Truck Drivers in Saharanpur Struggling for Basic Rights and Better Living Conditions बोले सहारनपुर : मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ट्रक चालक, Saharanpur Hindi News - Hindustan
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बोले सहारनपुर : मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ट्रक चालक

Saharanpur News - सहारनपुर में ट्रक ड्राइवरों की जिंदगी कठिनाईयों से भरी हुई है। वे 14-18 घंटे काम करते हैं और उनकी मासिक आमदनी 10-12 हजार रुपये है। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, न्यूनतम वेतन का अभाव और पुलिस द्वारा...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहारनपुरWed, 28 May 2025 08:31 PM
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बोले सहारनपुर : मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे ट्रक चालक

सड़कों पर दौड़ते भारी-भरकम ट्रकों के पीछे छिपी होती है कठिन और संघर्षपूर्ण जिंदगी। ट्रक ड्राइवर, जो देश की आर्थिक धड़कनों को चलाए रखते हैं आज खुद तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। सहारनपुर जनपद में ट्रक ड्राइवरों की संख्या करीब 20 हजार और हेल्परों की संख्या 1000 है। ये दोनों प्रतिदिन 14 से 18 घंटे की ड्यूटी करते हैं। इनकी मासिक आमदनी मात्र 10 से 12 हजार रुपये के बीच है। वहीं कई के पास न आयुष्मान कार्ड न ही राशन कार्ड। इस कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनकी सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए उन्हें श्रमिक की मान्यता दी जानी चाहिए।

