शाहजहांपुर की मिट्टी का गिरता जा रहा स्वास्थ्य
Shahjahnpur News - शाहजहांपुर में कृषि विभाग के मृदा परीक्षण के नतीजे चौंकाने वाले हैं। 15 हजार नमूनों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश की भारी कमी पाई गई है। जीवांश कार्बन का स्तर न्यूनतम हो गया है, जिससे खेती की...
शाहजहांपुर। जिले में अधिक पैदावार की होड़ अब खेतों की मिट्टी को बीमार बना रही है। कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 में कराए गए मृदा परीक्षण के नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं। जिले के 15 ब्लॉकों से लिए गए 15 हजार नमूनों की जांच में सामने आया कि मिट्टी से मुख्य पोषक तत्व तेजी से खत्म हो रहे हैं, वहीं इसका जीवनदाता माने जाने वाला जीवांश कार्बन न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इसका सीधा असर खेती की उत्पादकता और किसान की आमदनी पर पड़ रहा है। उपनिदेशक कृषि डॉ. धीरेंद्र सिंह ने बताया कि जिलेभर में मृदा परीक्षण अभियान के तहत 15 हजार नमूने लिए गए।
इनमें से अधिकांश नमूनों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश जैसे प्रमुख पोषक तत्वों की भारी कमी पाई गई। सबसे गंभीर स्थिति जीवांश कार्बन की है, जो मिट्टी की उर्वरता के लिए रीढ़ की हड्डी माना जाता है। डॉ. धीरेंद्र सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे रासायनिक खादों का प्रयोग सोच-समझकर करें और धीरे-धीरे जैविक खेती की ओर अग्रसर हों। ऐसा करने से मिट्टी की सेहत बरकरार रहेगी और उत्पादन भी टिकाऊ बना रहेगा। ये क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित भावलखेड़ा, ददरौल, कांट, मदनापुर, तिलहर, जैतीपुर, खुदागंज, निगोही, पुवायां, सिंधौली, बंडा और खुटार ब्लॉकों में जीवांश कार्बन की मात्रा न्यून स्तर पर है। जबकि जलालाबाद, मिर्जापुर और कलान की स्थिति और भी खराब है, जहां यह तत्व अति न्यून श्रेणी में पहुंच गया है। इन क्षेत्रों में मिट्टी के तेजी से बंजर होने का खतरा है। नाइट्रोजन की कमी सबसे गंभीर पुवायां, सिंधौली, बंडा, खुटार, जलालाबाद, मिर्जापुर और कलान में नाइट्रोजन की मात्रा अत्यधिक कम पाई गई है। नाइट्रोजन सभी फसलों के लिए सबसे जरूरी तत्वों में से एक है, लेकिन इसके बावजूद यह कमी रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित व अंधाधुंध प्रयोग की ओर इशारा करती है। यह दर्शाता है कि किसान उर्वरकों का प्रयोग सलाह या मृदा रिपोर्ट के बिना कर रहे हैं, जिससे मिट्टी का स्वाभाविक चक्र टूट रहा है। सूक्ष्म पोषक तत्व कुछ हद तक संतुलित हालांकि राहत की बात यह है कि सूक्ष्म पोषक तत्व बोरॉन, सल्फर, लोहा, जिंक, मैग्नीशियम और कॉपर अधिकतर क्षेत्रों में संतोषजनक पाए गए। भावलखेड़ा, ददरौल, निगोही और कलान जैसे ब्लॉकों में इनका स्तर भी अपेक्षाकृत कम मिला है, जो आने वाले वर्षों में और बिगड़ सकता है। कैसे करें मिट्टी की सेहत में सुधार मृदा वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी में जीवांश कार्बन की कमी को केवल जैविक उपायों से ही पूरा किया जा सकता है। इसके लिए किसानों को हरी खाद का प्रयोग करना चाहिए। सनई, ढैंचा जैसी फसलें उगाकर खेत में ही मिलाना लाभकारी है। गोबर की सड़ी खाद और वर्मी कंपोस्ट भी यूज करें। यह जैविक खाद मिट्टी की जीवंतता को बढ़ाती है। नीम खली और कृषि अवशेषों का प्रयोग करें। पोषक तत्वों की आपूर्ति के साथ-साथ मिट्टी में जैविक क्रियाएं बढ़ती हैं। मृदा परीक्षण अनिवार्य बनाएं। हर तीन साल में खेत की मिट्टी की जांच कराना आवश्यक है ताकि जरूरत के मुताबिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग किया जा सके।
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