Revival of Historical Mahishmati River in Sambhal with 9 Crore Proposal संभल की 'माहिष्मति नदी' को मिलेगी संजीवनी, तीर्थ स्थलों का भी होगा कायाकल्प, Sambhal Hindi News - Hindustan
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संभल की 'माहिष्मति नदी' को मिलेगी संजीवनी, तीर्थ स्थलों का भी होगा कायाकल्प

Sambhal News - संभल की माहिष्मति नदी, जो अब नाले में बदल चुकी है, को पुनर्जीवित करने के लिए नगर पालिका ने 9 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसमें नदी का सौंदर्यीकरण और मूलभूत सुविधाओं का विकास शामिल है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, संभलSun, 11 May 2025 03:03 AM
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संभल की 'माहिष्मति नदी' को मिलेगी संजीवनी, तीर्थ स्थलों का भी होगा कायाकल्प

संभल की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाली माहिष्मति नदी, जो आज नाले के रूप में अपनी पहचान खो चुकी है। पालिका के प्रयासों से अब फिर से जीवंत होने जा रही है। नगर पालिका ने नगरीय झील, तालाब एवं पोखर योजना के अंतर्गत माहिष्मति नदी, सूरजकुंड तीर्थ और भागीरथी तीर्थ का सौंदर्यीकरण और अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए करीब 9 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है। नगर पालिका ईओ डॉ. मणिभूषण तिवारी ने बताया कि माहिष्मति नदी के जीर्णोद्धार के लिए 5 करोड़, सूरजकुंड तीर्थ के लिए 1.99 करोड़ और भागीरथी तीर्थ के लिए 1.98 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर शासन में भेज दियाग या है।

इन स्थलों का न केवल सौंदर्यीकरण किया जाएगा, बल्कि साफ-सफाई, सुरक्षा, रोशनी और श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। ईओ ने बताया कि वर्तमान में यह नदी अतिक्रमण और गंदगी की वजह से नाले के रूप में तब्दील हो चुकी है। कई लोगों ने नदी की भूमि पर अवैध कब्जा कर मकान बना लिए हैं। इस दिशा में प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा के नेतृत्व में नदी की पैमाइश करवाई है। जल्द ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी शुरू की जाएगी। संभल की नदियों को मिलेगा नया जीवन प्रशासन अब सिर्फ माहिष्मति ही नहीं, बल्कि अन्य प्राचीन नदियों के किनारे भी अतिक्रमण मुक्त कराने और उन्हें पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्य कर रहा है। ये नदियां कभी स्थानीय जीवन, सिंचाई और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण थीं, लेकिन अब उनका अस्तित्व खतरे में है। इस अभियान का उद्देश्य इन नदियों को उनके पुराने स्वरूप में वापस लाना है। जन सहयोग की अपील नगर पालिका ईओ डा. तिवारी ने जनता और पर्यावरण प्रेमियों से इस पुनीत कार्य में भागीदारी करने की अपील की है। यह अभियान केवल प्रशासन का नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपने प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने में सहयोग करें।

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