Macho Dhari Park in Varanasi Faces Decline Amid Social Issues and Neglect पौराणिक कुंड को सहेजे पार्क में पियक्कड़ों की पौ-बारह, Varanasi Hindi News - Hindustan
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पौराणिक कुंड को सहेजे पार्क में पियक्कड़ों की पौ-बारह

Varanasi News - वाराणसी का मछोदरी पार्क, जो पहले एक सुंदर तीर्थ स्थल था, अब शराबियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। महिलाओं और लड़कियों ने पार्क में आना बंद कर दिया है। पार्क की सफाई और सुरक्षा की कमी के कारण...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीThu, 1 May 2025 06:06 PM
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पौराणिक कुंड को सहेजे पार्क में पियक्कड़ों की पौ-बारह

वाराणसी। जिस कुंड को पुराणों में गंगा की सहोदरा कहा गया, जिसकी एक तीर्थ के रूप में प्रतिष्ठा रही और जिसे नगर की ‘सुषुम्ना नाड़ी माना गया, उसका परिसर इन दिनों पियक्कड़ों, अवांछनीय तत्वों का अड्डा बन गया है। वह भी तब जब सामने ही पुलिस चौकी है। महिलाओं-लड़कियों ने यहां आना छोड़ दिया है। इससे जुड़े लोगों को पार्क के सुंदरीकरण के नाम पर हुए छल से उतना रंज नहीं है, जितना इन दिनों बने माहौल से है। उनका कहना है कि माहौल बदलेगा, तभी कुंड भी सुरक्षित रह पाएगा। शहर में लंबे-चौड़े क्षेत्रफल वाले गिनती के कुंड-पार्क बचे हैं।

उनमें मछोदरी पार्क एक है। यहां के मॉर्निंग वाकरों ने मछोदरी पार्क सुरक्षा सेवा समिति का गठन किया है। समिति के प्रयासों से पार्क और कुंड का चार वर्ष पहले स्मार्ट सिटी ने सुंदरीकरण कराया। दो करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि से सुंदरीकरण के बाद नगर निगम ने देखभाल की जरूरत नहीं समझी। लिहाजा, स्थिति लगभग सुंदरीकरण के पहले जैसी हो गई है। समिति के प्रमुख ओमकृष्ण अग्रवाल, सदस्य मोहनलाल वर्मा, श्याम केशरी ने ‘हिन्दुस्तान से चर्चा में कहा कि पार्क में सफाई, सुरक्षा के साथ देखभाल की कमी बहुत अखरती है। उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी ने ओपेन जिम बनवाया, रेलिंग के साथ बेंच लगवाई। पाथवे बना। स्ट्रीट के साथ सोलर लाइटें लगीं। कुंड की सीढ़ियों की मरम्मत हुई। उसके चारों ओर म्यूरल बनवाए गए। देखरेख के अभाव में ओपेन जिम टूट चुका है। स्ट्रीट एवं सोलर लाइटें नहीं जलतीं। यूरिनल उपयोग लायक नहीं रहा। कई दिनों के अंतराल पर पार्क में झाड़ू लगती है। कुंड की मुद्दत से सफाई नहीं हुई है। अजय कुमार, मदन निषाद, लालजी यादव ने कहा कि दो करोड़ रुपये के कामों का ऐसा हस्र शायद ही कहीं दिखेगा। महिलाएं-लड़कियां ने आना छोड़ा इधर कुछ माह से मछोदरी पार्क में शाम होते ही पियक्कड़ों, असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग रहा है। सियाराम मौर्य, बैजनाथ यादव ने कहा कि उनके चलते पार्क में अब महिलाएं और लड़कियां नहीं आतीं। हर सुबह पार्क में जहां-तहां शराब, बीयर की बोतलें फेंकी पड़ी मिलती हैं। लालजी यादव ने ध्यान दिलाया कि चार वार्डों-कालभैरव, राजमंदिर, ओमकालेश्वर, प्रह्लाद घाट के नागरिकों के लिए केवल यही पार्क है जहां वे खुले में टहल सकते हैं। यहां बड़ी संख्या में बुजुर्ग, महिलाएं और युवा आते रहे हैं लेकिन अतिक्रमण, गंदगी और असामाजिक तत्वों के हावी होने से उन्होंने आना छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व पार्षद कुंवरकांत सिंह के कार्यकाल में यह स्थिति नहीं थी। तब माहौल अच्छा था। वर्तमान पार्षद कभी पार्क का हालचाल लेने