बोले काशी : नीति निर्माण में ‘भामाशाहों की भी हो प्रभावी भूमिका
Varanasi News - वाराणसी में अग्रवाल समाज ने स्थानीय प्रशासन से व्यापारिक वातावरण और बुनियादी सुविधाओं में सुधार की मांग की है। समाज के सदस्यों ने अपनी समस्याओं को गंभीरता से लेने की अपील की और सुझाव दिए कि शहर के...
वाराणसी। उद्योग-व्यापार का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें दखल न हो। किसी ट्रेड को ‘ट्रेंड बनाने में माहिर। शहर की जीडीपी बढ़ाने और सरकारी तिजोरी भरने में अहम भूमिका। इस नाते बनारसी उन्हें ‘भामाशाह भी कहते हैं। श्रीअग्रवाल समाज ने सैकड़ों वर्षों से काशी के हर बदलाव को नजदीक से देखा है मगर विडंबना यह कि बदलाव की दिशा तय करने में उनकी राय नहीं ली जाती। धरातल पर उतरने के बाद योजनाओं की जानकारी होती है। उनकी बताई सड़क-सफाई आदि से जुड़ी समस्याएं भी नजरंदाज कर दी जाती हैं। देश के बाकी हिस्सों की तरह काशी का भी अग्रवाल समाज खुद को महाराज अग्रसेन का वंशज मानता है।
उन्हीं की तरह धर्म-संस्कृति के प्रति निष्ठावान, देश के लिए समर्पित। काशी में अग्रवाल समाज की स्थापना सन-1895 में हुई थी। इन वर्षों के दौरान समाज के सदस्यों ने स्वतंत्रता संग्राम, शिक्षा-संस्कृति और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आज भी विभिन्न मंचों पर अपनी भूमिकाओं से समाज के प्रति अपनापन को मजबूत करते हैं। आसभैरो (नीचीबाग) स्थित अग्रवाल भवन में समाज के पदाधिकारियों ने ‘हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में शहर के विकास एवं कारोबारी माहौल पर फोकस किया। समस्याओं पर चर्चा के दौरान अफसरशाही के सामने अपनी बेबसी भी जताई। समाज के सभापति संतोष कुमार अग्रवाल ने कहा कि संस्था 130 वर्षों से समाज की सेवा कर रही है। बच्चों को सस्ती शिक्षा और मरीजों को चिकित्सा सुविधा के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में समाज निरंतर सक्रिय रहता है मगर अफसर हमारी समस्याएं गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने कहा, सरकार को अलग-अलग ट्रेड के व्यापारियों की कमेटी बनाकर उनकी समस्याओं पर चर्चा करनी चाहिए। किसी विभाग में व्यापारी अपनी समस्याएं लेकर पहुंचें तो उन्हें प्राथमिकता दी जाए। इतने मात्र से व्यापारी सम्मानित महसूस करेंगे। सलिल अग्रवाल ने कहा कि सरकार की मंशा के अनुरूप अफसर योजनाएं लेकर आते हैं मगर वे शहर की नब्ज से परिचित व्यापारियों-उद्यमियों से योजनाओं के व्यावहारिक पक्ष पर कभी चर्चा नहीं करते। इस नाते अच्छी योजनाओं से भी कई तरह की दिक्कतें होती हैं। उनका कहना था कि शहर नियोजन समिति बने जिसमें अलग-अलग ट्रेड से जुड़े अनुभवी लोग हों। विकास में उनकी भी राय ली जाए। उसके आधार पर समग्र नीति बने तो व्यावहारिक मुश्किलें कम से कम आएंगी। अरुण कुमार अग्रवाल ने व्यापारियों और उनके व्यापार की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। कहा, कानून व्यवस्था पहले से बहुत बेहतर हुई है मगर बीच-बीच में चेन स्नेचिंग, धमकी और रंगदारी जैसी वारदात का असर पूरे बाजार पर पड़ता है। इस पर रोक लगनी चाहिए। पदाधिकारियों ने यह भी चिंता जताई कि छोटी-छोटी बुनियादी समस्याओं की भी विभागों में सुनवाई नहीं होती। किसी सड़क या गली की मरम्मत करानी हो, पेयजल-सीवर और बिजली के तारों का जाल हो तो चक्कर काटने पड़ते हैं। अग्रसेन प्रतिमा के पास अतिक्रमण राजकिशोर चंद्र अग्रवाल, शशि बाला ने कहा कि मैदागिन से गोदौलिया के बीच