लाखों प्रतिबंधित पन्ने अध्येताओं की देख रहे राह: प्रो. भदौरिया
Prayagraj News - प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग में प्रो. संतोष भदौरिया की पुस्तक 'अंग्रेजी राज और हिंदी की प्रतिबंधित पत्रकारिता' पर चर्चा हुई। प्रो. भदौरिया ने प्रतिबंधित...
प्रयागराज, कार्यालय संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के सभागार में ‘किताब पर बात कार्यक्रम के अंतर्गत प्रो. संतोष भदौरिया की किताब ‘अंग्रेजी राज और हिंदी की प्रतिबंधित पत्रकारिता पर बात हुई। प्रो. संतोष भदौरिया की पुस्तक का विमोचन भी किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. संतोष भदौरिया ने कहा कि प्रतिबंधित साहित्य की अवमानना क्यों हुई इस पर विचार किया जाना चाहिए। आज भी लाखों प्रतिबंधित पन्ने संग्रहालयों में शोधार्थियों और अध्येताओं की राह देख रहे हैं।
अध्यक्षता कर रहे प्रो. आलोक प्रसाद ने कहा कि यह किताब हमारी ऐतिहासिक ज्ञान परम्परा में बहुत महत्वपूर्ण हस्तक्षेप करती है और कुछ अतिरिक्त जोड़ती भी है। उन्होंने लेखक की लगन और प्रयास की सराहना की। डॉ. कुलदीप कुमार मिश्र ने किताब की रूपरेखा पर बात की। डॉ. संतोष कुमार ने 'समय और संदर्भ' पर बात करते हुए प्रतिबंधन और पत्रकारिता की परंपरा को व्याख्यायित किया। शोधार्थी श्यामसागर तथा सुशील यादव ने किताब पर अपनी पाठकीय प्रतिक्रिया प्रस्तुत की। इस अवसर पर डॉ. दीनानाथ मौर्य, मनोज पांडेय, अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद', प्रदीप कुमार, रत्नेश, डॉ. नीरज सिंह, नीता सरोज, रजत कन्नौजिया, अमृता सिंह, विक्की, विवेक कुमार,स्वप्निल, विमल पांडेय, भरत सोनी, अनुराग यादव, द्वेष प्रताप सिंह, पारस सैनी आदि मौजूद रहे।
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