राहुल गांधी की नागरिकता वाले केस में हाईकोर्ट ने दूसरे कानूनी उपाय देखने कहा, केंद्र ने नहीं दी थी समय सीमा
हाईकोर्ट ने इस याचिका को निस्तारित कर दिया है। न्यायालय ने याची एस विग्नेश शिशिर को यह छूट दी है कि वह अन्य विधिक वैकल्पिक उपाय अपना सकते हैं। इसके पहले पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस पर 10 दिनों में फाइनल रिपोर्ट मांगी थी।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस याचिका को निस्तारित कर दिया है। न्यायालय ने याची एस विग्नेश शिशिर को यह छूट दी है कि वह अन्य विधिक वैकल्पिक उपाय अपना सकते हैं। इसके पहले पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से 10 दिनों में फाइनल रिपोर्ट मांगी थी। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि 10 दिनों में इस मामले में याची की ओर से दाखिल प्रतिवेदन को निस्तारित किया जाए। पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई थी। सोमवार को केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करना था।
सोमवार को हुई सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार याची की शिकायत को निस्तारित करने की कोई समय सीमा नहीं बता पा रही है, ऐसे में इस याचिका को विचाराधीन रखने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। न्यायालय ने याची को कहा कि वह दूसरे वैकल्पिक विधिक उपाय अपनाने के लिए स्वतंत्र है।
क्या है मामला
बता दें कि कर्नाटक के एस विग्रेश शिशिर ने यह याचिका दाखिल की थी। मामले में याची की ओर से दलील दी गई थी कि उसके पास तमाम दस्तावेज और ब्रिटिश सरकार के कुछ ई-मेल हैं जिनसे यह पता चलता है कि राहुल गांधी एक ब्रिटिश नागरिक हैं। इस वजह से वह चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं हैं और लोकसभा सदस्य का पद धारण नहीं कर सकते हैं।
याची ने इसी आधार पर राहुल गांधी के सांसद पद पर बने रहने के खिलाफ अधिकार पृच्छा रिट जारी करने का आदेश देने की भी मांग की थी। इसके साथ ही राहुल गांधी के इस प्रकार से दोहरी नागरिकता धारण करने को बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) और पासपोर्ट एक्ट के तहत अपराध बताते हुए सीबीआई को केस दर्ज कर जांच करने का आदेश देने की भी मांग की थी।