मुकदमा चलाइए; स्टालिन के बवाली मंत्री की मुश्किलें बढ़ीं, हाई कोर्ट ने क्यों दिए सख्त आदेश
हाई कोर्ट का सख्त रुख अपनाते हुए तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के मंत्री दुरई मुरुगन को फिर से कोर्ट के कटघरे में लाने का आदेश दिया है। कुछ दिनों पहले अपनी बयानबाजी से चर्चा में रहे मुरुगन अब कानूनी संकट में घिरते नजर आ रहे हैं।

तमिलनाडु सरकार में कद्दावर मंत्री और डीएमके नेता दुरई मुरुगन की कानूनी मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। गुरुवार को मद्रास हाई कोर्ट ने एमके स्टालिन के मंत्री पर मुकदमा चलाने का आदेश देते हुए वेल्लोर की स्पेशल कोर्ट को छह महीने में ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया जिसमें दुरई मुरुगन और उनकी पत्नी को आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी कर दिया गया था।
यह मामला 2007 से 2009 के बीच का है, जब मुरुगन डीएमके सरकार में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (पीडब्लूडी) के मंत्री थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने इस दौरान करीब 1.40 करोड़ रुपये की ऐसी संपत्ति इकट्ठा की, जो उनकी ज्ञात आय के मुकाबले कहीं अधिक थी।
क्या है पूरा मामला
यह केस सबसे पहले 2011 में विजिलेंस और एंटी करप्शन निदेशालय (डीवीएसी) ने दर्ज किया था। मगर 2017 में वेल्लोर की स्पेशल कोर्ट ने उन्हें और उनकी पत्नी को बरी कर दिया था, जिसे अब हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट के जस्टिस पी वेलमुरुगन ने कहा कि इस मामले की सुनवाई अब रोजाना आधार पर हो और छह महीने के भीतर पूरी की जाए। इसी हफ्ते बुधवार को भी कोर्ट ने एक पुराने मामले में मुरुगन और उनके परिवार के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया था।
पहले भी रहा विवादों से नाता
दुरई मुरुगन का नाम केवल भ्रष्टाचार के मामलों में ही नहीं, बल्कि उनके बयानों के चलते भी लगातार सुर्खियों में रहा है। हाल ही में उन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक मतभेदों को लेकर बयानबाजी की थी। एक जनसभा में उन्होंने कहा कि "उत्तर भारत में, एक महिला के कई पति हो सकते हैं, कभी-कभी पांच या दस भी होते हैं। इसी तरह, कई पुरुष एक महिला से विवाह कर सकते हैं। यह उनकी परंपरा है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर भारत में 17-18 बच्चे होना आम बात है, जबकि दक्षिण भारत ने जनसंख्या नियंत्रण को गंभीरता से अपनाया है।