मनरेगा में भ्रष्टाचार की खुली पोल, प्रधान-सचिव समेत 04 फंसे
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर में मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। जांच में 176727 रुपये की वित्तीय अनियमितता पाई गई है। इसमें प्रधान, सचिव और तकनीकी सहायक दोषी हैं। शिकायतकर्ता हरिओम सिंह की ओर से दी...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में विकास खंड बघौली के ग्राम पंचायत हावपुर भडारी में हुई जांच में मनरेगा में भ्रष्टाचार की पोल खुल ही गई। मेड़बंदी कार्यों पर 176727 रुपये की वित्तीय अनियमतता मिली है। इसमें प्रधान, सचिव, तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक दोषी पाए गए है। संबंधित दोषियों का पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी करने की तैयारी हो रही है। हावपुर भड़ारी गांव के रहने वाले हरिओम सिंह ने 24 मई को डीएम को शपथ पत्र के साथ शिकायती पत्र दिए। जिसमें 08 बिंदुओं पर मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का आरोप मढ़ते हुए जांच की मांग किया। डीएम ने प्रकरण की जांच मनरेगा सेल के अवर अभियंता वेद प्रकाश वर्मा और भूमि संरक्षण अधिकारी अरविंद कुमार वर्मा से कराई।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक लाभार्थी हरिराम पांडेय ने बताया कि उनकी जानकारी में उनके बरदगवा के चक में कोई मेड़बंदी नहीं हुई है। नोटरी बयानहल्फी पर उनका हस्ताक्षर नहीं है। वह राजकीय सेवा में थे। 31 दिसंबर 1994 में संयुक्त खंड विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। मौके पर मेड़बंदी कार्य नहीं पाया गया। लाभार्थी हरिराम पांडेय का जॉबकार्ड नहीं है और न ही उनके जरिए कार्य किया गया है। शिकायकर्ता की शिकायत की पुष्टि होती है। परियोजना पर हुआ 40020 रुपये का भुगतान वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में है। लाभार्थी नंद किशोर ने बताया कि उनके अनुरोध पर ग्राम प्रधान के जरिए उनके गाटा संख्या 264 का मेड़बंदी वर्ष 2022-23 में कराया गया है। वह वर्ष 2011 में आदर्श कृषक इंटर कॉलेज सिहटीकर से प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। मनरेगा योजना में व्यक्तिगत लाभार्थी परक कार्यों पर जाबकार्ड धारक होना एवं कार्य करना अनिवार्य है। लाभार्थी नंद किशोर का जॉबकार्ड नहीं है और न ही उनके जरिए कार्य किया गया है। परियोजना पर हुआ भुगतान 19809 रुपये वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। लाभार्थी परमात्मा ने बताया कि वह स्वास्थ्य विभाग में एनएमएस पद से वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके विशेष अनुरोध पर प्रधान के जरिए उनके खेत की मेड़बंदी कराई गई है। लाभार्थी और उनके पुत्र दोनों के नाम अलग-अलग जॉबकार्ड बना हुआ है। जिससे स्पष्ट है कि परिवार अलग है। लाभार्थी द्वारा परियोजना पर कार्य नहीं किया गया है। परियोजना पर हुआ भुगतान 33180 रुपये वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। लाभार्थी केशवभान सिंह ने बताया कि उनके गाटा संख्या 207 में मेड़बंदी हुई है। वह प्राथमिक विद्यालय फेउसी में प्रधानाध्यापक पद पर तैनात हैं। यह उपरोक्त योजना के लिए पात्र नहीं है। परियोजना पर हुआ भुगतान 44850 रुपये वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। लाभार्थी नंदकिशोर ने बताया कि उनके अनुरोध पर प्रधान के जरिए वर्ष 2024-25 में उनके गाटा संख्या 179 का मेड़बंदी कराया गया है। मौके पर मेड़बंधी कार्य हुआ नहीं पाया गया। परियोजना पर भुगतान 38868 रुपये वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। सीडीओ जयकेश त्रिपाठी ने बताया कि शिकायकर्ता के जरिए की गई कुल 08 शिकायती बिंदुओं में से 07 बिंदुओं में अनियमितता पाई गई है। कुल 05 मेड़बंदी कार्यों में 176727 रुपये की वित्तीय अनियमितता पाई गई है। जिसके लिए प्रधान, सचिव और तकनीकी सहायक दोषी हैं। दो पटरी पर मिट्टी कार्य पर एक ही फोटोग्राफ को प्रत्येक दिवस प्रत्येक मस्टररोल पर एनएमएमएस ऐप पर अपलोड कर श्रमिकों की कूटरचित उपस्थिति दर्ज की गई है, जो अनियमितता की श्रेणी में आता है। जिसके लिए रोजगार सेवक मनीषा दोषी हैं।
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