Challenges Faced by Chartered Accountants in Saharanpur Tax Technology and Work-Life Balance बोले सहारनपुर : सीए कर रहे चुनौतियों का सामना, Saharanpur Hindi News - Hindustan
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बोले सहारनपुर : सीए कर रहे चुनौतियों का सामना

Saharanpur News - सहारनपुर में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें तेजी से बदलते टैक्स और ऑडिट कानून, तकनीकी समस्याएँ, क्लाइंट के व्यवहार और वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी शामिल हैं। इन मुद्दों...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहारनपुरFri, 16 May 2025 05:51 PM
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बोले सहारनपुर : सीए कर रहे चुनौतियों का सामना

सहारनपुर में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। टैक्स और ऑडिट कानूनों में तेजी से हो रहे बदलाव, तकनीकी परेशानी, क्लाइंट का व्यवहार और वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी जैसे मुद्दों ने काम को अधिक जटिल बना दिया है। सहारनपुर के कई अनुभवी और युवा सीए इस स्थिति को लेकर चिंतित है। देशभर की तरह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में भी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) पेशे से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। टैक्स और ऑडिट कानूनों में तेजी से हो रहे बदलाव, तकनीकी दिक्कतें, क्लाइंट का व्यवहार और वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी जैसे मुद्दों ने सीए पेशे को और अधिक जटिल बना दिया है।

सहारनपुर के कई अनुभवी और युवा सीए इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने इससे निपटने के लिए कई ठोस सुझाव भी दिए हैं। सहारनपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट न केवल स्थानीय व्यापारिक संस्थानों के लिए रीढ़ हैं, बल्कि वे एक ऐसा वर्ग हैं जो आर्थिक और प्रशासनिक पारदर्शिता में अहम भूमिका निभाते हैं। आईसीएआई को उनकी समस्याओं को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि यह पेशा और अधिक आकर्षक और टिकाऊ बन सके। सहारनपुर में तकरीबन 400 से अधिक पंजीकृत चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जिनमें से अधिकांश स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस कर रहे हैं या छोटी-मंझली फर्मों से जुड़े हुए हैं। जीसटी लागू होने के बाद से काम की प्रकृति पूरी तरह बदल गई है। रोच नए अपडेट आते हैं, पोर्टल डाउन रहते हैं और क्लाइंट्स को लगता है कि सीए जानबूझकर देरी कर रहे हैं। सहारनपुर के सीए का कहना है कि जीएसटी इनकम टैक्स और एमसीए से जुड़े नियमों में आए दिन होने वाले बदलावों की वजह से उन्हें खुद को अपडेट रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इन परिवर्तनों को समझना और क्लाइंट को समझाना दोनों ही समय-साध्य है। तकनीकी खराबी और डिजिटल दबाव जीएसटीएन पोर्टल, एमसीए 21 पोर्टल, और आयकर रिटर्न फाइलिंग पोर्टल अक्सर डाउन रहते हैं या तकनीकी गड़बड़ियों का सामना करते हैं। बिलिंग से लेकर रिटर्न फाइलिंग तक सब ऑनलाइन है, लेकिन जब पोर्टल काम न करे तो पूरा दिन खराब हो जाता है। ऊपर से डेडलाइन भी सर पर होती है। ये तकनीकी परेशानियाँ मानसिक तनाव का कारण बन गई हैं। सीए पेशेवर अक्सर सुबह 9 बजे से रात 11 बजे तक काम करते हैं, विशेष रूप से मार्च और जुलाई जैसे फाइलिंग महीनों में। इससे उनका पारिवारिक जीवन प्रभावित होता है। मानसिक और शारीरिक थकावट आम बात हो गई