की सड़क महाराजा अग्रसेन मार्ग के रूप में घोषित है लेकिन यह अतिक्रमण की शिकार है। मैदागिन पर अग्रवाल समाज के आदर्श महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा के एक तरफ मुद्दत से अतिक्रमण किया गया है। गंदगी पसरी रहती है। इससे भावनाओं को ठेस पहुंचती है। बजरंग अग्रवाल ने कहा कि अग्रसेन प्रतिमा परिसर में बना फव्वारा भी वर्षों से खराब है। मरीज नहीं आ पाते पदाधिकारियों ने ध्यान दिलाया कि मैदागिन और बुलानाला के आसपास अवैध पार्किंग बड़ी समस्या है। अग्रसेन कन्या इंटर कॉलेज के सामने अग्रवाल समाज के औषधालय में नि:शुल्क परामर्श दिया जाता है लेकिन अतिक्रमण के चलते मरीज, डॉक्टर और स्टाफ का आना-जाना मुश्किल हो जाता है। अग्रवाल भवन तक पहुंचने में गली के दोनों तरफ खड़े दोपहिया वाहन बाधा बनते हैं। चार साल से सड़क-गली बदहाल मोहन अग्रवाल ने कहा कि बुलानाला चौराहे से गोलघर के बीच की सड़क चार साल से बदहाल है। करीब सौ मीटर के बाद सड़क ज्यादा खराब है। गली के पत्थर ऊबड़-खाबड़ हैं। जबकि व्यापारिक दृष्टि से यह मार्ग बेहद महत्वपूर्ण है। यहां के व्यापारी हर साल करोड़ों रुपये का गृहकर देते हैं लेकिन नगर निगम के अफसर अपनी जिम्मेदारी से बचते हैं। कूड़ा उठान में मनमानी डॉ. मधु अग्रवाल ने बताया कि बुलानाला में कॉलेज के स्टाफ दो दिन कूड़ा लेकर खड़े रहते हैं लेकिन गाड़ी समय से नहीं आती। वह कभी सुबह 10 बजे तो कभी दोपहर 2 बजे पहुंचती है। जबकि हर महीने समय से कूड़ा उठाने का शुल्क दिया जाता है। बताया कि मैदागिन-बुलानाला क्षेत्र में इस समय तीन बार सफाई नहीं कराई जा रही है। कॉलेज के गेट पर अवांछनीय तत्व डॉ. मधु अग्रवाल, अमित अग्रवाल बॉबी, आमोद अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, सलिल अग्रवाल ने कहा कि अग्रसेन पीजी कॉलेज के परमानंदपुर कैंपस मार्ग पर पुलिस की ड्यूटी नहीं रहती है जिस कारण छात्राओं को सुरक्षित महसूस होता है। अवांछनीय तत्व अक्सर कॉलेज के गेट तक पहुंच जाते हैं। पुलिस को सूचना देकर उन्हें हटवाना पड़ता है। सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था हो सभापति संतोष कुमार अग्रवाल, रचना अग्रवाल ने कहा कि टाउनहॉल के प्रवेश द्वार के पास सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था हो सकती है। भूमिगत पार्किंग का शौचालय गंदा रहता है। इस कारण पर्यटक और श्रद्धालु, स्कूल-कॉलेज की छात्राएं परेशान होती हैं। सलिल अग्रवाल ने बताया कि मैदागिन उपकेंद्र के पास सार्वजनिक शौचालय था जिसे नगर निगम ने हटा दिया। इसके विकल्प में कहीं शौचालय नहीं बना। बताया कि अवांछनीय तत्व पीजी कॉलेज के पास ही अक्सर लघु शंका करते हैं। गंदगी के अलावा यह छात्राओं के लिए असहज स्थिति हो जाती है। दीपक अग्रवाल ने कहा कि पराड़कर भवन का सार्वजनिक शौचालय हटाने के बाद से सड़कों के किनारे गंदगी होती है। तारों का जाल बना मुसीबत प्रद्युम्नजी अग्रवाल, गिरधर अग्रवाल ने पक्का महाल की कई गलियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनमें तारों का जाल लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। इन तारों में कभी-कभी करंट भी उतरता है। ये तार दुकानों, मकानों के गेट के सामने गुजरते हैं। उन्होंने कहा कि जब शहर के बाकी हिस्सों में बिजली के तार भूमिगत किए जा रहे हैं तो पक्के महाल को उपेक्षित क्यों कर दिया गया। वैसी व्यवस्था नहीं हो सकती तो कम से कम तार व्यवस्थित तो किए ही जा सकते हैं। भारतरत्न डॉ. भगवान दास