साथ ही, सड़क पर उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और आराम की व्यवस्था करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। सामाजिक संगठनों को भी आगे आकर इनके हक में आवाज उठानी चाहिए। आम जनता को यह समझने की जरूरत है कि अगर ट्रक ड्राइवर नहीं होंगे तो बाजार में राशन से लेकर दवाई तक सब रुक जाएगा। ट्रक ड्राइवर देश की अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य हैं, लेकिन उनकी समस्याएं गंभीर हैं। बेहतर बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य सेवाएं, सुरक्षा और सम्मानजनक वेतन के बिना उनकी स्थिति नहीं सुधर सकती। सरकार और समाज को मिलकर इनकी समस्याओं का समाधान करना होगा, तभी देश की लॉजिस्टिक्स रीढ़ मजबूत रह पाएगी। ट्रक ड्राइवरों को दिन-रात सफर करना पड़ता है। कई बार उन्हें एक ही बार में 600-800 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। लगातार ड्राइविंग से न केवल शारीरिक थकावट होती है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ता है। राशिद कहते हैं, हम दिन-रात एक करके माल पहुंचाते हैं, लेकिन हमारे आराम की कोई जगह नहीं होती। ना हाईवे पर ढंग से रुकने की जगह होती है, ना कोई शौचालय। अमजद का कहना है, 14-15 घंटे ड्राइविंग के बाद भी सही से सोने को जगह नहीं मिलती। गाड़ी में ही बैठकर नींद पूरी करनी पड़ती है। इनका सुझाव है कि प्रत्येक 100-150 किलोमीटर पर विश्राम केंद्र, शौचालय और भोजनालय की व्यवस्था की जाए। इससे ड्राइवरों की थकावट कम होगी और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलेंगी। ट्रक ड्राइवरों का आरोप है कि अक्सर पुलिस और आरटीओ द्वारा रोका जाता है। कई बार बिना वजह चालान काटा जाता है या रिश्वत मांगी जाती है। इससे उनका काम और मनोबल दोनों प्रभावित होते हैं। इनकी मांग है कि बेवजह परेशान न किया जाए। सभी ट्रक ड्राइवरों के लिए सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जाए। हर छह महीने पर मुफ्त मेडिकल जांच की सुविधा दी जाए। ट्रक ड्राइवर सिर्फ गाड़ी नहीं चलाते, वे देश की अर्थव्यवस्था को गति देते हैं। उन्हें अगर समय पर राहत, सम्मान और सुविधा मिले तो न केवल उनकी जिंदगी बेहतर होगी, बल्कि लॉजिस्टिक प्रणाली भी अधिक सक्षम बनेगी। स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव लंबे समय तक ड्राइविंग से कमर दर्द, आंखों की कमजोरी, ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी समस्याएं होती हैं, लेकिन नियमित जांच या बीमा की कोई व्यवस्था नहीं है। इनका कहना है कि इनके पास इलाज कराने का समय और पैसा दोनों नहीं होता। अगर स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा मिले तो इनके जीवन में सुधार आ सकता है। ट्रक ड्राइवरों का सुझाव है कि सरकार या कंपनियों द्वारा स्वास्थ्य बीमा और साल में कम से कम दो बार मेडिकल चेकअप अनिवार्य किया जाए। न्यूनतम वेतन और अस्थिर रोजगार मेहनत के मुकाबले इनका वेतन काफी कम है और अस्थिर रोजगार के चलते हमेशा एक दबाव बना रहता है। एक ड्राइवर ने बताया कि परिवार से दूर रहकर भी महीने में मुश्किल से दस से 12 हजार रुपये महीने की कमाई हो पाती है। महीनों की मेहनत के बावजूद वेतन बहुत कम है और रोजगार भी स्थिर नहीं है। बीमा, पीएफ जैसी सामाजिक सुरक्षा भी नहीं मिलती। ट्रक ड्राइवरों के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाए और आर्थिक मदद मिले। ट्रकों में एसी की अनिवार्य व्यवस्था हो भीषण गर्मी और उमस में लंबे समय तक ड्राइविंग करने से ट्रक ड्राइवरों को चक्कर, थकावट, डिहाइड्रेशन और सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं। अधिकतर ट्रकों में एसी नहीं होता है। इससे ड्राइवर की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं। ट्रक ड्राइवरों का कहना है, हर गाड़ी में एसी होना चाहिए और इसे चलाने की अनुमति भी मिलनी चाहिए। यह हमारी सेहत और सुरक्षा दोनों के लिए जरूरी है। व्यापारियों द्वारा उत्पीड़न ट्रक ड्राइवरों को सिर्फ सड़कों पर ही नहीं, बल्कि गोदामों और मंडियों में भी अपमान और उत्पीड़न झेलना पड़ता है। व्यापारी अक्सर उन्हें घंटों इंतज़ार कराते हैं, माल लोडिंग और अनलोडिंग के दौरान सहयोग नहीं किया जाता है और पैसे काटे जाते हैं। और कई बार बेवजह झगड़ते हैं। ट्रक ड्राइवरों की मांग है कि व्यापारियों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं कि वे ट्रक ड्राइवरों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। लोडिंग-अनलोडिंग में देरी की स्थिति में उन्हें आराम या भोजन की सुविधा दी जाए और भुगतान में पारदर्शिता रखी जाए। समस्याएं: 1.न्यूनतम वेतन और अस्थिर रोजगार 2. सड़क पर सुविधाओं की कमी 3. चेकिंग के नाम पर उत्पीड़न 4.असुरक्षा और लूट की घटनाएँ 5.स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव सुझाव: 1. नियमित विश्राम और सुविधा केंद्र बनाए जाएं 2. पुलिस और आरटीओ के व्यवहार में सुधार 3. स्वास्थ्य बीमा और नियमित मेडिकल जांच 4. ट्रक ड्राइवरों के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाए 5. ड्राइवरों की सुरक्षा सुनिश्चित हो वर्जन....... सड़कों पर सुविधा केंद्रों की भारी कमी है। हाईवे पर शौचालय, भोजन और विश्राम की उचित व्यवस्था नहीं है। कई बार हाईवे पर मजबूरी में गाड़ी सड़क किनारे खड़ी करनी पड़ती है। ना तो टॉयलेट होता है, ना पीने का पानी। खाने के लिए जो मिल जाए वही खा लेते हैं। -राशिद ट्रक ड्राइवरों को दिन-रात सफर करना पड़ता है। कई बार उन्हें एक ही बार में 600-800 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। लगातार ड्राइविंग से न केवल शारीरिक थकावट होती है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ता है। -अमजद ट्रक ड्राइवरों को अक्सर पुलिस और आरटीओ द्वारा रोका जाता है। इनका व्यवहार भी सही नहीं होता है। अक्सर अपमानित किया जाता है। इससे काम और मनोबल दोनों प्रभावित होते हैं। -मुजाकिर रात के समय ट्रक चलाना किसी खतरे से कम नहीं। सुनसान इलाकों में ड्राइवरों के साथ लूट की घटना की संभावना बनी रहती है। ट्रक ड्राइवरों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयाय किए जाने चाहिए। -आशिक 100 से 150 किमी पर विश्राम केंद्र, शौचालय और भोजनालय की व्यवस्था की जाए। इससे ड्राइवरों की थकावट कम होगी और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलेंगी। -वसीम पुलिस और आरटीओ के व्यवहार में सुधार की आवश्यकता है। अधिकारियों को संवेदनशील और सहयोगी बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। ट्रक ड्राइवरों को बेवजह परेशान न किया जाए। -हारुन संवेदनशील इलाकों में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़े। ट्रक ड्राइवरों के लिए इमरजेंसी हेल्पलाइन चालू की जाए। लूट या दुर्घटना की स्थिति में तत्काल सहायता दी जाए। -वासिक 14 से 16 घंटे की मेहतन के बावजूद 10 से 12 हजार रुपये महीने की कमाई होती है। ड्राइवरों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाए। -अमजद स्वास्थ्य बीमा और नियमित मेडिकल जांच की सुविधा मिलनी चाहिए। ट्रक ड्राइवरों के लिए सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की जाए। -पवन ट्रक ड्राइवर का जीवन काफी मुश्किल भरा होता है। ट्रक ड्राइवर का देश की अर्थव्यवस्था में अहम रोल है। हमारे बारे में विचार नहीं किया जा रहा। -मुंतजिर शहर के मुख्य मार्गों पर नौ एंट्री के समय की जानकारी के लिए बोर्ड लगे होने चाहिए जिससे दूसरे शहरों अथवा राज्यों से आने वाले ड्राइवरों को नौ एंटी के बारे में सही जानकारी मिल सके। -शहजाद ट्रक ड्राइवरों का जीवन हमेशा खतरे में रहता है। इनके लिए स्वास्थ्य और जीवन बीमा की सुविधा होनी चाहिए। दूसरे देशों की तरह हमारे देश में सुविधाएं मिले। -लखविंदर

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