1965 India-Pakistan War Villagers Recall Struggles and Unity During Conflict तब बिजली तो दूर दीया तक जलाने पर भी थी पाबंदी, Rampur Hindi News - Hindustan
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तब बिजली तो दूर दीया तक जलाने पर भी थी पाबंदी

Rampur News - 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान ग्रामीणों ने अंधेरे में रहते हुए युद्ध की खबरें सुनने के लिए शहरों की ओर दौड़ लगाई। हर कोई चौपाल पर बैठकर रेडियो से खबरें सुनते थे और सैनिकों के बलिदान पर गर्व महसूस...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरWed, 7 May 2025 01:22 AM
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तब बिजली तो दूर दीया तक जलाने पर भी थी पाबंदी

सैदनगर। 1965 का भारत-पाक युद्ध 5 अगस्त 1965 से 23 सितंबर 1965 तक चला था। करीब 48 दिन तक चले युद्ध के दौरान बिजली तो दूर घरों में दीया तक जलाने की पाबंदी थी। दुश्मन की नजर से बचने को शाम ढलते ही गांवों में अंधेरा छा जाता था। चारों ओर सन्नाटा आसमान में गड़गड़ाते लड़ाकू विमानों की आवाज खौफ पैदा करती थी। सैदनगर क्षेत्र निवासी ग्रामीण बताते हैं कि सुबह जल्दी उठकर हर किसी को युद्ध के बारे में जानने की उत्सुकता होती थी। युद्ध की ताजा जानकारी लेने के लिए गांव से लोग शहर की ओर जाया करते थे।

शाम को वापस आने पर चौपाल में बैठकर ग्रामीणों को युद्ध की ताजा स्थिति से अवगत कराया जाता था। 23 सितंबर 1965 को युद्ध विराम की घोषणा हुई तो गांवों में विजय जुलूस निकाला गया। चौपाल पर ढोल नगाड़ों के साथ लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद देते हुए गले लगाया था। रेडियो पर सुनते थे खबरें, दिन भर सिर्फ युद्ध की बात ग्रामीण बताते हैं कि 1965 भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान लोग चौपाल पर बैठकर युद्ध की खबरें सुना करते थे। अपना जरूरी काम निपटाने के बाद पूरा दिन सिर्फ युद्ध की ही बात होती थी। आज से करीब 60 साल पूर्व हर गांव में रेडियो की सुविधा नहीं थी तो लोग खबरें सुनने के लिए शहर जाया करते थे। जिस समय रेडियो पर खबरें आती थी चौपाल पर बैठे लोगों में सन्नाटा हो जाता था। हर कोई खामोशी के साथ खबरों पर अपना ध्यान लगा लेता था। खबरों में भारतीय सेना के जीतने की बात सुनते ही लोग खुशी से ताली बजाने लगते थे। अगर किसी भारतीय सैनिक के शहीद होने की खबर मिलती तो खामोशी छा जाती थी। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गांव में रात को अंधेरा हो जाता था। दुश्मन की नजर से बचने के लिए हर कोई घर में होने वाली रोशनी को बंद कर देता था। रेडियो पर भी रात को रोशनी बंद करने की सूचना दी जाती थी। - 98 वर्षीय अहमद शाह, गांव कुम्हरिया 1965 युद्ध की खबरें सुनने के लोगों को दूसरे गांव ओर शहरों को जाना पड़ता था। हर गांव में रेडियो नहीं होने के कारण लोगों में बेचैनी होती थी। ग्रामीण दूसरे गांव में खबरें सुनकर रात को चौपाल पर बैठकर सुनता था। 88 वर्षीय राम प्रसाद सैनी, गांव मुंडिया हवाई जहाज और लड़ाकू विमानों की आवाज सुनकर लोग सहम जाते थे। हर कोई आसमान की ओर देखते हुए घरों से बाहर निकल आता था। आवाज बंद होने के बाद ही ग्रामीण अपने घरों के अंदर जाते थे। - 87 वर्षीय गुलाम हुसैन, गांव सींगनखेड़ा 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान हर भारतीय अपने देश के लिए लड़ना चाहता था। पाकिस्तान के खिलाफ लोगों में काफी नफरत बढ़ गई थी। हर भारतीय जाति धर्म को भूलकर एक साथ खड़ा हो गया था -81 वर्षीय हाजी अमानत अली, गांव खेमपुर 1965 युद्ध के दौरान देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे। उन्होंने देश का नेतृत्व बहुत ही कुशलता के साथ किया था। प्रधान मंत्री रेडियो पर देशवासियों ओर सैनिकों को प्रेरित कर उनका हौसला बढ़ाते थे। - 80 वर्षीय हाजी मोहब्बत अली, गांव खेमपुर 1965 भारत पाकिस्तान युद्ध में हमारे कई सैनिक शहीद हुए थे। लेकिन उन शहीदों के बलिदान ने हमारे देश को ओर मजबूत किया। उसे समय हर भारतीय युवा अपने देश के लिए लड़ना चाहता था। -82 वर्षीय गंगा राम, गांव खिमोतिया बख्ति

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