जियो और जीने दो नारा नहीं, जीवों के कल्याण का महामन्त्र-प्रज्ञांशसागर
Shamli News - शुक्रवार को धर्मपुरा स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में श्रुताराधक सन्त क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर गुरुदेव ने जीवदया और भगवान महावीर के 'जियो और जीने दो' उपदेश पर प्रवचन दिया। उन्होंने हिंसा को...

शुक्रवार को शहर के मोहल्ला धर्मपुरा स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर के प्रांगण में श्रुताराधक सन्त क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर गुरुदेव के पावन सान्निध्य में एक प्रभावशाली धर्मसभा का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने जीवदया और भगवान महावीर का जियो और जीने दो उपदेश विषय पर अपना ओजस्वी प्रवचन दिया। शुक्रवार को प्रज्ञांशसागर गुरूदेव ने प्रवचन की शुरुआत करते हुए कहा कि संसार में जितनी भी पीड़ा है। उसका मूल कारण एक ही है हिंसा, और जितनी भी शान्ति है, उसका मूल आधार है दया। भगवान महावीर स्वामी का ‘जियो और जीने दो केवल एक नारा नहीं, वरन् समस्त जीवों के कल्याण का महामंत्र है।
कहा कि जीवदया केवल एक भावना नहीं, धर्म का आधार है। गुरुदेव ने कहा कि जैन धर्म में जीवदया को केवल एक नैतिक मूल्य नहीं, अपितु धर्म का प्राण माना गया है। एक-एक जलकण, वायु और अग्नि में अनन्त जीव हैं। अनजाने में भी हिंसा न हो, इसके लिए जैन मुनि नग्न वेश धारण करते हैं ताकि वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया में जो हिंसा होती है उससे बचा जा सके एवं जीवदया के उपकरण पिच्छी-कमण्डलु का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान महावीर स्वामी ने 2600 वर्ष पूर्व ही परम्परा अनुसार पर्यावरण, पशु अधिकार और सह-अस्तित्व की शिक्षा दी, जब यह विचार विश्व में कहीं अस्तित्व में भी नहीं थे। सभा में संतोष जैन, दीपक जैन, प्रवीण जैन, राजेश जैन, सुशील जैन, अंकित जैन, अरुण जैन, अजय जैन, गौरव जैन, सुधा जैन, अंजना जैन, अंजली जैन, गुणमाला जैन, अंशिका जैन, आशु जैन, पंकज जैन आदि लोग उपस्थित रहे।
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