घास मंडी में अधिकतर दुकानें हुईं बंद, बेरोजगार हुए लोग
Sambhal News - चन्दौसी की घास मंडी में पहले हरे चारे और भूसे की कई दुकानें थीं, लेकिन अब केवल एक-दो दुकानें रह गई हैं। चारे की महंगाई और पशुपालकों की संख्या में कमी के कारण यह स्थिति बनी है, जिससे कई लोग बेरोजगार हो...

चन्दौसी। शहर में अब भले ही घास मंडी के नाम से बाजार हो, लेकिन अब यह पशुओं के लिए हरा चारा नहीं मिलता है। जहां पूर्व में दर्जनभर से अधिक दुकानें हरे चारे व भूसे की हुआ करती थीं। अब इस मंडी में केवल एक दो दिन दुकान ही रह गई हैं। दुकानें बंद होने से काफी लोग बेरोजगार हो गए हैं। शहर के घासमंडी में पहले हरे चारा व भूसा लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी। इस घासमंडी में हरे चारे के अलावा भूसा मिला करता था। सुबह से देर शाम तक पशुपालक अपने पशुओं को चारा लेने के लिए पहुंचते थे। काफी पशुपालक ऐसे भी थे जो स्वयं न ले जाकर दुकानदार से ही घर पर चारा पहुंचाने के लिए कह देते थे। इसके लिए दुकानदार अलग से रुपये लेता था और चारा दुकान पर काम कर रहे पल्लेदार से भेज देते थे। मंडी होने से काफी लोगों को रोजगार मिलता था। किसान अपने बैलगाड़ी, डनलप आदि से दुकानों पर खेत से हरा चारा लेकर बेचता था। जहां दुकान पर मशीन द्वारा मजदूर चारे को काटते थे। साथ मजदूर घर पहुंचाने का काम करते थे। इस तरह एक दुकान पर करीब छह- सात लोगों को रोजगार मिला हुआ था। अब इस घास मंडी में चारे की दुकान के नाम एक दुकान व एक भूसे की दुकान रह गई है। इससे कई लोगों का रोजगार भी छिन गया है।
इस कारण बंद हुईं अधिकतर दुकानें
चन्दौसी। घास मंडी में जो लोग हरे चारे व भूसे का व्यापार करते थे। अब उन्होंने घास मंडी में और अन्य व्यवसाय शुरू कर दिया। इस मंडी से लगतार चारे की दुकान बंद होने का एक कारण यह भी है कि चारा पहले से महंगा हुआ है। वहीं अब पशुपालक भी हरा चारा न खिलाकर मटर का छिलका, सड़े आलू, गेहूं के भूसे के अलावा अन्य फसलों को भूसा खिला रहे हैं। इसके अलावा पहले की तुलना में पशुपालकों की संख्या काफी कम हो गई। घास मंडी के अलावा शहर के बाहरी क्षेत्र में कुट्टी मशीन लग गई हैं। ऐसे में पशुपालक अंदर न जाकर बाहर से हरा चारा खरीद लेते हैं।
पहले काफी आढ़त व दुकानें हरे चारे की हुआ करती थीं, लेकिन धीरे-धीरे यह खत्म हो गईं। मंडी में एक-दो दुकानें ही रह गई हैं। इन दुकानों पर भी आसपास के कुछ लोग ही पहुंचते हैं।
अजय कुमार, हरा चारा व्यापारी घासमंडी
लोगों ने हरे चारे के स्थान पर अब मटर का छिलका, सड़े आलू अन्य फसलों को भूसा खिलाना शुरू कर दिया है। यह सभी चीजें आमजन व पशुओं दोनों के लिए नुकसानदायी है।
पंकज वार्ष्णेय, घास मंडी
घासमंडी में पहले काफी दुकानें व आढ़त हुआ करती थीं, इसीलिए इसे घासमंडी कहा जाता था। अब एक- दुकान रहने जाने से यह कारोबार ठप हो गया है। लोगों ने अन्य रोजगार शुरू कर दिए हैं।
सुनील कुमार, घासमंडी
घासमंडी में दर्जनभर से अधिक दुकानें व आढ़त होने से लोगों को रोजगार मिलता था। एक दुकान व आढ़त पर करीब आठ लोग काम करते थे। अब आढ़त व दुकानें बंद होने से लोगों को रोजगार छिन गया।
शनि वार्ष्णेय, घासमंडी
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