भी रहे सभापति श्रीअग्रवाल समाज की स्थापना वर्ष-1895 में हुई। इस संस्था के संस्थापकों में बाबू गोविंद शाह, बाबू बलराम दास वकील, बाबू ठाकुर प्रसाद, बाबू बैजनाथ दास, राधाचरण दास शाह एवं सीताराम शाह थे। समाज के पहले अध्यक्ष (सभापति) गोविंद दास शाह थे। वह वर्ष 1895 से 1926 तक अध्यक्ष रहे। इनके अलावा राष्ट्ररत्न शिवप्रसाद गुप्त, भारतरत्न डॉ. भगवान दास, पूर्व मेयर बाबू बृजपाल दास, पूर्व मेयर श्याममोहन अग्रवाल, अरविंद अग्रवाल भी अग्रवाल समाज के सभापति बने थे। सुनें हमारी बात अग्रवाल भवन के सामने गली में अतिक्रमण है। रास्ता भी खस्ताहाल है। बरसात में जलजमाव हो जाता है। - रचना अग्रवाल गली में सीवर लाइन की सफाई नहीं होती है। इससे जलजमाव की समस्या होती है। - संतोष अग्रवाल अग्रवाल भवन के ऊपर तारों से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। कई जगह वे नीचे लटक रहे हैं। -आमोद अग्रवाल अग्रसेन प्रतिमा के आसपास अतिक्रमण है। चारो तरफ गाड़ियां खड़ी हो रही हैं। वहां लघुशंका भी करते हैं। - बजरंग अग्रवाल मैदागिन से चौक के बीच सामुदायिक शौचालय नहीं है। विश्वनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होती है। - सलिल अग्रवाल मैदागिन पार्किंग के अंदर बने शौचालय की कभी सफाई नहीं होती है। लोगों को पता भी नहीं है कि वहां शौचालय है। - अरुण अग्रवाल ठेला लगाने वालों के लिए हर क्षेत्र में वेंडिंग जोन बने ताकि उनका रोजगार न जाए और सड़कों पर अतिक्रमण न हो। - शशिबाला अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज के बाहर अराजकतत्वों का जमावड़ा रहता है। छात्राओं को परेशानी होती है। -दीपक अग्रवाल भैरोनाथ गली में अतिक्रमण है। लोग दुकान के बाहर तक सामान फैलाए रहते हैं। इससे आवागमन में परेशानी होती है। - डॉ. अजय अग्रवाल चौक से मैदागिन तक ऑटो नहीं चल रहा है। रिक्शे वाले मनमाना किराया वसूलते हैं। - अमिता सुझाव 1- महाराज अग्रसेन की प्रतिमा के आसपास से नगर निगम अतिक्रमण हटवाए। इसका सुंदरीकरण अग्रवाल समाज के पदाधिकारी-सदस्य करा लेंगे। 2- बारिश के पहले सीवर की सफाई अनिवार्य रूप से होनी चाहिए ताकि जलजमाव की समस्या न हो। इससे लोगों को आवागमन में सहूलियत होगी। 3- गलियों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलना चाहिए। बिजली के तार सही किए जाएं। गलियों की सड़कें भी चलने लायक बनाई जाएं। 4- मैदागिन से चौक के बीच सामुदायिक शौचालय बनना चाहिए। टाउनहाल पार्किंग के शौचालय की नियमित सफाई हो। बाहर उसका बोर्ड भी लगे। 5-रिक्शा चालकों की मनमानी किराया वसूली पर रोक लगनी चाहिए। प्रति दिन दोगुना-तीनगुना किराया देकर आना जाना संभव नहीं है। शिकायतें 1. मैदागिन स्थित अग्रसेन प्रतिमा के चारो तरफ अतिक्रमण है। लोग दुकाने लगाते हैं। लघुशंका भी करते हैं। हमारे आराध्य का अपमान हो रहा है। 2- अग्रसेन भवन वाली गली में सीवर की सफाई नहीं होती। बारिश के दिनों में जल-जमाव होता है। गली में अतिक्रमण भी है। 3- शहर के विकास कार्यों में शहर के उद्यमियों-व्यापारियों से राय नहीं ली जाती। इससे अच्छी योजनाओं में भी दिक्कतें आती हैं। 4- मैदागिन से चौक के बीच सामुदायिक शौचालय नहीं है। पार्किंग के शौचालय की सफाई नहीं होती है। बाहर के लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं है। 5- मैदागिन से गोदौलिया तक रिक्शे वाले मनमाना किराया वसूलते हैं। सही दाम पूछने पर बवाल होता है।
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