिल रही एंबुलेंस

-शहर में हजारों लोगों को एंबुलेंस की जरूरत

-जरूरत के अनुसार शहर में 10 फीसदी भी एंबुलेंस नहीं

-सरकारी अस्पतालों में भर्ती को घंटों करना पड़ रहा इंतजार

-गैरसरकारी अस्पतालों में सामान्य मरीज भर्ती करने को तैयार नहीं

-निजी एंबुलेंस को तुरंत नहीं मिल पा रहा ऑक्सीजन सिलेंडर

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