UP Highcourt Lucknow Bench case hearing Orders Firing in Self Defense is not breaking License Rules आत्मरक्षा में पिस्टल से किया फायर तो नहीं टूटेंगे लाइसेंस के नियम: हाईकोर्ट, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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आत्मरक्षा में पिस्टल से किया फायर तो नहीं टूटेंगे लाइसेंस के नियम: हाईकोर्ट

यूपी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि आत्मरक्षा में पिस्टल से फायर करना लाइसेंस की शर्त का उल्लंघन नहीं है। एक मामले में सुनवाई के दौरान लखनऊ बेंच की पीठ में टिप्पणी की गई।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, लखनऊSat, 6 Jan 2024 09:01 AM
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आत्मरक्षा में पिस्टल से किया फायर तो नहीं टूटेंगे लाइसेंस के नियम: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक मामले की महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि आत्मरक्षार्थ पिस्टल से फायर करना लाइंसेन्स की शर्त का उल्लंघन नहीं है। न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ याची की पिस्टल को अवमुक्त करने का आदेश दिया। साथ ही यह भी कहा कि मामले में धारा 30 आयुध अधिनियम के तहत अपराध होना नहीं प्रतीत हो रहा है। यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने सुनील दत्त त्रिपाठी की याचिका पर पारित किया। 

याची के खिलाफ लखनऊ के गाजीपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया गया कि उसने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर मामले के वादी और अन्य लोगों को जान से मारने की नियत से गोलियां चलाईं। हालांकि, उक्त कथित फायरिंग में कोई भी घायल नहीं हुआ। विवेचना के उपरांत याची के विरुद्ध अन्य धाराओं के साथ-साथ धारा 30 आयुध अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया था। मामले में जमानत पर रिहा होने के पश्चात याची ने अपने लाइसेंसी ग्लॉक पिस्टल व चार कारतूसों के अवमुक्त करने के लिए निचली अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था जो कि खारिज हो गया। इसके बाद याची ने हाईकोर्ट की शरण ली।

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न्यायालय ने पाया कि घटना में मात्र अभियुक्तों को चोटें आईं। न्यायालय ने एक सह-अभियुक्त सचिन शर्मा की बहन के बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उसने कहा था कि सचिन शर्मा को कुछ लोग मार रहे थे, याची ने बचाने का प्रयास किया तो वे लोग उस पर हमलावर हो गए, तब याची ने कोई रास्ता न देखकर अपने लाइसेंसी पिस्टल से हवा में फायर किया।

न्यायालय ने कहा कि धारा 30 लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने को अपराध घोषित करती है, लेकिन वर्तमान मामले में आत्मरक्षा में फायर किया जाना आयुध अधिनियम की किस शर्त का उल्लंघन है, यह निचली अदालत ने स्पष्ट नहीं किया है। न्यायालय ने याची की उक्त पिस्टल व कारतूस उसके पक्ष में तत्काल अवमुक्त किए जाने का आदेश दिया है।