है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स केवल टैक्स भरने या बैलेंस शीट बनाने तक सीमित नहीं हैं। सीए जीएसटी जागरूकता शिविर, एमएसएनई को वित्तीय परामर्श, और स्टार्टअप्स को कानूनी समर्थन देने जैसे कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सीए एसोसिएशन ने कहा है कि हमारा काम अर्थव्यवस्था की नींव है। अगर हमें बेहतर कार्य वातावरण मिलेगा, तो हम देश और समाज दोनों को बेहतर सेवा दे सकेंगे। --- इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म्स की देरी से योजना प्रभावित फॉर्म्स अब तक पूरी तरह पोर्टल पर लाइव नहीं हुए हैं। इससे फाइलिंग की पूर्व योजना बनाना मुश्किल हो रहा है। चार्टर्ड अकाउंटेंट का मानना है कि हर साल यही होता है-समय पर फॉर्म न आना, फिर अंतिम तिथि के पास जाकर भीड़। सरकार को समयबद्ध रूप से आईटीआर फॉर्म्स लागू करने चाहिए। छोटी फर्मों को ऑडिट कार्य में प्राथमिकता सहारनपुर के युवा और छोटी फर्म चलाने वालों की मांग है कि सरकारी या बैंक ऑडिट जैसे कार्यों में केवल बड़े नेटवर्क को नहीं, बल्कि छोटे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को भी मौका मिले। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और समान अवसर मिलेंगे। जीएसटी सिस्टम अपडेट नहीं होने से समस्याएं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने बताया है कि जीएसटीएन पोर्टल कई बार नवीनतम अधिसूचनाओं या बदलावों को समय पर अपडेट नहीं करता। इससे रिटर्न फाइलिंग में त्रुटियाँ होती हैं, जबकि गलती चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के सिर मढ़ी जाती है। यदि सरकार कोई नया नियम लाती है, तो वही बदलाव पोर्टल पर तुरंत दिखना चाहिए। ऐसा न हो तो तकनीकी और अनुपालन का तालमेल बिगड़ जाता है। आरओसी पोर्टल में कंपनी अप्रूवल से जुड़ी समस्या कई चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने आरओसी (Registrar of Companies) पोर्टल में नए कंपनी पंजीकरण या नाम अप्रूवल में अनावश्यक देरी और अस्वीकृति की शिकायत की है। सहारनपुर में स्टार्टअप्स के लिए कंपनी बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। नाम रिजर्वेशन या इन्कॉर्पोरेशन फॉर्म बार-बार रिजेक्ट हो जाते हैं, कभी-कभी बिना स्पष्ट कारण के। इससे उद्यमिता पर असर पड़ रहा है। टेक्निकल या डेटा एंट्री गलती पर ट्रक रोके जाने का विरोध सहारनपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने जीएसटी अधिकारियों द्वारा क्लर्किकल त्रुटियों की आड़ में ट्रकों को रोके जाने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है। उनका मानना है कि मामूली डेटा एंट्री की गलती, जैसे बिल नंबर या पिन कोड में टाइपो, को कर चोरी के समकक्ष मानना अनुचित है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का कहना है कि ऐसी त्रुटियां जानबूझकर नहीं होतीं, और इनसे व्यापारियों का ट्रांसपोर्ट ठप हो जाता है। सरकार को स्पष्ट गाइडलाइन लानी चाहिए कि किन मामलों में ट्रक रोके जाएं और किनमें नहीं। --- मुख्य समस्याएं 1. लगातार बदलते टैक्स कानून 2. तकनीकी खराबियां और डिजिटल दबाव 3. क्लाइंट्स की अपेक्षाएँ और फीस का संकट 4. आईसीएआई की सख्ती और अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का डर 5. वर्क-लाइफ बैलेंस का अभाव सुझाव और समाधान : 1. टैक्स और ऑडिट नियमों में स्थायित्व 2. सरकारी पोर्टल्स की गुणवत्ता में सुधार 3. न्यूनतम फीस का निर्धारण 4. आईसीएआई को अधिक प्रतिनिधित्वकारी भूमिका निभाने की जरूरत 5. मेंटल हेल्थ और वर्क लाइफ बैलेंस 0-वर्जन जीएसटी से संबंधित विवादों की सुनवाई