नहीं आते। कुंवरकांत सिंह बोले, पार्क के मेन गेट पर ही मछोदरी पुलिस चौकी है। अर्द्धसैनिक बल का पार्क में कैंप है। तब भी ऐसी स्थिति पर आश्चर्य होता है। पार्क बना डंपिंग ग्राउंड रविशंकर गुप्ता, विधुभूषण मिश्रा, मो. जहीर ने ध्यान दिलाया कि स्मार्ट काशी के तहत पार्क के सुंदरीकरण के बाद से बची हुई निर्माण सामग्रियां नहीं हटाई गई हैं। दूसरे, कुछ विक्रेताओं ने भी पार्क में बालू-गिट्टी गिरा रखी है। नगर निगम के सफाईकर्मी खराब होने के बाद कूड़ागाड़ी और हथठेला यहीं खड़ा कर देते हैं। इससे पार्क की सुंदरता पर असर पड़ता है। अशोक यादव ने कहा कि पार्क में रोजाना लोग बैडमिंटन खेलते थे। एक तरफ रविवार और अवकाश के दिन बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। खेल के दौरान गेंद पकड़ने दौरान बच्चे निर्माण सामग्रियों के कारण गिरते हैं और चोटिल होते हैं। खर्च में तेजी, रखरखाव में सुस्ती ओमकृष्ण अग्रवाल, राजेश विश्वकर्मा, परीक्षित आदि ने कहा कि पार्क सुंदरीकरण के लिए धन खर्च करने की अफसरों में जो तेजी थी, वह बाद में पार्क के रखरखाव नहीं दिखाई दी। उसका नतीजा, सुंदरीकरण के तहत जो काम हुए, उनमें ज्यादातर खराब हो चुके हैं। पाथवे कुछ हद तक सही सलामत है। बाकी, ओपेन जिम और बेंच टूट गई हैं। यूरिनल की फर्श उखड़ चुकी है। स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। कुंवरकांत सिंह ने कहा कि भव्य रूप ले चुके पार्क का मौजूदा स्वरूप देख मन क्षुब्ध हो जाता है। सार्वजनिक शौचालय भी समस्या राजकुमार केशरी, अशोक यादव, ओमकृष्ण अग्रवाल ने दिखाया कि बाहर बने सार्वजनिक शौचालय का सीवर कनेक्शन पार्क के अंदर ही कर दिया गया है। सीवर लाइन अक्सर ओवरफ्लो करती है। उसकी दुर्गंध भी लोगों की परेशानी का सबब है। उन्होंने कहा कि पार्क में कुछ स्थान हैं जहां पौधरोपण हो सकता है लेकिन अतिक्रमण के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। बताया कि पार्क में अवैध रूप से कुछ लोग अपने वाहन खड़ा करते हैं। कुंड की भी दशा ठीक नहीं गोपाल दास ने ध्यान दिलाया कि मछोदरी कुंड की मुद्दत से सफाई नहीं हुई है। कचरा ऊपर ही तैरता हुआ दिखता है। इससे असंख्य मछलियों का जीवन संकट में है। रोज अनेक लोग मछलियों को चारा खिलाने पहुंचते हैं। मोहनलाल वर्मा ने बताया कि दुर्गा और सरस्वती पूजा के बाद यहां मूर्तियों का विसर्जन होता है। पिछली बार विसर्जन के कई दिनों बाद तक कुंड की सफाई नहीं हुई थी। सड़ांध आने और मछलियों को मरता देख पार्क सुरक्षा सेवा समिति ने दबाव बनाया तो नगर निगम ने सफाई करवाई। वह सफाई हुए भी छह माह बीत चुके हैं। कुंड का प्रवेश द्वार टूट गया है। विधुभूषण मिश्रा ने कहा कि यदि कुंड की विधिवत सफाई हो जाए तो नीचे पक्का तल दिखाई देने लगेगा। उन्होंने कहा कि इस कुंड का सुंदरीकरण दुर्गाकुंड की तरह होना चाहिए। सुझाव 1. पार्क में असामाजिक तत्वों और शराबियों की आवाजाही पर कड़ाई से रोक लगे ताकि माहौल सही हो। नगर निगम एक सुरक्षा गार्ड तैनात करे। 2. पार्क की बाउंड्री ऊंची की जाए। निर्माण सामग्रियां और अतिक्रमण हटाए जाएं। खाली जगह पर पौधरोपण कराया जाए। 3. मछोदरी कुंड की विधिवत सफाई कराई जाए। उसका सुंदरीकरण दुर्गाकुंड की तरह हो तो गौरव लौट आएगा। 4. मछोदरी पार्क में एक माली और सफाईकर्मी की स्थायी तैनाती हो। स्ट्रीट लाइट सही कराई जाएं। 5. पार्क के ओपेन जिम, बेंच और पाथवे की मरम्मत कराई जाए ताकि मार्निंग वाकरों को दिक्कत न हो। शिकायतें 1. असामाजिक तत्वों, शराबियों के चलते अनेक बुजुर्गों के साथ महिलाओं और लड़कियों ने पार्क में आना छोड़ दिया है। पुलिस भी आंखें मूंदे रहती है। 