बोले गढ़वाल : कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में तीन साल से भूधंसाव की जद में हैं आवासीय भवन
चमोली जिले के कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में पिंडर नदी के कटाव के कारण लोग खतरे में हैं। प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से लोग परेशान हैं। भूस्खलन से 31 आवासीय भवनों के धराशायी होने...
चमोली जिले के कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर मोहल्ले में पिंडर नदी के किनारे बसे लोगों की ज़िंदगी हर पल खतरे में है। पिंडर नदी के कारण हो रहे भूकटाव से लोग खासे परेशान हैं। लोग इसका बड़ा कारण प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को मानते हैं। नदी द्वारा लगातार किए जा रहे भूकटाव ने यहां के कई आवासीय भवनों की नींव हिला दी है, जो कभी भी धराशायी हो सकते हैं। कर्णप्रयाग से सतीश गैरोला की रिपोर्ट...
हालात को और बदतर बना दिया है सरकारी मशीनरी द्वारा बिना योजना के कराए गए निर्माण कार्यों और ड्रेनेज सिस्टम के अभाव ने। बरसात के मौसम में यहां के लोगों की परेशानियां कई गुना बढ़ जाती हैं, जब हर घर के सामने भूधंसाव का खतरा मंडराने लगता है। चिंताजनक बात यह है कि अधिकारी और विभाग समस्या से वाकिफ होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं। 'बोले गढ़वाल अभियान' के तहत पीड़ितों ने हिन्दुस्तान से अपनी व्यथा साझा की। उत्तराखंड के पंच प्रयागों में शामिल, पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण कर्णप्रयाग इन दिनों भूस्खलन के संकट से जूझ रहा है। दानवीर कर्ण की तपोभूमि कहे जाने वाले इस क्षेत्र के बहुगुणानगर मोहल्ले में भूस्खलन और नदी कटाव की समस्या ने भयावह रूप ले लिया है। लगभग 500 से अधिक की आबादी वाला यह इलाका आज खतरे की जद में है। स्थानीय लोग इस समस्या से बहुत परेशान हैं। क्योंकि पिंडर नदी से निरंतर हो रहे कटाव से यहां के 31 आवासीय भवन किसी भी समय जमींदोज हो सकते हैं। जिनके यह मकान हैं वह रोज डर के साए में हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि राज्स यरकार और जिला प्रशासन को लोगों के इस खतरे की जानकारी वर्षों से है लेकिन अभी तक दोनों में से किसी की ओर से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे स्थानीय लोगों में रोष है।
लोगों ने बताया कि तीन साल पूर्व वैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्र का भूगर्भीय सर्वे भी कराया गया था, लेकिन आज तक उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया और न ही किसी ठोस समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया गया। इस समस्या के पीछे क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम का न होना एक प्रमुख कारण है। बारिश हो या सामान्य दिन, जलभराव और मिट्टी का कटाव लगातार ज़मीन को कमजोर कर रहा है। वहीं, बदरीनाथ हाईवे से सटे होने के बावजूद बहुगुणानगर में पार्किंग सुविधा का अभाव है, जिससे स्थानीय लोगों को रोज़ाना यहां जाम की समस्या झेलनी पड़ती है। यात्रा सीजन में तो और दिक्कत हो जाती है। हेमकुंड और बदरीनाथ यात्रा के दौरान स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। पैदल रास्तों पर उगी झाड़ियाँ, नियमित सफाई की कमी, और एक भी सार्वजनिक शौचालय न होना यात्रियों और स्थानीय निवासियों दोनों के लिए भारी परेशानी का सबब बना हुआ है।कर्णप्रयाग जैसे धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र की यह उपेक्षा न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है बल्कि जनप्रतिनिधियों की संवेदनहीनता पर भी सवाल खड़े करती है। ज़रूरत है कि सरकार इस ओर तुरंत ध्यान दे और प्रभावी कदम उठाकर स्थानीय जनता को राहत पहुंचाए।
सुझाव
1. भूधंसाव रोकने के लिए नदी किनारे मजबूत सुरक्षा दीवार के साथ अन्य ठोस कदम उठाये जायें।
2. गंदे व बरसाती पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण किया जाए और उचित मुआवजा दें।
3. भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के वैज्ञानिक सर्वे की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर आवश्यक इंतजाम हों।
4. पैदल रास्तों को ठीक कर झाड़ियों की सफाई हो और पर्याप्त कूड़ेदानों के साथ नियमित सफाईकर्मी की व्यवस्था हो।
