गौरवशाली अतीत पर आज भी इतरा रही है हिन्दुस्तानी एकेडेमी
Prayagraj News - प्रयागराज में हिन्दुस्तानी एकेडेमी का 98वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर 13 प्रमुख साहित्यकारों को साहित्यिक अवदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। एकेडेमी का शताब्दी वर्ष दो वर्षों में मनाया...

प्रयागराज। हिंदी व उसकी सहयोगी भाषाओं को समृद्ध व लोकप्रिय बनाने के लिए 1927 में स्थापित हिन्दुस्तानी एकेडेमी का शनिवार को 98वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर साहित्यिक अवदान के लिए 13 विशिष्ट साहित्यकारों को सम्मानित किया जाएगा। दो वर्ष बाद हिन्दुस्तानी एकेडेमी अपना शताब्दी वर्ष भी मनाएगी। हिन्दुस्तानी एकेडेमी को पिछले कुछ वर्षों से भले अपना अध्यक्ष न मिला हो व प्रतिष्ठित पुरस्कारों की घोषणा न हुई हो, इसके बावजूद एकेडेमी अपने गौरवशाली अतीत पर इतरा रहा है। एकेडेमी से जुड़कर साहित्यकारों, विद्वानों ने वैश्विक स्तर पर हिंदी-उर्दू का मान बढ़ाया। सरस्वती पत्रिका के संपादक व साहित्यकार रविनंदन सिंह ने बताया कि एक समय था जब हिंदी साहित्य जगत का हर बड़ा साहित्यकार किसी न किसी रूप में एकेडेमी से जुड़ा रहता था। साथ ही अनेक रचनाकार एकेडेमी की कार्य-परिषद के सदस्य रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से मुंशी प्रेमचंद, रामचंद्र शुक्ल, श्यामसुंदर दास, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, डॉ. धीरेन्द्र वर्मा, श्रीधर पाठक, जगन्नाथ दास रत्नाकर, लाला सीताराम ने एकेडेमी की साहित्यित्यक परंपरा को समृद्ध किया। एकेडेमी की ओर से प्रकाशित त्रैमासिक हिन्दुस्तानी पत्रिका 1931 से 1948 तक प्रकाशित हुई। उसके बाद 1958 से अभी तक निरंतर प्रकाशित हो रही है।
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