न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े संग्राम का शंखनाद
Prayagraj News - हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित अखिल भारतीय सम्मेलन में विभिन्न हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के सदस्यों ने न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता पर चर्चा की। सम्मेलन ने न्यायाधीशों की जिम्मेदारी...
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शनिवार को एनसीजेडसीसी के मेहता प्रेक्षागृह में आयोजित न्यायिक प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता विषयक अखिल भारतीय सम्मेलन में देश के विभिन्न हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्षों और सचिवों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को सफल मुकाम तक पहुंचाने के लिए अपने विचार रखे। छह घंटे तक चले सम्मेलन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े संग्राम का शंखनाद किया। इस बात पर विशेष बल दिया गया कि जिस तरह एक सामान्य नागरिक और कर्मचारी की जवाबदेही निर्धारित है उसी प्रकार न्यायाधीशों की जवाबदेही भी सुनिश्चित हो। दो मिनट के मौन से पहलगाम में आतंकी हमले में जान गंवाने वाले निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि के बाद दीप प्रज्ज्वलन से प्रारंभ सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि कॉलेजियम को न्यायाधीशों की नियुक्ति या पदोन्नति के संबंध में सम्बन्धित बार एसोसिएशन से सम्पर्क करना चाहिए और न्यायाधीश पद की नियुक्ति के संबंध में सम्भावित व्यक्ति के आचार-व्यवहार के विषय में विचार-विमर्श करने के बाद ही नाम प्रस्तावित करना चाहिए।
सम्मेलन में यह तय हुआ कि श्रृंखला का अगला अखिल भारतीय सम्मेलन कर्नाटका उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन बेंगलुरु में आयोजित किया जाएगा। यह भी तय हुआ कि देश के सभी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का एक ट्रस्ट बनाया जाएगा जिसमें हर हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष व सचिव को सदस्य बनाया जाएगा। ट्रस्ट के अध्यक्ष व सचिव रोटेशनवाइज बदलते रहेंगे। सभी ने एक स्वर से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर में मिली नगदी के परिप्रेक्ष्य में उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की बात कही।
शुरुआत में हाईकोर्ट बार के महासचिव विक्रांत पांडेय ने स्वागत करते हुए कहा कि यह न्याय की जिम्मेदारी है कि वह न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे, बल्कि उन गलतियों को भी सुधारे जो उनके साथ हुई हैं।
गुजरात हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रजेश त्रिवेदी ने कहा कि हमें न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए नियम बनाना होगा और जागरूकता अभियान चलाना होगा। कर्नाटका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक सुब्बा रेड्डी ने कहा कि सरकार से दो कोलेजियम स्थापित करने के लिए मांग करनी चाहिए, पहला कोलेजियम नियुक्ति के संबंध में और दूसरा जवाबदेही व जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए कांस्टीट्यूशन बेंच की भी मांग की जानी चाहिए जिससे न्यायाधीशों की जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा न्यायाधीशों से अपनी और अपने सगे सम्बन्धियों की सम्पत्ति का विवरण भी देने का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए।
यूपी बार काउंसिल के सदस्य श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि आज जो स्थिति है उसके संकेत पहले से ही आने लगे थे लेकिन हमने उसका विरोध नहीं किया। पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय बार के अध्यक्ष सरतेज सिंह नरुला ने कहा कि हाईकोर्ट बार ने जिस मुहिम की शुरुआत की है वह बहुत ही सराहनीय है। पटना हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि पंच को हमेशा परमेश्वर कहा गया है और हम अपने न्यायाधीश को माय लार्ड कहते हैं। ग्वालियर उच्च न्यायालय के अध्यक्ष पवन पाठक ने कहा कि हमें न्यायपालिका को बचाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ेगी क्योंकि सरकार न्यायपालिका पर अपना कब्जा जमाना चाहती है। तेलंगाना उच्च न्यायालय बार के अध्यक्ष एलएम जगन ने कहा कि जजों की नियुक्ति के संदर्भ में बार एसोसिएशन की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट महमूद प्राचा ने कहा कि न्यायपालिका की शुचिता के लिए वकीलों को ही खड़ा होना पड़ेगा और केवल अदालतों में ही नहीं, सड़कों पर भी खड़ा होना पड़ेगा। कार्यक्रम के दौरान हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने अपने एसोसिएशन के 46 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अधिवक्ता सदस्यों एवं उनके परिवारीजनों को सम्मानित किया। उपाध्यक्ष अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी के निर्देशन में वंशिका पाठक एवं शरद मिश्र ने मंच संचालन का दायित्व निभाया। झारखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार, अवध बार के अध्यक्ष आरडी शाही, जबलपुर हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन, ग्वालियर हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष पवन पाठक, जयपुर बार के महासचिव रमित पारिख, केरल हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष यशवंत शिनॉय, गुजरात हाईकोर्ट के अधिवक्ता भास्कर तन्ना, रिटायर जस्टिस धरणीधर झा ने भी विचार रखे।
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