मायके जाने को लेकर झगड़ा, पति ने पहले पत्नी के हाथ-पैर की नस काटी फिर अपनी कलाई काटी
पति-पत्नी के विवाद ने इतना गंभीर रूप ले लिया कि पति ने गुस्से में पत्नी के हाथ और पैर की नस काट दी। फिर खुद की नस काटकर बाथरूम में बंद हो गया। जीवन लीला समाप्त करने का प्रयास कर डाला। बेटे ने पुलिस को फोन करके जानकारी दी।

यूपी में न्यू आगरा क्षेत्र में पति-पत्नी के विवाद ने इतना गंभीर रूप ले लिया कि पति ने गुस्से में पत्नी के हाथ और पैर की नस काट दी। फिर खुद की नस काटकर बाथरूम में बंद हो गया। जीवन लीला समाप्त करने का प्रयास कर डाला। बेटे की सूचना पर पहुंची पीआरवी पुलिस स टीम टीम की की तत्परता तत्परत ने उनकी जान बचाई। परिवार उजड़ने से बच गया। घायल दंपति को इलाज के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
घटना बुधवार सुबह 6:30 बजे की है। न्यू आगरा के सूर्य एंक्लेव बसेरा से 112 नंबर पर कॉल आया। कॉलर ने बताया कि उनकी मां की पिता ने नस काट दी है। वह लहूलुहान हैं। पिता ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया है। उनकी हालत बहुत गंभीर है। मदद करें। सूचना के चंद मिनट बाद पीआरवी टीम के नरेश कुमार और बेताल सिंह मौके पर पहुंच गए।
घर का दृश्य देख कर दोनों हिल गए। जगह-जगह खून बिखरा हुआ था। मीरा (38) अचेत अवस्था में कमरे में बेड पर पड़ी हुई थी। हाथ से खून बह रहा था। वहीं, ललित कुमार (42) बाथरूम में बंद थे। अचेत थे। आसपास खून ही खून था। दोनों पुलिस कर्मियों ने देर न करते हुए दरवाजा तोड़ा। ललित कुमार को बाहर निकाला। एंबुलेंस को फोन कर बुलाया। अस्पताल भेजा। दोनों का इलाज चल रहा है। दोनों हालत खतरे से बाहर हैं। पुलिस की तत्परता ने सिर्फ दो जानें ही नहीं बचीं, एक परिवार भी बिखरने से बच गया।
पत्नी के मायके जाने को लेकर हुआ था विवाद
पुलिस ने बताया कि पत्नी के मायके जाने और कॉल को लेकर दोनों में विवाद हुआ था। जो देर रात तक चला। पत्नी बार-बार मायके जाने की जिद कर रही थी। पति मना कर रहा था। मंगलवार की रात बात ज्यादा बढ़ गई। कहासुनी के बाद आत्महत्या जैसा कदम उठा डाला। पुलिस को अगर कुछ मिनटों की देरी हो जाती तो कुछ भी हो सकता था।
नरेश और बेताल की हो रही सराहना
पीआरवी 6511 पर दो लोग तैनात हैं। कमांडर होमगार्ड नरेश कुमार और चालक होमगार्ड बेताल सिंह। इन दोनों की तत्परता और मानवीय मदद की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये दोनों पुलिस कर्मी किसी देवदूत से कम नहीं हैं। जिन्होंने मानवीय संवेदना दिखाते हुए एक हंसते खेलते परिवार को उजड़ने से बचा लिया।