जिसने न कभी झुकना सीखा, वह रोशन सिंह बलिदानी था
Shahjahnpur News - खुदागंज में काकोरी एक्शन के अमर शहीद ठाकुर रोशन सिंह की जयंती पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि कुलदीप दीपक ने कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना से की। कई कवियों ने शहीद के जीवन पर आधारित...

खुदागंज। काकोरी एक्शन के अमर शहीद ठाकुर रोशन सिंह की जयंती पर नवादा दरोबस्त में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ कवि कुलदीप दीपक ने मां सरस्वती की वंदना से किया। इसके बाद उन्होंने शहीद रोशन सिंह के जीवन पर आधारित कविता कुछ इस तरह सुनाई, उन्होंने कहा, है धन्य नवादा जन्म भूमि, पूजित उनकी पावन पाटी। पूजित है वह परिवार सदा, पूजित बलिदानी परिपाटी। जिसने न कभी झुकना सीखा, वह रोशन सिंह दीवाना था। फांसी के फंदे के आगे, जिसने निज सीना ताना था। अध्यक्षता कर रहे वयोवृद्ध कवि विजय ठाकुर ने ग्रामीण परिवेश से जुड़े अपने लोकगीत सुनाकर श्रोताओं की भरपूर दाद पायी। डा . सुरेश मिश्र के कुशल संचालन में आक्रोश के कवि सुशील दीक्षित विचित्र ने सुनाया कि विद्रोहों को कुचला जाता, दमन किया जाता। दुश्मन को जिंदा धरती में, दफन किया जाता है। युवा कवि प्रदीप वैरागी ने रोशन सिंह को काव्यांजलि अर्पित कर श्रोताओं की तालियां बटोरी। व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर उमेश सिंह ने गांव से जुड़ी कविता कुछ यूं सुनाई। अस्पताल दुखी कोस गांव में है भट्टी सरकारी। झोला छाप डाक्टर लूटें, जब फैले बीमारी। सबसे बड़ी दवाई दारू, चच्चा हमें बताबै। गां हमारो कवित्तों अच्छों आबउ तुम्हें दिखाबै। मैनपुरी से आए कवि सतीश समर्थ ने ओज की कविता सुना शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व में संयोजक वीरपाल, सहयोगी ईशपाल आदि ने कवियों का अंगवस्त्र ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। साथ ही शहीद रोशन सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।