ऋषि-मुनियों के विधान वैज्ञानिक: प्रो.मिश्र
Varanasi News - वाराणसी में संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने नवसंवत्सर समारोह में कहा कि सनातन संस्कृति ने हमेशा मानवता के कल्याण का समर्थन किया है। उन्होंने भारतीय काल गणना पद्धति की वैज्ञानिकता पर...

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। सनातन संस्कृति विश्व मानव के कल्याण की सदा पक्षधर रही है। ऋषियों-मुनियों ने जितने भी विधान रचे सभी वैज्ञानिक कसौटियों पर खरे हैं। यह कहना है संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र का। वह बुधवार को केंद्रीय ब्राह्मण महासभा की ओर से आयोजित नवसंवत्सर समारोह में मुख्य अतिथि थे।
महमूरगंज स्थित शृंगेरी मठ में हुए आयोजन में प्रो. मिश्र ने कहा कि सनातनी काल गणना विश्व की श्रेष्ठतम पद्धति है। जब विश्व के लोग गिनती नहीं जानते थे तब भी भारत में सेकेंड के हजारवें हिस्से तक की गणना पद्धति प्रचलित थी। विशिष्ट अतिथि राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि हाल के दशकों में काल गणना पद्धति में विभेद के कारण हमारे प्रमुख तीज-त्योहार दो दिनों में विभक्त हो जा रहे हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है। इससे बचने के लिए आवश्यक है कि सब एकमत होकर एक गणना पद्धति पर चलें।
समारोह में महापौर अशोक तिवारी, प्रो. बीडी. त्रिपाठी, पं. राकेश त्रिवेदी, डॉ. नागेंद्रप्रसाद द्विवेदी, पं. चल्ला सुब्बाराव शास्त्री, प्रो. चल्ला रामचंद्र मूर्ति, चल्ला वेंकटेश चिंतामणि गणेश, डॉ. पीसी शर्मा, शिवरतन मोरोलिया, डॉ. एके द्विवेदी, केदार तिवारी, राजीव झा, कमल तिवारी, अभिषेक शर्मा, आशुतोष ओझा, आशीष ओझा, पं. सूर्यकांत झा, डॉ.धीरेश्वर चतुर्वेदी आदि ने विचार रखे। स्वागत पं. सतीशचंद्र मिश्र ने किया। महासभा के महिला मंच की प्रतिनिधि के रूप में बीना मिश्रा, डॉ. वीणा अग्निहोत्री, वंदना मिश्रा, वंदना झा, संतोषी शुक्ला, श्वेता पांडेय ‘गरिमा, माधुरी मिश्रा, शिल्पी ओझा, सरस्वती मिश्रा, सुषमा शुक्ला ने उपस्थित दर्ज कराई।
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