5. पार्किंग सुविधा के साथ सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था हो जिससे आम जनता को दिक्कतें न हों।
शिकायतें
1. बहुगुणानगर में नदी किनारे बढ़ते भूधंसाव को रोकने व आवासीय भवनों को खतरे से बचाव को नहीं उठाये गए कदम।
2. नालियां नहीं होने की वजह से भूस्खलन का बढ़ रहा खतरा। उचित मुआवजा नहीं मिलने से भी बढ़ी मुश्किलें।
3. 3 वर्षों बाद भी भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र के वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट नहीं हुई जारी।
4. बदहाल पैदल रास्तों व उगी झाड़ियों की सफाई नहीं होने से आवाजाही में दिक्कतें।
5. पार्किंग की सुविधा नहीं होने से हाईवे पर लगता है जाम। सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से परेशानी।
भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील जोन पांच में है क्षेत्र
भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील जोन 5 में पड़ने वाले बहुगुणानगर में पिछले कई वर्षों से नदी से हो रहे भूकटाव और भूक्षरण के चलते आवासीय भवनों में दरारें लगतार गहरी और चौड़ी होने लगी है। इसके साथ धीरे धीरे उनकी मेहनत से तैयार घर भी दरकने लगे हैं। बरसात के दिनों में जब पिडंर नदी का बहाव उफान पर होता है तो प्रभावित लोग परेशान हो उठते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि 17 साल पहले बहुगुणानगर में सब्जी मंडी का निर्माण किया गया था जिस दौरान निर्माणकार्यों में भारी भरकम मशीनों का इस्तेमाल कर खुदाई की गई थी और उसके बाद धीरे-धीरे क्षेत्र में भूधंसाव शुरू हो गया था। उनका कहना है कि वर्ष 2022 में भूधंसाव तेजी से बढ़ने लगा और इसकी चपेट में आते आवासीय भवनों की संख्या भी लगातार बढ़ती चली गई। भूस्खलन प्रभावित परिवारों का कहना है कि उनकी समस्या के प्रति सरकारी मशीनरी और जनप्रतिनिधि उदासीन बने हैं।
जांच रिपोर्ट तीन साल बाद भी सार्वजनिक नहीं
बहुगुणानगर में वर्षों पहले भूधंसाव के मामले सामने आने के बाद भी इस ओर शुरूआती दौर से ही लापरवाही बरती गई और 2022 से समस्या के गंभीर रूप से लेने के बाद सरकारी मशीनरी कुछ हरकत में आई। सिस्टम के देर से जागने के बाद भूधंसाव के कारणों को जानने के उद्देश्य से प्रभावित क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वे भी कराया गया लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है। आईआईटी रूड़की के भूगर्भ वैज्ञानिकों द्वारा किये गए सर्वे के बाद भी जांच रिपोर्ट ही सार्वजनिक नहीं की जा सकी है। ऐसे में जब सर्वे रिपोर्ट ही सामने नहीं आ सकी है तो फिर जाहिर सी बात है कि समस्या के समाधान की दिशा और उसके प्रकार या तरीके पर भी कोई निर्णय लेना मुमकीन ही नहीं था। यही कारण है कि आजतक जिम्मेदार तंत्र इस समस्या का समाधान नहीं ढूंड रहे हैं। दूसरी तरफ परेशान लोगों की नींदे आंखों से गायब हैं। जरा सी बारिश में ये लोग परेशान हो जाते हैं।
झाड़ियां से जंगली जानवरों का रहता है खतरा
बहुगुणा नगर में बदहाल रास्तों व उनपर नियमित सफाई नहीं होने के साथ पैदल संपर्क मार्गों के किनारे उगी झाड़ियों को नहीं काटने से भी लोगों को मुश्किलें पेश आ रही हैं। शाम ढलते ही इस कारण लोगों को जंगली जानवरों के झाड़ियों में छुपे होने व उनके अचानक हमले का डर भी सताता रहता है। बहुगुणा नगर से आईटीआई जाने वाले रास्ते पर तो ये समस्या आम बात है। क्षेत्रवासियों को स्कूल से आते जाते अपने बच्चों को लेकर भी इस कारण असुरक्षा का डर हमेशा सताता रहता है। बदरीनाथ हाईवे से सटे इस क्षेत्र में पार्किंग सुविधा नहीं होने के कारण लोग हाईवे पर ही अपने वाहनों को मजबूरी में पार्क कर देते हैं जिससे सड़क पर जाम लगना रोज की बात है। बदरीनाथ धाम और हेमकुंड यात्रा के शुरू होने के बाद तो स्थिति तब और बिगड़ जाती है जब जाम के झाम में फंसकर तीर्थयात्रियों के साथ आम जनता को भी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं जिस कारण लोगों समय बर्बाद होता है।
बोले िजम्मेदार
बहुगुणानगर में नालियों के निर्माण के साथ ही रास्ते में जहां झाड़ियां हो रखी हैं वहां भी आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। सीएम के सामने लोगों की इस जायज समस्या को रखेंगे और प्रभावितों को मुआवजे के साथ क्षतिग्रस्त मकानों को बनवाने के लिए बजट की मांग की जाएगी। -गणेश शाह, अध्यक्ष, नगरपालिका, कर्णप्रयाग
आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम ने वर्ष 2022 और 2023 में बहुगुणानगर सहित आसपास के भूधंसाव वाले क्षेत्र में मशीनों से परीक्षण किया था। रिपोर्ट के माध्यम से ही स्पष्ट रूप से यह पता चल सकेगा कि आखिर इस क्षेत्र में भूधंसाव का कारण क्या है। सिंचाई विभाग की ओर से सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया है। -नंदकिशोर जोशी, आपदा प्रबंधन अधिकारी, गोपेश्वर
क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से दिक्कत
खास बात ये है कि बहुगुणानगर में लगातार बढ़ते भूधंसाव के पीछे एक कारण क्षेत्र में उचित ड्रेनेज सिस्टम का नहीं होना भी है। बदरीनाथ हाईवे के किनारे अवस्थित इस क्षेत्र में नालियां नहीं होने के कारण भी भूधंसाव बढ़ रहा है। कर्णप्रयाग-नैनीसैंण मोटरमार्ग पर नालियां नहीं होने की वजह से भी सामान्य दिनों के साथ बरसात में भी पानी या तो रास्तों पर जमा हो जाता है या फिर मिट्टी को काटने के साथ भूधंसाव की समस्या को और बढ़ाता है। नगरपालिका की इस ओर लापरवाही के कारण भी लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं। बरसात में तो पानी का बहाव पहले से मौजूद दरारों के अंदर समाकर उसे और चौड़ा कर रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस मोहल्ले के नीचे बहती पिंडर नदी के लगातार भूकटाव और मजबूत चट्टानों के नहीं होने की वजह से भी भूधंसाव हो रहा है और यही कारण है कि बीतते समय के साथ ये बढ़ भी रहा है। भूस्खलन रोकने के लिए पिंडर नदी के किनारे आईटीआई के नीचे से लेकर गांधीनगर मोहल्ले तक मजबूत सुरक्षा दीवार की जरूरत लोगों ने बताई है।
बोले लोग
प्रशासन से कई बार इस क्षेत्र में भू-धंसाव को रोकने और प्रभावितों को उचित मुआवजा दिलाने की मांग की गई, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई। -हरेन्द्र बिष्ट, पूर्व सभाषद
आपदा प्रभावित अपने टूटे हुए मकानों में खतरे की साए में रहने को मजबूर हैं। जल्द भूधंसाव रोकने की व्यवस्था की जानी चाहिए। अन्यथा बरसात में लोगों के सामने संकट खड़ा हो सकता है। -पुष्कर रावत
भूधंसाव के कारण मेरा मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इस क्षेत्र के ट्रीटमेंट की जरूरत है। कई बार अफसरों को कहा गया, लेकिन कोई अधिकारी भी सुनने को तैयार ही नहीं है। -बीपी सती
मेरा आवासीय भवन बरसात में हर साल लगातार धंस रहा है। यदि सुरक्षा के उपाय नहीं किए गए तो भूधंसाव की जद में आने से कई अन्य आवासीय भवन भी जमींदोजहो सकते हैं। -उमेश रतूड़ी
आपदा प्रभावितों की समस्या कई बार मुख्यमंत्री समेत अधिकारियों को बता चुके हैं लेकिन वे भूधंसाव के समाधान की ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। उचित मुआवजा दिया जाए। -हरीश चौहान
सरकार कर्णप्रयाग के आपदा प्रभावितों के प्रति गंभीर नहीं है। बार-बार प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बजाय वहां का ट्रीटमेंट किया जाय जिससे प्रभावित सुरक्षित महसूस कर सकें। -रामदयाल
तीन वर्षों से प्रभावित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। नेता और अफसर बहुगुणा नगर में आकर प्रभावितों को सिर्फ आश्वासन देते हैं लेकिन इस मुद्दे पर कोई कार्यवाही करने को तैयार ही नहीं हैं। -महेश खंडूड़ी
बहुगुणानगर के आपदा प्रभावित प्रशासन से भूधंसाव की समस्या को बताकर थक गए हैं। कई बार प्रभावितों ने मंत्रियों का घेराव भी कर दिया है। इसके बावजूद कुछ नहीं हुआ। -ईश्वरी मैखुरी
सरकार को नगर की मूलभूत सुविधाओं का प्राथमिकता के आधार पर निराकरण करना चाहिए। बिजली, पानी और स्वास्थ्य सबसे जरूरी है। -सुभाष गैरोला, पूर्व अध्यक्ष, नगरपालिका, कर्णप्रयाग
बदरीनाथ हाईवे किनारे मौजूद नालियों की दशा खराब है। बहुगुणा नगर में बारिश के दौरान पानी सड़क पर बह रहा है। चमोली डीएम से मिलकर समस्या के समाधान के लिए कहा जाएगा। -रीना रावत
सरकार को चमोली जिले के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण करना चाहिए ताकि समय रहते भूधंसाव और भूस्खलन की घटनाओं को रोका जा सके। -हरिकृष्ण भट्ट, स्थानीय निवासी
प्रशासन की हठधर्मिता के कारण बहुगुणानगर में भूधंसाव की समस्या बढ़ती जा रही है। पहले यहां भूधंसाव नहीं था। सब्जी मंडी बनाने के लिए मशीनों से खुदाई के बाद हुआ। -कमला रतूड़ी, सभासद, नगरपालिका, कर्णप्रयाग
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