2. सुंदरीकरण के बाद से पार्क में निर्माण सामग्रियां छोड़ दी गई हैं। कुछ विक्रेताओं ने भी गिट्टी-बालू जमा कर रखा है। 3. मछोदरी कुंड की लंबे समय से सफाई न होने से मछलियों का जीवन संकट में है। कुंड का प्रवेशद्वार भी टूट गया है। 4. पार्क में किसी आयोजन के समय ही सफाई होती है। वैसे, कई दिनों के अंतराल पर झाड़ू लगती है। इससे हमेशा गंदगी बनी रहती है। 5. स्ट्रीट लाइट, ओपेन जिम और यूरिनल खराब पड़े हैं। पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। सुनें हमारी बात मछोदरी पार्क में सफाई और सुरक्षा के अभाव के साथ देखभाल की कमी बहुत अखरती है। -ओमकृष्ण अग्रवाल किसी आयोजन के समय ही पार्क में सफाई कर्मचारी दिखते हैं। वैसे कई दिनों के अंतराल पर झाड़ू लगती है। - मोहनलाल वर्मा सुरक्षा के लिहाज से पार्क की बाउंड्री ऊंची कराई जाए। यहां एक सुरक्षा गार्ड की तैनाती भी हो। -श्याम केशरी चार वार्डों के लोगों के लिए ऑक्सीजन का बड़ा केन्द्र है यह पार्क। शराबियों के चलते अनेक लोग अब नहीं आते। -लालजी यादव सुंदरीकरण के बाद पार्क भव्य दिखने लगा था। अब इसकी दुर्दशा देख बहुत क्षोभ होता है। - कुंवरकांत सिंह पौराणिक मछोदरी कुंड की विधिवत सफाई हो। इसका सुंदरीकरण दुर्गाकुंड की तरह होना चाहिए। विधुभूषण मिश्रा पार्क के गेट पर ही पुलिस चौकी है। इसके बाद भी यहां शराबी निश्चिंत होकर समय गुजारते हैं। -अजय कुमार पार्क में कई स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, जिससे शाम के बाद अंधेरा रहता है। शराबी इसका फायदा उठाते हैं। गोपाल दास गिट्टी, पुरानी इंटरलॉकिंग टाइल्स आदि निर्माण सामग्रियां बीच पार्क में छोड़ दी गई हैं। इससे दिक्कत होती है। -मदनमोहन निषाद दो करोड़ से हुए सुंदरीकरण का ऐसा हस्र शायद ही कहीं दिखे। नगर निगम ने रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया। रविशंकर गुप्ता बेनियाबाग की तर्ज पर इस पार्क का भी रखरखाव हो। इसे मॉडल पार्क के रूप में विकसित किया जाए। -राजकुमार केशरी 15-20 दिनों तक सफाई कर्मी नहीं आते। पार्क में रोज सुबह शराब-बीयर की बोतलें फेंकी मिलती हैं। राजेश विश्वकर्मा काशी की सुषुम्ना नाड़ी है मत्स्योदरी कुंड काशी महात्म्य से जुड़े कई ग्रंथों में मछोदरी या मत्स्योदरी कुंड का उल्लेख मिलता है। यह भी कि इस कुंड का जुड़ाव गंगा से है। इसलिए इसे गंगा की सहोदरा कहा जाता है। 12वीं से 16वीं सदी के बीच काशी में वरुणा और असि के साथ मत्स्योदरी नदी भी प्रवाहमान थी। 16वीं सदी के प्रसिद्ध विद्वान पं. नारायण भट्ट ने इसका नाम मत्स्योदरी रखा क्योंकि इसका जलकोश मछली की तरह दिखता है। कालांतर में मत्स्योदरी ही मछोदरी हो गया। इसके पास बसी बस्ती का भी वही नाम पड़ा। पौराणिक आख्यानों से जुड़े ग्रंथ ‘तीर्थ विवेचन में वरुणा को काशी की इड़ा, असि को पिंगला और मत्स्योदरी को नगर की सुषुम्ना नाड़ी बताया गया है। योग शास्त्र में इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ियां शरीर में ऊर्जा के प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इड़ा नाड़ी बाएं नथुने से जुड़ी है। पिंगला नाड़ी दाएं नथुने से जुड़ी है। सुषुम्ना नाड़ी रीढ़ की हड्डी के मध्य रहती है। वह इड़ा और पिंगला नाड़ियों को जोड़ती है। वरुणा और असि के बीच बसी प्राचीन काशी की भौगोलिक संरचना पर नजर डालें तो मत्स्योदरी को सुषुम्ना कहना सर्वथा उचित है।

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