फेसलेस सुनी जाए। ठीक वैसे ही जैसे आयकर विभाग ने फेसलेस असेसमेंट प्रणाली लागू की है। नए सीए को सरकारी कार्य मिले। राघव गर्ग,सीए 0-वर्जन नए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को अपने करियर की शुरुआत में अक्सर क्लाइंट्स मिलना मुश्किल होता है। सरकारी विभागों में लेखी परीक्षण, जीएसटी रिटर्न स्कूटनी, बैंक ऑडिट व अन्य वित्तिय कार्यों में नए सीए को प्राथमिकता दी जाए। -संयम जैन, सीए 0-वर्जन यदि सरकार नए सीए को शुरु में ही कुछ सरकारी काम सौंपे तो इससे नए सीए को आत्मविश्वास और अनुभव दोनो मिलेगा। इससे बेरोजगारी में भी कमी आएगी। -कनिका गर्ग, सीए 0-वर्जन सरकारी या बैंक ऑडिट जैसे कार्यों में केवल बड़े नेटवर्क को नहीं, बल्कि छोटे सीए को भी मौका मिले। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और समान अवसर मिलेंगे। -अखिल गुप्ता, सीए 0- वर्जन आईटीआर(इंकम टैक्स रिटर्न) फॉर्म्स अब तक पूरी तरह पोर्टल पर लाइव नहीं हुए हैं। इससे फाइलिंग की पूर्व योजना बनाना मुश्किल हो रहा है। -विजय गुप्ता, सीए 0-वर्जन जीएसटीएन पोर्टल कई बार नवीनतम अधिसूचनाओं या बदलावों को समय पर अपडेट नहीं करता। इससे रिटर्न फाइलिंग में त्रुटिया होती हैं, जबकि गलती सीए के सिर गढ़ी जाती है। -गौरव अरोड़ा, सीए 0-वर्जन नियमों में बार-बार बदलाव के बजाय साल में एक बार ही संशोधन हों, ताकि अध्ययन और तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके लिए कई बार मांग की गई है।- नितिन मोंगा, सीए 0-वर्जन देश की अर्थव्यवस्था में सीए का महत्वर्पूण योगदान है। अगर हमें बेहतर कार्य वातावरण मिलेगा, तो हम देश और समाज दोनों को बेहतर सेवा दे सकेंगे। -विकास अग्रवाल, सीए 0-वर्जन जीएसटी, इनकम टैक्स और एमसीए से जुड़े नियमों में आए दिन होने वाले बदलावों की वजह से खुद को अपडेट रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इन परिवर्तनों को समझना और क्लाइंट को समझाना दोनों ही समय-साध्य है। -ऋषभ ढींगड़ा, सीए 0-वर्जन बिलिंग से लेकर रिटर्न फाइलिंग तक सब ऑनलाइन है, लेकिन जब पोर्टल काम न करे तो पूरा दिन खराब हो जाता है। ऊपर से डेडलाइन भी सिर पर होती है। तकनीकी परेशानियां कई बार मानसिक तनाव का कारण बन जाती हैं। -इरशाद, सीए 0-वर्जन मानसिक स्थिति को बेहतर बनाए रखने के लिए आईसीएआई और स्थानीय इकाइयों को काउंसलिंग, योग, और तनाव प्रबंधन से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए। -रुहानी, सीए 0-वर्जन न्यूनतम फीस का एक दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए ताकि सीए का शोषण न हो। इससे न केवल पेशे की गरिमा बढ़ेगी, बल्कि युवा सीए को आत्मनिर्भरता मिलेगी। -आकाश जैन, सीए 0-वर्जन यदि सरकार कोई नया नियम लाती है तो वही बदलाव पोर्टल पर तुरंत दिखना चाहिए। ऐसा ना हो तो तकनीकी और अनुपालन का तालमेल बिगड़ जाता है। -आकांशा जैन, सीए 0-वर्जन रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज पोर्टज में नए कंपनी पंजीकरण या नाम अप्रूव्ल में समस्या आ रही है। स्टार्टअप्स के लिए कंपनी बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। -नितिन गर्ग, सीए 0-वर्जन नाम रिजर्वेशन या इन्कॉपोरेशन फॉर्म बार-बार रिजेक्ट हो जाते हैं, कभी कभी बिना स्पष्ट कारण के हो जाते हैं। इससे उद्यमिता पर असर पड़ रहा है। -सवि गर्ग, सीए 0-वर्जन जीएसटी, इनकम टैक्स और एमसीए से जुड़े नियमों में आए दिन होने वाले बदलावों की वजह से खुद को अपडेट रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। -आयुष भाटिया

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